यह सुनकर हिमाचल ने कहा आप मुझे राजा आदरणीय की कथा कहने की कृपा करें यह सुनकर वशिष्ठ जी ने उत्तर दिया है हिमाचल नामक 14 में मुनि की 16 में पीढ़ी में आराम दिया नामक राजा उत्पन्न हुआ था वह मंगलरण राजा की भांति प्रजा का पालन करने वाला तथा राष्ट्रीय आसन पर बैठकर नीति पूर्वक राज करने वाला था उसके साथ पुत्र तथा एक पुत्री उत्पन्न हुए पुत्री का नाम पद्मा था वह पुत्री राजा तथा रानी के प्राणों से भी अधिक प्रिय थी जब उसकी अवस्था विवाह के योग्य हुए तब राजा उसके लिए पति की खोज करने लगे इतने में पलड़ा मुनि ने अपने आश्रय को जाते समय वन में देखा कि एक गंधर्व अपनी स्त्री से बिहार कर रहा है मनी भी रहा देखकर काम के वशीभूत होकर स्त्री से भोग की इच्छा करने लगे तभी मुनि ने पुष्प भद्रा नदी के तट पर पदमा को देखा सबसे पूछा कि यह किसी कन्या है लोगों ने बताया कि यह राजा अरण्य की पुत्री है यह सुनकर मुनि स्नान तथा पूजा कर राजा के पास गए और कामवास होकर उससे उनकी पुत्री को मांगा परंतु राजा चुप रहे उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया तब मुनि ने क्रोधित होकर कहा कि तुम हमको लकड़ी नहीं देता तथा चुप बैठा हुआ है हमारे पास वह विद्या है जिससे हम इसी समय तुझे जला कर भस्म किए थे मनी के ऐसे क्रोध पूर्ण वचन सुनकर राजा स्त्री पुत्र तथा रितु सहित आश्चर्य चकित होकर रोने लगा उसे समय एक विद्यमान पंडित ने राजा से कहा है राजन अब आपको यही उचित है कि आपने पुत्री मुनि को दे दें और इस प्रकार मनी से पूर्व से अपने फूल को जलने से बचाए और तब राजा ने पंडित की बात मानकर अपने फूलों की रक्षा के लिए पुत्री मुनि को दे दी इसलिए ही हिमाचल तुमको भी यही करना चाहिए आप विवाह के शुभ मुहूर्त को केवल 7 दिन शेष रह गए उसे दिन ब्रिंग कर नक्षत्र चंद्रावर उत्तम योग कारण तथा केंद्र के शुभ ग्रह है इस समय लगन का स्वामी अपने स्थान पर आएगी यही अति उत्तम मुहुर्त होगा उसे दिन तुम गिरजा का विवाह शिव के साथ कर लो इस प्रकार समझते हुए सब उत्तर ऋषि तीनों दिन तक को हाथ हर तब हिमाचल ने उसकी बात मानकर चौथे दिन लग्न लिखवाया उसे लेकर सप्त ऋषि शिव के पास गए
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Hearing this Himachal said, please tell me the story of the respected king. Hearing this Vashishtha replied that in the 14th generation of the sage Himachal, a king named Aaram Diya was born. He was like the king Mangalran, who looked after his subjects and ruled on the national throne with policy. He had a son and a daughter. The daughter's name was Padma. That daughter was dearer to the king and the queen than their lives. When she was of marriageable age, the king started looking for a husband for her. Meanwhile, while going to his shelter Palda Muni saw in the forest that a Gandharva was having fun with his wife. Seeing Mani also there, he got under the influence of lust and started desiring to have sex with the woman. Then the sage saw Padma on the banks of the river Pushp Bhadra and asked everyone if she was a girl. People told that she was the daughter of King Aranya. Hearing this, the sage took bath and went to the king and asked him for his daughter in lust, but the king kept quiet. He did not give any answer. Then the sage got angry and said that you do not give me wood and He is sitting quietly, we have that knowledge with which we would burn you to ashes right now. Hearing such angry words of Mani, the king along with his wife, son and Ritu started crying in surprise. At that time a Pandit present there said to the king, "O King, now it is appropriate for you to give your daughter to Muni and in this way save your flowers from burning before Mani." Then the king agreed to the Pandit and gave his daughter to Muni to protect his flowers. That is why Himachal, you should also do the same. Only 7 days are left for the auspicious time of marriage. Bring that day and bring the auspicious planets of Nakshatra Chandravar and Kendra. At this time, the lord of the lagna will come to his place. This will be the best time. On that day, you should get Girja married to Shiva. Understanding this, all the Uttar Rishis agreed for three days. Then Himachal agreed to his words and got the lagna written on the fourth day. Taking it, the Sapta Rishis went to Shiva.
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