श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 45



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद इस दशा को देख हिमाचल के परिवार के सब लोग तथा नगर निवासी अत्यंत व्याकुल हुए देवता भी आपस में यह कहने वालों की क्या करते हुए यह क्या हो गया तब सब स्त्री पुरुष ने भगवान सदा शिव का ध्यान कर इस प्रकार प्रार्थना की की है प्रभु आपने जो कुछ किया वह सब लोगों के लिए शुभ हो गिरजा भी बहुत उदास होकर शिवजी का स्मरण करने लगे उसे समय गिरजा की चिंता को देखकर शिव जी ने सप्त ऋषियों का स्मरण किया शिवजी की आज्ञा का पालन करने के लिए हुए शीघ्र ही आ पहुंचे हुए अपने संपूर्ण शरीर पर भस्म लगाए थे तथा हाथों में माला लिए थे हुए अपने मुख से शिव शिव उच्चारण कर रहे थे उन्होंने आते ही शिव को प्रणाम किया था तो प्रांत हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए बोले हे प्रभु आप हमें क्या आ गया देते हैं यह सुनकर शिवजी ने उत्तर दिया है ऋषियों तारक दैत्य के संघार के निमित्त हमने गिरिजा के साथ विवाह करने का निश्चय किया है अब वह समय निकट है अस्तु तुम हिमाचल के निकट जाकर उसे तथा उसकी स्त्री से हमारे विवाह के लिए कहो हे नारद यह सुनकर सप्त ऋषि अत्यंत प्रसन्न हो परस्पर यह कहने लगे कि हमारे भाग्य धन्य जो सृष्टि का उपकार करने के निर्माता शिवजी अपने विवाह का संदेश पहुंचने के लिए हमें हिमाचल के पास भेज रहे हैं इस प्रकार का करो हिमाचल के समीप जा पहुंचे हिमाचल ने उसे दंडवत प्रणाम करके उपरांत आने का कारण पूछा उसे समय सप्त ऋषियों ने उत्तर दिया यह हिमाचल शिवजी संपूर्ण सृष्टि के पिता हैं और गिरजा सब की माता है संसार के कल्याण करने की निर्माता शिवजी गिरिजा के साथ विवाह करना चाहते हैं अस्तु तुम गिरजा का शिव जी के साथ विवाह कर दो इस संबंध में ब्रह्मा जी ने शिव जी से बड़ी प्रार्थना की थी तथा गिरिजा ने भी कठिन तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया तब शिवजी यहां विवाह करने को प्रस्तुत हुए हैं जिस शब्द ऋषि हिमाचल ने इस प्रकार की बातें कर रहे थे उसी समय अगस्त्य ऋषि की पत्नी लोपामुद्रा तथा वशिष्ठ मुनि की पत्नी अधूरी भी मैं के समीप जा पहुंचे उन्होंने देखा कि मैं महा मालिन वस्त्र पहने अत्यंत दुख हो को भवन के भीतर पृथ्वी पर पड़ी हुई है यह देखकर उन्होंने मैं से कहा यह महीना तुम उठकर हमारी बात सुनो ऋषि पत्नियों को देखकर मैंने तुरंत उठ बैठी और बोली मेरे धन्य भाग्य है जो आपने यह पधार कर मेरे ऊपर कृपा किया आप मुझे कोई आज्ञा प्रदान करने की कृपा करें यह सुनकर और उदिति ने कहा है मैं देखा हिमाचल गिरजा का विवाह शिव जी के साथ करना चाहती हैं तुम इसे ऑपरेशन क्यों हो क्या तुम शिवजी को नहीं पहचानती की हुए तीनों लोगों के स्वामी और सबसे श्रेष्ठ हैं इस प्रकार शिवजी की महिमा का बहुत कुछ वर्णन करने के उपरांत दोनों ऋषि पत्तियों मैं को साथ ले हिमाचल की सभा में जा पहुंची वहां पहुंचकर मैं ने सख्त ऋषियों को प्रणाम किया फिर वह अपने पति के चरणों का ध्यान धरती हुई अथॉरिटी के समीप बैठ गई उसे समय सप्त ऋषि ने हिमाचल से इस प्रकार कहा

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Brahma Ji said, O Narad, seeing this condition, all the people of Himachal's family and the residents of the city became very worried. Even the gods were saying to each other, what happened, then all the men and women meditated on Lord Shiva and prayed in this way, O Lord, whatever you have done should be auspicious for all the people. Girja also became very sad and started remembering Shiva. Seeing Girja's worry at that time, Shiva Ji remembered the Sapta Rishis. They reached there soon to obey Shiva's order. They had applied ashes on their whole body and were holding a garland in their hands and were chanting Shiva, Shiva with their mouth. As soon as they came, they bowed to Shiva and prayed with folded hands, O Lord, what have you given us? Hearing this, Shiva Ji replied, O Rishis, for the destruction of Tarak demon, we have decided to marry Girija. Now that time is near. Therefore, you go near Himachal and tell him and his wife for our marriage. O Narad, hearing this, the Sapta Rishis became very happy. They started saying to each other that we are blessed that the creator of the universe, Shivji, is sending us to Himachal to convey the message of his marriage. Do this. We reached near Himachal. Himachal bowed down to him and asked the reason for coming. At that time the Sapta Rishis replied that this Himachal. Shivji is the father of the entire universe and Girija is the mother of all. Shivji, the creator of the universe, wants to marry Girija. So you marry Girija to Shivji. Brahma ji had prayed to Shivji in this regard and Girija also pleased him by doing a tough penance. Then Shivji has come forward to marry here. When Rishi Himachal was talking like this, at the same time, Agastya Rishi's wife Lopamudra and Vashishtha Muni's wife Adhuri also reached near me. They saw that I was lying on the ground inside the building in great pain, wearing Maha Malin clothes. Seeing this, they said to me that you get up and listen to us. Seeing the Rishi wives, I immediately sat up and said I am blessed that you have come here and blessed me. Please be kind enough to give me some orders. On hearing this Uditi said, I have seen that Himachal wants to marry Girja with Lord Shiva. Why are you ordering her? Don't you recognize Lord Shiva who is the master of all three worlds and the best? In this way, after describing the greatness of Lord Shiva, both the sages reached the assembly of Himachal taking the husband along with them. Reaching there she bowed to the sages and then she sat near the authority, meditating on the feet of her husband. At that time Sapta Rishi said to Himachal thus

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