ब्रह्मा जी बोले हे नारद शिव जी ने हिमाचल को अपना मुंह स्वरूप दिखाया कि शीश पर जाता तथा गंगा की पवित्र धारा मस्तक पर चंद्रमा एवं त्रिकोण चंद्र के समान सुंदर मुख लालिमा लिए हुए तीनों नेत्र की समान नासिक अरुण आधार कार्ड में संवाद लिए हुए तीन रेखाएं गले में हार पहना चार भुजाएं सूर्य कृपाल अभय आदि नाना प्रकार से वस्त्र आभूषणों से अलंकृत उधर अत्यंत कोमल जिसमें तीन बोल पड़े हुए हैं अत्यंत सुंदर कती लाल कमल के समान लाल पेंटल गोल निवृत्ति रक्तबीन नाग आदि थे हिमाचल ने ऐसा मनोहर विचित्र स्वरूप देखा अत्यंत आचार्य जीवित होकर जाना किया सदाशिव है जब सदाशिव में जाना कि हिमाचल ने हमको पहचान लिया तो उन्होंने तुरंत इस योगी का रूप धारण कर लिया तथा पुनः हिमाचल से पार्वती को पाने की इच्छा प्रकट की उसे समय हिमाचल ने तुरंत ही प्रणाम कर सब स्वीकार कर लिया उसे समय प्रसाद योगी जब अंतर ध्यान हो गए तब महीना और हिमाचल ने खेत में आकर शिव को सर्वश्रेष्ठ जाना देवताओं ने भी अपने हृदय में निश्चित धराया की शिव एवं पार्वती का विवाह उनको समस्त संसार को तथा पार्वती के माता-पिता को शुभदायक होगा इसी इच्छा से उन सभी देवताओं ने हिमाचल के गुरु के घर जाकर उसको प्रणाम किया तथा कहा है देव इस समय शिव के चरित्र से महिला एवं हिमाचल ने शिव को सर्वश्रेष्ठ समझ लिया अब आप वहां जाकर ऐसा प्रयत्न करें जिससे शिव तथा पार्वती का विवाह हो जाए यह सुनकर गुरु अत्यंत क्रोधित होकर दोनों हाथ कान पर रख कर बोले है देवता तुम बड़े स्वार्थी हो तुम हमारी यह सेवा करते हो जिससे हमको नरक प्राप्त हो जो मनुष्य विष्णु महादेव ब्रह्मा आदि देवता ब्राह्मण अपने गुरु गांव तुलसी पुराण गंगा वेद माता गायत्री के वेद एवं दान की निंदा करता है वह निषेध मार्ग में जाकर असम का कल्पों तक दुख तथा कष्ट भोक्ता है यदि तुम यह कार्य करना आवश्यक समझते हो तो तुमको चाहे की ब्रह्मा के पास जाकर उनसे सहायता मांगों तथा तुम भी अपनी बुद्धि के अनुसार कोई उपाय करो परंतु अपने मन मे शिव के चरणों का ध्यान अवश्य रखो हमें पूर्ण विश्वास है कि ब्रह्मा अनुरोध तीर्थ तथा सप्त ऋषि के साथ जाकर हिमाचल को समझाएंगे हमको अपने तपोवल से यह भी पूर्ण विश्वास है की पार्वती को शिव के अतिरिक्त और कोई प्राप्त नहीं कर सकता यह कह कर गुरु चुप हो गए
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Brahma Ji said, O Narada, Shiv Ji showed his face to Himachal, that there was holy stream of Ganga flowing on his head, moon and triangle on his forehead, beautiful face like moon, redness, three lines like Nasik Arun Aadhar card, communication in three eyes, wearing a necklace around the neck, four arms, Surya Kripal Abhay etc., adorned with various types of clothes and ornaments, on the other hand, very soft, in which three words are lying, very beautiful, red like lotus, red pantal, round, red-colored snake etc. Himachal saw such a beautiful and strange form, he knew that he is Sadashiv, when Sadashiv came to know that Himachal has recognized us, he immediately took the form of this Yogi and again expressed his desire to get Parvati from Himachal, Himachal immediately bowed to him and accepted everything, when he became Prasad Yogi, then Mahina and Himachal came to the field and recognized Shiv as the best, the Gods also decided in their hearts that the marriage of Shiv and Parvati will be auspicious for them, the whole world and the parents of Parvati, with this wish, all those Gods went to the Guru's house of Himachal and bowed to him and said, Dev, at this time Due to Shiva's character, the woman and Himachal considered Shiva to be the best. Now you should go there and make such efforts so that Shiva and Parvati get married. Hearing this, the Guru became very angry and putting both hands on his ears said, "O God, you are very selfish. You serve us in such a way that we go to hell. The person who criticizes Vishnu, Mahadev, Brahma, etc. Gods, Brahmins, his Guru, village, Tulsi Purana, Ganga, Veda, Mata Gayatri's Vedas and donations, he goes on the prohibited path and suffers pain and suffering for eons of Assam. If you think it necessary to do this work, then you should go to Brahma and ask for his help. You can also do some remedy according to your intelligence, but do meditate on Shiva's feet in your mind. We have full faith that Brahma will go with Anuradha Teerth and Sapta Rishi and make Himachal understand. I also have full faith from my penance that no one can get Parvati except Shiva. Saying this, the Guru became quiet.
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