श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 40


ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद हमारी इस प्रकार स्तुति एवं प्रार्थना को सुनकर शिवजी बोल ही ब्रह्मा तथा है विष्णु तुम सब देवताओं को साथ लेकर जिस कार्य के लिए आए हो वह हमसे स्पष्ट कहो हम तुम्हारे मनोरथ को अवश्य पूरा करेंगे यह सुनकर मैं कथा विष्णु जी ने फिर इस प्रकार कहा हे प्रभु आप संपूर्ण देवताओं के स्वामी हैं आप सबके मन की बात जानते हैं और अपने स्थान पर बैठे हुए तीनों लोक की घटनाओं को देखते रहते हैं वास्तु आप इस प्रकार अनजान बनकर हमसे क्यों पूछ रहे हो फिर भी जब आपकी आज्ञा है तो हम यह प्रार्थना करते हैं कि नारद जी ने उपदेश ग्रहण कर गिरजा अत्यंत कठिन तपस्या कर रही है उन जैसा कठोर तब आप तक किसी ने नहीं किया है आप अब आपको उचित है कि आप उसके पास जाकर इच्छित वरदान दें हम सब लोग किया प्रबल इच्छा है कि हम गिरजा के साथ आपके विवाह का आनंद लब करें और उसकी बारात में बाराती बनकर सम्मिलित हो हे नारद हम लोगों की यह प्रार्थना सुनकर शिवजी हंस कर बोल ही देवताओं विवाह करके सांसारिक जाल में फंसना मूर्खों का काम है यह डीपी वेद में इस संबंध में बहुत सी बातें कही है परंतु उनमें सबसे मुख्य बात ध्यान में रखने योग्य है कि स्त्री की संगति के समान बुरा कर्म और कोई नहीं है परंतु हम तुम्हारा कहना भी नहीं टाल सकते क्योंकि यदि आप अपने भक्तों की बात ना माने तो वेद और धर्मशास्त्र की प्रतिष्ठा कम होगी वस्तु चाहे हमें बहुत दुख ही क्यों ना उठाने पड़े फिर भी हम गिरजा की तपस्या के वशीभूत होकर तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार किया लेते हैं तुम यह तो जानते ही होंगे कि जब राजा कामरूप में इच्छा की तब हमें दैत्य को मारकर उसने आनंद प्रदान किया था इसी प्रकार गौतम के दुख को भी दूर किया था जब हलाहल 20 के कारण सब देवताएं भस्म हुए जा रहे थे उसे समय हमने कृपा करके उसे 20 को भी पी लिया था विष्णु जी के रामचंद्र अवतार के समय हमने हनुमान का अवतार लेकर अनेक दुख उठाए थे इसी प्रकार जब-जब हमारे भक्तों पर कोई कष्ट पड़ता है तब तब हमने स्वयं दुख उठाकर उसे आनंद प्रदान किया है जिस प्रकार हमने ग्रहपति नामक अवतार लेकर विश्व मित्र मुनि के दुख को दूर किया इस प्रकार अब तुम्हारे लिए भी हम गिरजा के साथ विवाह कर लेंगे क्योंकि हमने भक्तों की प्रार्थना को कभी आशीर्वाद नहीं किया है अब तुम सब लोग निश्चित होकर अपने-अपने लोग को जाओ हे नारद हम सबको विदा करने के उपरांत शिव जी ने सप्त ऋषियों को अपने पास बुलाया तब उन्होंने शिव जी के समीप पहुंचकर दंडवत प्रणाम एवं स्तुति करते हुए हाथ जोड़कर कहा हे प्रभु आपने हम में किस लिए बुलाया है अब आप हमें क्या आज्ञा देते हैं वह बताएं हम उसका पालन करेगा यह सुनकर शिवजी उनसे बोल ही ऋषियों गिरजा हमें प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन तपस्या कर रही है अस्तु तुम उसके प्रेम की परीक्षा लेने के लिए उसके पास जाओ और उसने चलने का प्रयास न करो शिवजी की यह आज्ञा पाकर सप्त ऋषि गिरिजा के समीप जा पहुंचे और यह देखा कि वह साक्षात तपस्या का रूप बनी बैठी है उसे समय ऋषियों ने अपने चतुराई का प्रदर्शन करते हुए उनसे यह कहा है गिरजे तुम ऐसा तब क्यों कर रहे हो कि किसी कार्य के लिए ऐसे कठिन साधना में साल नॉन हो तुम हमसे सब हाल सत्य सत्य कहो ऋषियों की बात सुनकर पार्वती ने उत्तर दिया है ऋषियों मुझे अपना मनोरथ खाने में राजा का अनुभव होता है क्योंकि आप उसे सुनकर अवश्य ही हसेंगे फिर भी मैं आपको बताती हूं कि देवता तथा मुनियों के वचन को सत्य मन कर शिवजी के साथ विवाह करने की इच्छा से यह तपस्या कर रहे हैं

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Brahma Ji said, O Narada, on hearing our prayers and praises, Shiv Ji said, O Brahma and Vishnu, tell us clearly the work for which you have come with all the gods, we will surely fulfill your desire. On hearing this, I narrated the story. Vishnu Ji then said, O Lord, you are the master of all the gods. You know what is in everyone's mind and you keep watching the events of the three worlds while sitting at your place. Why are you asking us like an ignorant person? Still, when you have given your order, we pray that Narada Ji, after taking the teachings, Girja is doing a very difficult penance. No one has done as hard a penance as you have done. Now it is appropriate for you to go to her and grant her the desired boon. We all have a strong desire to enjoy your marriage with Girja and join her wedding procession as a baraati. O Narada, on hearing our prayers, Shiv Ji laughed and said, O gods, getting married and getting trapped in the worldly trap is the work of fools. Many things have been said in this regard in DP Veda, but the most important thing to be kept in mind is that one should be careful about the company of a woman. There is no other deed as bad as this, but we cannot ignore your request because if you do not listen to your devotees, the prestige of Vedas and religious texts will be diminished. Even if we have to suffer a lot, we accept your request under the influence of Girja's penance. You must be knowing that when King Kamrup wished, he gave us happiness by killing the demon. Similarly, Gautam's sorrow was also removed when all the gods were being burnt to ashes due to the poison of Halahal, at that time we graciously drank it too. During the Ramchandra incarnation of Vishnu ji, we took the form of Hanuman and suffered a lot. Similarly, whenever our devotees are in trouble, we have suffered ourselves and given them happiness. Just as we took the form of Grahapati and removed the sorrow of Vishwamitra Muni, similarly, for your sake also, we will marry Girja because we have never blessed the prayers of devotees. Now all of you go to your respective places with peace of mind. O Narada, after bidding us farewell, Shiv ji told the Sapta Rishis When they called him near Shiv ji, they went near him, bowed down and praised him with folded hands and said, O Lord, why have you called us among you? Now tell me what command you give us, I will follow it. On hearing this, Shiv ji said to them, Rishis, Girija is doing very tough penance to get us, so you go to her to test her love and she should not try to leave. On receiving this command from Shiv ji, the Sapta Rishis went near Girija and saw that she was sitting in the form of penance. At that time, the Rishis, while showing their cleverness, said to her, Girija, why are you doing this, when you are not doing such a difficult meditation for a task, you tell us the whole truth. On hearing the Rishis, Parvati replied, Rishis, I feel like a king in fulfilling my wish, because you will surely laugh on hearing it, still I tell you that considering the words of Gods and sages as true, you should do this penance with the desire to marry Shiv ji. are

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