श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 34



ब्रह्मा जी ने कहा है नारद जब देवताओं ने राक्षसों द्वारा पीड़ित होकर अनेक प्रकार के दो पुत्र गए तो एक परस्पर इस प्रकार करने लगे कि हम किसके पास जाकर अपना दुख कहें सूर्य और चंद्रमा जो संसार के जीवन आता है वह स्वयं भी इस समय तारक की सेवा करते रहते हैं पता नहीं यह आदित्य हमें कब तक दुख देते रहेगा इस समय हमारा कौन सहायक है जिसके पास जाकर हम अपना दुख सुनाएं इस प्रकार देवताओं ने दुख में डूब कर बहुत चिंता की अंत में हुए सब एकत्र होकर इंद्र तथा बृहस्पति को साथ लेकर मेरे पास आए और मेरी स्तुति तथा पूजा करने लगे देवताओं की प्रार्थना सुनकर मैं उनसे कहा है देवताओं में तुम लोग को अत्यंत दुखी तथा चिंतित देख रहा हूं इंद्र के मुख पर कोई भी तेज दिखाई नहीं देता है पुत्रों तुम मुझे अपने यहां आने का सब कारण का सुनो यह नारद मेरी बात सुनकर देवताओं की ओर से बृहस्पति ने मुझसे कहा है पिता तारक नामक दैत्य ने शिवजी से वरदान प्राप्त कर तीनों लोग को अपने वश में कर लिया है उसके भाई से सूर्य ने भी अपनी तेज को ठंडा कर लिया तथा चंद्रमा भी अपनी संपूर्ण कलाओं सहित उसकी सेवा में हर समय उपस्थित रहता है सभी वस्तुएं उसकी सेवा में बनी रहती है और फल फूलों को उत्पन्न कर उसे संतुष्ट रखती है इंद्र भी उसकी बहुत प्रकार से सेव किया करते हैं इस प्रकार सभी देवता उनके सेवक बने हुए हैं परंतु वह किसी के ऊपर कोई कृपा नहीं दिखता जिन देव वर्षों की पत्तियों को देव स्त्री बहुत समझकर तोड़ती थी उन वृक्षों को तर्क के साथी जड़ से उखाड़ कर फेंक देते हैं जिस समय वह चयन करता है उसे समय देवताओं की स्त्रियां अपनी नेत्रों से आंसू बहती हुई उसकी स्तुति करने को विवश होते हैं उनकी भरम से देवता अपने लोक की ओर आंख उठाकर भी नहीं देख सकते हुए स्वयं ही यज्ञ का भाग ले लेते इंद्र को भी कोई कुछ नहीं गिनता जिस प्रकार संपर्क हो जाने पर कोई औषधि काम नहीं देते इस प्रकार भगवान विष्णु के जी चक्र पर हमें बड़ा भारी भरोसा था वह इन दोनों व्यर्थ हो गया है ही पिता आप हमारे दुख को दूर करने के लिए कोई उपाय करें

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Brahma Ji has said that Narad, when the Gods were troubled by the demons, they had two sons, one after the other, started arguing with each other that to whom should we go and tell our sorrows. The Sun and the Moon, who are the life of the world, themselves serve Tarak at this time. We don't know how long this Aditya will keep giving us troubles. Who is our helper at this time, to whom we can go and tell our sorrows. In this way, the Gods were very worried and immersed in sorrow. Finally, all of them gathered and came to me along with Indra and Brihaspati and started praising and worshiping me. After listening to the prayers of the Gods, I told them that among the Gods, I see you all very sad and worried. There is no radiance visible on Indra's face. Sons, listen to the reason for my coming to your place. After listening to me, Brihaspati told me on behalf of the Gods that father, a demon named Tarak, after getting a boon from Lord Shiva, has brought all the three worlds under his control. Due to his brother, the Sun also cooled down its radiance and the Moon also remains present in his service with all its phases all the time. All things remain in his service and keep him satisfied by producing fruits and flowers. Indra also serves him in many ways. In this way all the gods have become his servants, but he does not show any mercy on anyone. The leaves of the Dev Varshas which the women of the gods plucked with great understanding, those trees are uprooted from the roots and thrown away by the companions of logic. Whenever he makes a choice, at that time the women of the gods are forced to praise him with tears flowing from their eyes. Due to their illusion, the gods cannot even look at their world and they themselves take part in the yajna. No one considers Indra as anything, just as no medicine works after coming in contact. In this way we had a lot of faith in the Ji Chakra of Lord Vishnu, that has gone in vain. Father, please do something to alleviate our sorrow.

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