श्री शिव महापुराण कथा तृतीय अखंड अध्याय 33



इतनी कथा सुनकर नारद जी ने कहा है पिता वरदान पाकर तारक ने क्या किया वह सब वृतांत आप मुझे सुनने की कृपा करें ब्रह्मा जी बोले ही पुत्र वरदान पाकर तारक में अपने घर लौट आया और उसने अपनी स्त्री से संपूर्ण वृतांत का सुनाया उसे समय सब दैत्य ने एकत्र होकर तर्क को अत्यंत निष्ठा तथा अपना स्वामी स्वीकार करते हुए उसकी बहुत प्रकार से स्तुति प्रशंसा किया था तो प्राण तारक ने सब असुरों की एक बड़ी सी इकट्ठी की उसमें करोड़ बलशाली असुर योद्धा थे उसे सेवा के 10 मुख्य सेनापति थे जिसके नाम इस प्रकार है कुंभक कुंज महेश ऊंजर कालनेवी नमी कृष्णा जातर राजक शंभू तथा कल केतु जो डेट इन संपूर्ण सेवा का प्रधान सेनापति था उसका नाम ग्रेसन था यह सब असुर युद्ध अपने सामने तीनों लोग को तुच्छे समझते थे इस सेवा को लेकर तारक ने सबसे पहले इंद्र पर चढ़ाई का दुकान देवलोक को चारों ओर से घेर लिया हे नारद उसे समय देवता तथा देवताओं ने घोर युद्ध होने लगा जिसमें अनेक प्रकार के अस्त्र शस्त्र का प्रयोग हुआ तर्क से इंद्र ने युद्ध थाना नाभि से अग्नि आप मिले कल में भी तथा यमराज आमने-सामने हुए नमुचि तथा स्क्रीन के परस्पर युद्ध करते हुए अपनी अपनी विजय की कामना की महिषासुर तथा वरुण ने एक दूसरे को करने के लिए शस्त्र धारण कीजिए इस प्रकार सभी व्यक्तियों ने और देवता अपनी अपनी जोड़ी देखकर आपस में युद्ध करने लगे हे नाथ उसे समय तारक में अपना तेज प्रगति करके इंद्र को परास्त कर दिया था तो प्रांत हुआ विष्णु जी के समझ जा पहुंचा तर्क के इस प्रताप को देखकर विष्णु जी के समझ जा पहुंचा तर्क के इस प्रताप को देखकर विष्णु जी ने पहले तो बहुत आश्चर्य किया फिर शिवजी के वरदान की महिमा समझ कर युद्ध क्षेत्र में अंतर ध्यान हो गई इस प्रकार तारक ने उसे युद्ध में विजय पाकर शब्द होता है को बंदी बना लिया था दो प्रांत हुआ उन्हें अपने राजधानी में ले आया और बंदी ग्रीन में डालकर उनके अनेक प्रकार की यातनाएं देने लगा जिस स्थान पर महंगी समुद्र में जहां मिली है उसे स्थान पर तर्क की राजधानी थी इस प्रकार वह देवता तथा देते इकट्ठे होकर रहने लगे तारक में निर्भय होकर अपने देश को अलग-अलग भागों में बाहर दिया और उनका राज और सूर्य को सौंप दिए जहां हुए अपने परिवार तथा मित्रों सहित आनंद का उपयोग करने लगे इस प्रकार विष्णु जी के स्थान पर तर्क स्वयं ही तीनों लोकों का स्वामी बन बैठे उसने अग्नि की पत्नी नाभि को होती तथा कॉल नेवी को यमराज के स्थान पर नियुक्त किया तदुपरांत उसने निरीसित पाठक नाभूची को वरुण का महिमा और को पवन का मैप को कुबेर का पक्ष को इंद्र पोएम वन को अधिपति का शुभ को ब्रह्मा का कुंभ को तथा मित्र का पद हुजुर्ग को दिया इस प्रकार उसने सब देवताओं के पद पर देता हूं को प्रतिष्ठित कर दिया वह सब असुर संसार के स्वामी बनाकर राज करने लगे उनके राज्य में देवताओं के अतिरिक्त अन्य कोई भी प्राणी दुखी नहीं था वस्तु कुछ समय बीतने पर विष्णु जी ने छिपे हुए देवता में के पास जाकर यह कहा कि देवताओं शिवजी का भक्त होने के कारण तारक अत्यंत बलवान तथा प्रतापी इसलिए वह तुमसे कभी प्राप्त नहीं होगा मैं बहुत कुछ विचार करने के उपरांत या निश्चय किया है कि तुम सब लोग अपना मनोरथ प्राप्त करने के लिए उसकी सेवा करना आरंभ कर दो तुम नाटक का रूप धारण करके उसके पास जाओ और अपने कौशल द्वारा उन्हें प्रसन्न करो जब वह प्रसन्न हो जाए तब तुम्हें अवश्य छोड़ देंगे दादू प्राण सब देवता नाटक का रूप धारण कर तारक के पास जा पहुंचे और उनसे ऐसी बातें की जिसके कारण वह अत्यंत प्रसन्न हो गए तब तारक ने देवताओं से कहा है देवताओं तुम जो चाहे वह मुझसे मांग लो या सुनकर देवताओं ने प्रार्थना की की है असुर राज यदि आप हम पर प्रसन्न हैं तो देवताओं को अपने बंदी गिरी से मुक्त कर दीजिए देवताओं को इस प्रार्थना को स्वीकार कर तारक न्यू के सभी साथियों को बंदी गिरीश मुक्त कर दिया तब वह भी अपने लोग को चले गए हैं नारा तर्क के राज्य में देवताओं के अतिरिक्त और कोई दुखी नहीं था यह बात तुम्हें भली भांति जान लेनी चाहिए

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After listening to this story Narad ji said that father, after getting the boon, please let me hear the whole story of what Tarak did. Brahma ji said that son, after getting the boon, Tarak returned to his home and narrated the whole story to his wife. At that time all the demons gathered and accepted Tarak as their lord with utmost devotion and praised him a lot. Then Tarak gathered a big group of all the demons and there were crores of powerful demon warriors in it. He had 10 main commanders in his service whose names are as follows - Kumbhak Kunj, Mahesh Unjar, Kalnevi, Nami Krishna, Jatar, Rajak Shambhu and Kal Ketu. The chief commander of this entire service was named Grayson. All these demons considered all the three people insignificant in front of them. Taking this into account, Tarak first attacked Indra and surrounded Devlok from all sides. O Narad, at that time a fierce battle started between the gods and the gods in which many types of weapons were used. Indra fought with Tarak, Agni met him from his navel and Yamraj also met him. Namuchi and Varuna came face to face and fought with each other and wished for their victory. Mahishasura and Varuna took up arms to fight each other. In this way all the people and gods started fighting with each other after seeing their respective pairs. O Lord, at that time Tarak defeated Indra by making great progress. Seeing this power of Tarak, Vishnu ji was very surprised at first, then understanding the glory of Shiva's boon, he became absorbed in the battle field. In this way, Tarak after winning the battle, made him captive. He brought him to his capital and put him in prison and started torturing him in many ways. The place where the Ganges was found in the ocean was the capital of Tarak. In this way, the gods and gods started living together. Tarak fearlessly divided his country into different parts and handed over their rule to Surya, where he started enjoying with his family and friends. In this way, instead of Vishnu ji, Tarak himself became the lord of the three worlds. He appointed Agni's wife Nabhi as Hoti and Call Navi in ​​place of Yamraj. Thereafter he gave the glory of Varun to Nabhuchi, the glory of Pawan, the side of Kuber, Indra Poem Van, the position of ruler, Shubh of Brahma, Kumbh and the position of Mitra to Hujurg. In this way he established the gods on the position of all the gods. All the demons became the masters of the world and started ruling. In their kingdom, no other creature except the gods was unhappy. After some time, Vishnu ji went to the hidden god and said that gods, Tarak is very powerful and majestic because he is a devotee of Lord Shiva, so you will never get him. After thinking a lot, I have decided that all of you should start serving him to achieve your desire. You should go to him in the form of a drama and please him with your skills. When he becomes happy, he will definitely release you. Dadu Pran, all the gods went to Tarak in the form of a drama and talked to him in such a way that he became very happy. Then Tarak said to the gods. You can ask me for whatever you want or after listening to this the Gods prayed that Asura King if you are pleased with us then release the Gods from your captivity. The Gods accepted this prayer and released all the companions of Tarak Narayan from captivity. Then he also went to his people. Apart from the Gods no one else was unhappy in the kingdom of Nara Tark. You should know this very well.

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