ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद अपनी स्त्री के मुख से यह शब्द सुनकर बजरंग ने अपने मन में दुखी होकर यह विचार किया कि अब मुझे क्या करना चाहिए मेरी पत्नी तो देवताओं से सफलता करना चाहती है मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि मुझे क्या करनी उचित है और क्या अनुचित है नियम यह है कि यदि स्त्री का मनोरथ पूर्ण हो जाए तो वह अत्यंत सुख देने वाले होती है जिसके कारण तीनों लोक में किसी को ऑपरेशन का नहीं होती है इसके विपरीत जो स्त्री के मनोरथ को पूरा नहीं करता तो वह भी लोक में बहुत दुख पता है और अंत में नर्क में गिरता है इस विचार से बजरंग बहुत दुखी होकर तपस्या करता रहा बहुत समय तक वह इस अवस्था में बैठा रहा अंत में माय उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान देने के लिए पास पहुंचा उसे समय उसे मेरी बहुत स्तुति करते हुए यह मांग की की मेरे एक ऐसा पुत्र उत्पन्न हो जो परम तेजस्वी बलवान तथा अपने माता को आनंद देने वाला सिद्ध हो माय उसे चित वरदान देकर अपने लोग को लौट आया तब बजरंग ने भी अपने घर पहुंच कर बजरंग को वरदान पाने का सब हल्का सुनाया हे नाथ उसे समय बाद वरंगिणी गर्भवती हुई उसके गर्व से जब बालक उत्पन्न हुआ उसे समय संसार में अनेक प्रकार के उपग्रह होने लगे पृथ्वी पर भूकंप आने लगी आकाश से तारे टूट टूट कर गिरने लगे इस प्रकार उसे डुगड़ाई बालक ने जन्म लिया बजरंग ने नियम अनुसार जाट कर्म आदि संस्कारों को संपन्न किया उसकी माता को भी अत्यंत प्रसन्नता हुई वह बालक अपने माता-पिता के दुख को दूर करने के लिए उत्पन्न हुआ था इसलिए उसका नाम तर्क रखा गया है नारद उसे समय बाद जब बालक बड़ा हुआ तब उसे अपने माता की आज्ञा से पारिजात पर्वत पर जाकर तीनों लोकों को विजय करने की इच्छा से तप करना आरंभ कर दिया वह 100 वर्ष तक पांव के अंगूठे के बल खड़ा रहकर तपस्या करता रहा गर्मियों के दिन में वह अग्नि में प्राप्त तथा अन्य वस्तुओं में वन में बैठा रहा जाड़े के दिन में उसे पानी के भीतर खड़े होकर तपस्या की उसकी इस कठिन तपस्या को देखकर भी जब शिवजी प्रसन्न हुए तब उसे आसुरी यज्ञ करना आरंभ कर दिया और उसने अपने शरीर को काट काट कर अग्नि में हवन करने का व्रत लिया जब उसकी इस कठिन तपस्या से तीनों लोग जलने लगी उसे समय सब देवताओं ने मेरे पास आकर अपने दुख को सुनते हुए कहा के उदाहरण तीनों लोक में यह कैसी आदमी फैल रही है हम सब लोग इसमें पढ़कर भस्म हो जाएंगे वस्तु आप हमारी रक्षा करने की कृपा करें
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Brahma Ji said, O Narada, on hearing these words from his wife, Bajrang became sad and thought that what should I do now. My wife wants to pray to the Gods. I am not able to understand what is right and what is wrong. The rule is that if a woman's wish is fulfilled, she gives immense happiness, due to which no one has to face any problem in the three worlds. On the contrary, the one who does not fulfill the wish of a woman also has to face a lot of pain in this world and finally falls into hell. With this thought, Bajrang became very sad and kept doing penance. For a long time, he sat in this state. At last, pleased with his penance, Maa came near him to give him a boon. While praising Maa, he asked that a son be born to him, who is extremely radiant, strong and gives joy to his mother. Maa gave him the boon and returned to her people. Then Bajrang reached his home and told Bajrang all the details about getting the boon. O Nath. After some time, Varangi became pregnant. Due to her pride, when the child was born, he got many types of satellites in the world. Earthquakes started happening on the earth, stars started falling from the sky. Thus a child named Duggari was born. Bajrang performed the rituals of Jaat Karma etc. as per the rules. His mother was also very happy. That child was born to remove the sorrow of his parents, hence his name was kept as Tark. After some time when the child grew up, he went to Parijat mountain by his mother's order and started doing penance with the desire to conquer the three worlds. He kept doing penance by standing on his toes for 100 years. In summers, he sat in the forest in fire and other things. In winters, he did penance by standing in water. Seeing his difficult penance, Shiv ji was pleased, then he started doing demonic yagya and he took a vow to cut his body and do havan in the fire. When all the three worlds started burning due to his difficult penance, at that time all the gods came to me and told me their sorrow and said, what kind of a thing is spreading in the three worlds, we all will be burnt to ashes by reading it. Please protect us.
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