श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 30



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद एक समय शिव जी ने यह इच्छा की कि हम परिश्रम पूर्वक तब करें तथा अपने नाम का स्वयं स्मरण करें यह विचार कर वे अपने घरों सहित हिमाचल पर्वत की ओर चले जब वह हिमाचल पर्वत पर पहुंचे तो उन्हें डमरू को बजाना आरंभ कर दिया उसे स्थान पर गंगा जी की धारा बह रही थी और औषधीय का केंद्र होने के कारण वह औसत विद्यालय प्रश्न के नाम से प्रसिद्ध थी वहां पक्षी मधुर ध्वनि में चहचहाते थे तथा अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे पुष्पा खिले हुए थे उसे श्रेष्ठ स्थान को देखकर शिवजी तप करने की इच्छा से वहीं बैठ गए और अपने स्वरूप का ध्यान धरने लगे उन्होंने कुंभक रेचक तथा मूर्ख इन तीनों प्रकार के प्राणायाम को करना आरंभ कर दिया उसके नदी ब्रिंग आदि गन भी शिवजी का ध्यान धरते हुए इस स्थान पर बैठ गए हे नारद जब हिमाचल ने भगवान सदा शिव के आगमन का समाचार सुना तो बड़ी सजा सज धज के साथ उसके समीप जा पहुंचे फिर शिवजी की बहुत प्रकार की स्तुति प्रशंसा करते हुए बोले हे प्रभु मेरे जो आप यहां पधारे हैं अब आप मुझे कोई आज्ञा दीजिए जिसका पालन करके मैं कृतार्थ हो जाऊं यह सुनकर शिव जी ने हंसते हुए कहा है पर्वत राज हम यहां तपस्या करने के लिए हाय हाय और कुछ दिन तक यहां निवास करेंगे हम केवल यही चाहते हैं कि जब तक हम यहां रहे तब तक हमारे समीप कोई ना आने पाव हिमाचल ने इस आजा को शिरोधारा करते हुए कहा है स्वामी आप जो चाहते हैं वह होगा मेरा यह परम सौभाग्य है कि आपने यह पधार कर मुझे प्रतिष्ठा प्रदान की है इतना कह कर हिमाचल शिव जी की आज्ञा लेकर अपने घर लौट आए और जब जगह यह राजा की आज्ञा घोषित कर दी की अवधारणा प्राप्त पर कोई व्यक्ति न जाने पाए यदि कोई जाए तो वह मृत्यु दंड पाएगा इस आज्ञा के उपरांत हिमाल है अपने पुत्री गिरजा को साथ लेकर फिर शिवजी की सेवा में पहुंचे और उसकी स्थिति प्रशंसा करने के उपरांत बोले हे प्रभु यदि आप आज्ञा दे तो मेरी कन्या गिरजा अपनी सखियों सहित यहां आपकी सेवा करती रहे हे नारद हिमाचल की प्रार्थना सुनकर शिवजी ने गिरजा को सील से पांव तक देखने के उपरांत विचार किया की श्रेष्ठ कार्यों में स्त्री बड़ा स्वरूप आ खड़ी होती है इसलिए उत्तम कार्य करते समय स्त्री को पास रखने का निषेध किया गया है कामदेव का उत्तम शास्त्र स्त्री को यही कहा गया है इसलिए बुद्धिमानों ने स्त्रियों को मा रोग के समान कहा है यह विचार कर शिवजी ने हिमाचल से कहा है है राजन हम तपसियों का स्त्री के साथ रहना शुभ नहीं है स्त्री तप को भ्रष्ट कर डालती है अतः हमें गिरजा का यहां रहना स्वीकार नहीं है शिव जी के मुख से यह वचन सुनकर हिमाचल आश्चर्य चकित रह गया परंतु गिरिजा ने शिवजी को संबोधित कर कुछ बातें कहीं

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Brahma Ji said, O Narada, once Shiv Ji desired that we should work hard and remember our name ourselves. Thinking this, he along with his family members went towards Himachal mountain. When he reached Himachal mountain, he started playing Damru. The stream of Ganga Ji was flowing at that place and being a centre of medicine, it was famous by the name of Awas Vidyalaya Prashna. Birds used to chirp in sweet voice and many types of colourful flowers were blooming there. Seeing that excellent place, Shiv Ji sat there with the desire to do penance and started meditating on his form. He started doing Kumbhak, Rechak and Mooch, these three types of Pranayam. His Nadi Bring etc. Gunas also sat at that place meditating on Shiv Ji. O Narada, when Himachal heard the news of arrival of Lord Sada Shiv, he reached near him with great decoration and then praising Shiv Ji in many ways, he said, O my Lord, now that you have come here, please give me some order, by following which I will be fulfilled. On hearing this, Shiv Ji said, Laughingly he said, “Parvat Raj, we have come here to do penance and will stay here for some days. We only want that till we stay here, no one should come near us.” Himachal bowed to this request and said, “Swami, whatever you want will happen. It is my great fortune that you have come here and honoured me.” Saying this, Himachal returned to his home after taking the permission of Shiv Ji and when he announced the order of the king that no person should be allowed to go to the place of worship, if anyone goes, he will be given death penalty. After this order, Himachal again reached the service of Shiv Ji with his daughter Girja and after praising her status, he said, “O Lord, if you permit, my daughter Girja will continue to serve you here along with her friends.” Hearing the prayer of Himachal, Shiv Ji after looking at Girja from head to toe thought that in good works, women come in a big form, that is why it is prohibited to keep women near while doing good work. This is what the best scripture of Kaamdev has said to women. That is why wise people have said that women are like a disease. Shiv Ji said to Himachal, O King, it is not auspicious for us ascetics to stay with women, women corrupt the penance, so we do not accept Girija staying here. Himachal was astonished to hear these words from Shiv Ji's mouth, but Girija addressed Shiv Ji and said a few things.

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