ब्रह्मा जी ने कहा है नारद एक समय संसार की मंगल कामना करते हुए हम हिमालय के घर पहुंचे थे उसे समय की कथा यह है कि जब हिमाचल में तुम्हारे दर्शन पाए तो उसे अत्यंत प्रेम मांगना होकर तुम्हें दंडवत करते हुए स्तुति एवं प्रशंसा की तदुपरांत उसे गिरजा को बुलाकर तुम्हारे चरणों में डाल दिया और यह कहा है मनी आज आप इस कन्या के गुण दोष का वर्णन करने की कृपा करें या सुनकर तुमने गिरजा की हस्त रेखा को देखते हुए हिमालय को बताया है राजन तुम्हारी पुत्री स्वरूप गुण संपन्न है यह सिलवाहन बुद्धिमान गनमैन रूप वाहन तथा पति को प्रसन्नता प्रदान करने वाली होगी यह आपने माता-पिता के सुयश को दुगना बढ़ाएगी परंतु इसका पति योगी अहंकार ही नगीना वैसे धारी तथा माता-पिता से रहित होगा ही नारा तुम्हारी बात सुनकर हिमाचल अत्यंत चिंतित हुए परंतु गिरजा को बहुत प्रसन्नता हुई क्योंकि वह जानती थी कि ऐसे लक्षण वाले शिवजी ही हैं उन्हें यह विश्वास था कि नारद जी का वचन कभी झूठ नहीं होता इसलिए वह शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने की अभिलाषा से और अधिक प्रसन्न हो गई परंतु उन्होंने प्रसन्नता का कोई लक्षण प्रकट नहीं किया उसे समय हिमाचल ने मुझसे कहा है ऋषिराज आपने तो ऐसे बात बताई जिसे सुनकर मैं चिंतित हो उठा हूं अब आप कृपा करके यह और बताएं कि मुझे गिरजा के वर्क के संबंध में क्या उपाय करना चाहिए यह सुनकर तुमने उत्तर दिया है राजन भाग्य के सम्मुख किसी का वास नहीं चलता फिर भी हम तुम्हें एक उपाय बदलते हैं यदि भाग्य सहायता दे दे तो वह ठीक बैठेगा हमने गिरजा के पति के संबंध में जो गुण बताएं हैं वह सब शिवजी में भी पाए जाते हैं भगवान सदा शिव श्रेष्ठ तथा सब के स्वामी हैं आप अपनी कन्या का विवाह उनके साथ करें मुझे यह भी निश्चय है कि वह स्वयं भी गिरजा की अतिरिक्त किसी अन्य स्त्री के साथ अपना विवाह नहीं करेंगे हे नाथ यह सुनकर हिमाचल ने कहा है मुनिराज शिवजी को तो सब लोग त्यागी कहते हैं तब वह सदैव योग समाधि में मग्न रहते इसके अतिरिक्त तीनों लोक में यह बात भी प्रसिद्ध है कि उन्होंने केवल सती के साथ विवाह करने की इच्छा की है अस्तु तुम मुझे या इसने होता है कि वह गिरिजा को किसी प्रकार स्वीकार कर ले यह सुनकर तुमने उत्तर दिया यह हिमाचल शिवजी कि उन आदर्श शक्ति सती ने ही गिरजा बनाकर तुम्हारे घर में अवतार लिया है तुम इस संबंध में किसी प्रकार संदेह मत करो यह कह कर तुमने हिमाचल को पूर्व वृद्धि डंका सुनाया तब्बू प्रांत तुम गिरजा को श्रेष्ठ व देकर वहां से लोट आए हैं नारद मुझे कुछ दिन बाद जब गिरजा युवावस्था को प्राप्त हुई उसे समय मैं हिमाचल से इस प्रकार कहा यह स्वामी अब आपको गिरजा के विवाह का प्रयत्न करना चाहिए पत्नी की बात सुनकर हिमाचल ने उत्तर दिया है मैं सूर्य चाहे पूर्व की अपेक्षा पश्चिम में उदय होने लगे परंतु नारद जी के वचन कभी मिथ्या नहीं हो सकती है अस्तु तुम संपूर्ण संदेशों को नष्ट कर शिवजी का ध्यान करो और गिरिजा ने यह कहा दो कि वह शिव जी को प्राप्त करने की नियमित तपस्या करें तभी हमारा मनोरथ पूर्ण होगा यह सुनकर मैं के हृदय में धैर्य बांध वह तब वह गिरजा के समीप पहुंचकर उन्हें गोद में बिठाकर रोने लगे प्रेम की अधिकता के कारण उनके मुख से कोई बात नहीं निकलती थी उसे समय गिरिजा ने अपने माता के मनोरथ को पहचान कर इस प्रकार कहा है माता मैं आज स्वप्न मैया देखा है कि मुझे एक मनुष्य इस प्रकार कहा रहा है यह गिरजा तुम वन में जाकर शिवजी की तपस्या करो जिससे तुम्हारे माता- पिता तथा तीनों लोक को आनंद की प्राप्ति होगी नारद का वचन कभी मिथ्या नहीं हो सकता तुम जब तक तपस्या नहीं करोगी तब तक कोई कार्य सिद्ध ना होगा गिरजा के स्वप्न को जब मैं नाता था हिमाचल में सुना हुए अत्यंत प्रसन्न होकर शुभ समय की प्रतीक्षा में रात दिन व्यतीत करने लगे
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Brahma Ji has said that Narad, once while wishing for the welfare of the world, we reached Himalaya's house. The story of that time is that when Himachal got your darshan, he felt immense love for you and bowing down to you, he praised and admired you. After that, he called Girja and put her at your feet and said Mani, today you please describe the qualities and defects of this girl. After listening to this, you have told Himalaya after looking at Girja's palm lines that Rajan, your daughter is full of qualities. She will be a Silvahan, intelligent, gunman, form and vehicle and will give happiness to her husband. She will double the fame of her parents, but her husband will be a Yogi, a jewel of ego and will be devoid of parents. Hearing your words, Himachal became very worried, but Girja became very happy because she knew that only Shivji has such qualities. She believed that Narad ji's words never lie, so she became more happy with the desire to get Shivji as her husband, but he did not show any sign of happiness. Himachal told me about that. Rishiraj you have told me such a thing that I am worried after hearing it. Now please tell me what measures should I take regarding Girija's work. Hearing this you replied, Rajan no one can survive in front of fate. Still we will change one measure for you. If fate helps then it will be fine. The qualities that we have told about Girija's husband are also found in Shivji. Lord Sada Shiv is the best and the master of all. You should marry your daughter to him. I am also sure that he himself will not marry any other woman except Girija. O Nath. Hearing this Himachal said, Muniraj Shivji is called a renunciate by everyone. He always remains engrossed in yoga samadhi. Apart from this it is also famous in all the three worlds that he has desired to marry only Sati. So you tell me that he should accept Girija in some way. Hearing this you replied, Himachal Shivji that the ideal Shakti Sati has taken incarnation in your house by making Girija. You should not have any doubt in this regard. Himachal was given the drum of Purvridhi. You have returned from there after giving the best to Girja. After a few days, when Girja attained youth, Narada said to Himachal, “O Swami, now you should try to get Girja married.” On hearing his wife, Himachal replied, “Even if the sun starts rising in the west instead of the east, the words of Narada can never be false. So you destroy all the messages and meditate on Lord Shiva.” Girija told him to do regular penance to get Lord Shiva. Only then our wish will be fulfilled. On hearing this, he gathered patience in his heart. He then went near Girja and made her sit in his lap and started crying. Due to the excess of love, no words came out of his mouth. At that time, Girija, recognizing her mother’s wish, said, “Mother, today I have seen a dream that a man is telling me, “Girja, you go to the forest and do penance of Lord Shiva, so that your parents and all the three worlds will get happiness.” Narada’s words can never be false. Unless you do penance, no work will be accomplished. When I heard the dream of the church in Himachal, I became very happy and started spending day and night waiting for the auspicious time.
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