श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 27



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद जब हिमाचल अपने भाई बंधु तथा प्रजा को साथ लेकर आओ अगवानी के लिए आगे आगे आए उसे समय शिवजी की सजी हुई बरात को धूमधाम को देखकर हुए आनंद मग्न हो गए उसे बारात के सम्मुख हिमाचल ने अपनी संपूर्ण सामग्री को बहुत उच्च समझा तब वह अत्यंत लज्जित हो शिव जी के चरणों में गिर पड़े उसे समय शिवजी से ने प्रेम मांगना हो उन्हें अपने हाथों पर उठा लिया फिर बारात हिमाचल के द्वारा की ओर चली उसे सुंदर बारात को देखने के लिए नगर की सभी स्त्रियां अपना-अपना काम छोड़कर छज्जों पर आ बैठी यहां तक की कोई स्त्री अपने पति को भोजन करते छोड़कर की ऊंट बैठी और कोई अधूरा सिंगार किया ही भाग चली आई वे सब शिव जी के परम मनोहर रूप को तक की बांधकर देखने लगे और गिरजा के भाग्य की सहारा ना करते हुए बारात के ऊपर पुष्प की वर्षा करने लगे हे नारद इस प्रकार शिवजी की बारात हिमाचल के द्वार पर जा पहुंची उसे समय हिमाचल तथा मैं ने अपना अहंकार त्याग कर पहुंचा धन शिव जी को भेंट किया ताड़ूपरान बारात के ठहरने के लिए जो निवास बनाया गया है उसमें सभी बाराती करेंगे गिर जाने रिद्धि सीढ़ियां को बारात की सेवा करने के लिए भेज दिया था वस्तु किसी को किसी वस्तु की कमी ना रही रीति-भांति संपन्न होने के पश्चात हिमाचल में बारातियों को अनेक प्रकार के सुस्वादिष्ट व्यंजन मिला है तदुपरांत भगवान सदाशिव के उन चरण कमल को जिन्हें हम तथा विष्णु रात दिन अपने हृदय में बैठे रहते हैं हिमाचल ने अपने हाथों से धोया भोजन के समय बारातियों को जो प्रसन्नता हुई उसका वर्णन नहीं किया जा सकता भक्ति भज ले तथा चौसा एक चारों प्रकार के व्यंजन बारातियों को खिलाएं गए जब बारात भोजन करके जान हुए में चली गई तब हिमाचल के बंधु बंधनों में भोजन प्राप्त किया शिवजी जिस स्थान पर ठहरे हुए थे वह विधियत प्रकार के नित्य एवं गीतों का आयोजन हुआ जिन्हें देखकर सुनकर विश्व में लोक अत्यंत प्रसन्न होते थे उसे समय सब लोग भगवान तथा शिव कथा भगवती गिरिजा की बारंबार प्रशंसा कर रहे थे

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Brahma Ji said, O Narada, when Himachal came forward to welcome him along with his brothers and subjects, he became very happy on seeing the decorated procession of Lord Shiva. In front of the procession, Himachal considered all his belongings to be very valuable. Then he felt very ashamed and fell at the feet of Lord Shiva. At that time, he lifted Lord Shiva on his hands to ask for love from him. Then the procession moved towards the gate of Himachal. To see this beautiful procession, all the women of the city left their work and sat on the balconies. Some women left their husbands eating and sat on camels and some ran away with incomplete makeup. They all started looking at the beautiful form of Lord Shiva with their foreheads tied to their waists and without relying on the fate of the church, they started showering flowers on the procession. O Narada, in this way, Lord Shiva's procession reached the gate of Himachal. Himachal and I left our ego and presented our wealth to Lord Shiva. In the house that has been built for the stay of the procession at Tadupran, all the baraatis will fall down the stairs of Riddhi. was sent to serve the wedding party. No one had any shortage of anything. After the rituals were completed, the wedding party members got many types of delicious dishes in Himachal. Thereafter, Himachal washed with his own hands the feet of Lord Sadashiv, whom we and Vishnu reside in our hearts day and night. The happiness that the wedding party members felt at the time of meal cannot be described. Bhakti Bhaj and Chausa were served to the wedding party members. When the wedding party went to their homes after having their meal, then the friends of Himachal received food. At the place where Lord Shiva was staying, all types of daily rituals and songs were organized, seeing and hearing which the people of the world became very happy. At that time, everyone was repeatedly praising the Lord, Shiva Katha and Bhagwati Girija.

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