श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 25


हिमाचल में गिरजा को अपने पास बैठे हुए अत्यंत स्नेह पूर्वक कहा है पुत्री इस समय सब लोग दुख सागर में नमक ना है अतः तुम सब हाल समझ कर कहो कि वह योगी कौन है जिसके शिष्यों ने हमारा संपूर्ण भोजन खा लिया है और नगर में आंदोलन कहीं पानी भी ढूंढने नहीं मिलता है पिता की बात सुनकर गिरजा मां ही मन अत्यंत प्रसन्न हुए परंतु ऊपर से लज्जित होकर पूछना का सकी है नारद इस समय तुम हिमाचल की सभा में पहुंचे और तुमने आदि से अनंत तक का संपूर्ण वृतांत सुनाते हुए हिमाचल से कहा है राजन तुम किसकी प्रकार संदेश मत कहो तुम और तुम्हारी पत्नी परम धन्य हो तुम्हारे यहां भगवती आदि शक्ति ने अवतार लिया है यह आदिशक्ति ब्रह्मा विष्णु तथा शिव को भी उत्पन्न करने वाली है यही सब संघार भी कर सकती है इसकी माया अपरंपार है यह जो तुम्हारे घर में साथियों के साथ कीड़ा करते हुए ब्राह्मण कर रही है इससे तुम अपना अहो भाग्य ही समझो इन्होंने प्रेम की वसीभूत होकर ही तुम्हारे ऊपर या कृपा की है वह बूढ़े योगी जिसका नाम हर है और जो अपने साथ सुख रहता था शनिचर नामक दो शिष्यों को लेकर बाग में ठहरे हुए हैं तुम्हारे इस कन्या के सच्चे पति हैं यह ब्रह्मा तथा विष्णु के भी पीता है और संपूर्ण सृष्टि को उत्पन्न करने वाले तथा उसका संघार करने वाले भी है अतः तुम्हें यह उचित है कि तुम इन्हें की शरण में जो वह तुम्हारे अन्य आदि को जो अपनी माया द्वारा मुक्त हो गया फिर उसे प्रगति कर दें तथा तुम्हारी संपूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करेगा वह अपना स्वरूप भी ऐसा सुंदर बना ले कि उसे देखकर तुम्हारे अत्यंत आश्चर्य होगा उसकी बारात भी पलक मारते ही साज जाएगी और उसमें ब्रह्मा विष्णु आदि देवता सेवक बंद कर सम्मिलित होंगे ही नारद जब तुमने इस प्रकार सब लोगों को समझा उसे समय हिमाचल तथा अन्य लोगों को अत्यंत प्रसन्नता प्राप्त हुई तब उपरांत तुम अपने लोग को चले गए और हिमाचल गिरजा के विवाह की तैयारी में सम्मिलित हुए

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Himachal, sitting near him, said to Girja very affectionately, daughter, at this time everyone is in the ocean of sorrow, so you understand the situation and tell who is that Yogi whose disciples have eaten all our food and there is no water to be found anywhere in the city. Hearing the words of her father, Girja mother was very happy in heart but outwardly she was ashamed and could not ask. Narad, at this time you reached Himachal's court and narrating the entire story from beginning to end, said to Himachal, Rajan, do not give this message to anyone, you and your wife are extremely blessed, Bhagwati Adi Shakti has taken incarnation in your house, this Adi Shakti is the creator of Brahma, Vishnu and Shiva as well, she can also destroy everything, her illusion is infinite, she is doing Brahmin with her companions in your house, consider it your great fortune, he has blessed you by being under the influence of love, that old Yogi whose name is Har and who used to live happily with him is staying in the garden with two disciples named Shanichar, he is the true husband of this daughter of yours, he is also the father of Brahma and Vishnu. And he is the creator of the entire universe and also the destroyer of it. Therefore, it is appropriate for you to take refuge in him. He who has got freed by his Maya, will make him progress and will fulfil all your desires. He should make his form so beautiful that you will be very surprised on seeing him. His marriage procession will also be decorated in the blink of an eye and Brahma, Vishnu and other gods will definitely join it as servants. Narad, when you made everyone understand in this manner, at that time Himachal and other people felt very happy. Then you went to your people and joined in the preparations of Himachal Girja.

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