श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 23



ब्रह्मा जी बोले हे नारद हिमाचल की बात सुनकर सब पर्वतों ने इस प्रकार का हीरा हैं हमें सर्वप्रथम उसे योगी के पास पहुंचकर उसकी परीक्षा ले लेनी चाहिए यदि उनमें कोई बुराई ना हो तो उसके साथ गिरजा का विवाह करने में कोई हानि नहीं है यह सुनकर हिमाचल अपने साथ कई लोगों को लेकर शिवाजी के पास जा पहुंचे और हाथ जोड़कर प्रणाम करने के उपरांत चुपचाप खड़े हो गए उसे समय शिव जी ने या लीला की की शुक्र तथा समीक्षा जो शिष्यों की भांति उसके साथ थे पास आ पहुंचे और रूद्राणध करने लगे उन्हें रोते हुए देखकर शिवजी ने कहा हे बालकों तुम रोना धोना त्याग कर खूब खेलो को दो परंतु मेरे पास से कहीं दूर मत चले जाना मैं अकेला निर्धन मनुष्य हूं तुम भी मुझे बड़ी कठिनाई से प्राप्त हुए हो देखो तुम मोबाइल की भी देखभाल के रहना क्योंकि नशे में चूर होने के कारण इस समय मैं उसकी देख बल नहीं कर सकता हूं हे नारद इस प्रकार नशेबाजों की भांति शिवजी ने हिमाचल आई के सामने उन बालकों से बहुत सी बातें की परंतु हुए बालक बराबर रोते रहे उसे समय शिव जी ने उनसे रोने का कारण पूछा तो हुए उत्तर देते हुए बोले है बाबा हम तो सुख से मारे जाते हैं आप यह तो आप हमें कुछ खाने के लिए दीजिए अन्यथा हम इसी प्रकार चिल्लाते रहेंगे यह सुनकर शिवजी ने उत्तर दिया यह बालको मेरे पास तो खाने के लिए कुछ भी नहीं है परंतु तुम कुछ देर और ठाकरे हिमाचल के घर खाने पीने की बहुत सामग्री बनी है जब गिरजा के साथ मेरा विवाह होगा उसे समय तुम्हें भी बहुत सब भोजन खाने के लिए मिलेगा यह सुनकर दोनों चेले ने कहा है बाबा विवाह में तो अभी बहुत देर है तब तक हम भूखे नहीं रह सकेंगे कई दिनों से भोजन प्राप्त न होने के कारण अब हम उसे और अधिक देर तक नहीं उठा रहा जाता है इसलिए आप कुछ ना कुछ खाने का प्रबंध तो कर ही दें हे नारद हिमाचल ने जब उन दोनों बालकों की यह बात सुनी तो शिव जी ने कहा है प्रभु यदि आपकी आज्ञा हो तो आपके दोनों शिष्यों को अपने साथ घर ले जाकर भोजन कर रहा हूं शिवजी बोले हे राजन यदि आप यही चाहते हैं तो उन्हें भोजन कर लाइन मुझे इनमें कोई आपत्ति नहीं है यह सुनकर हिमाचल में संबोधित करते हुए कहा है राजन हम आपके घर भोजन करने के लिए नहीं जाएंगे क्योंकि घर के स्वामी के बिना हमें वहां कोई भी अच्छी तरह से भोजन नहीं कर सकेंगे यदि आप स्वयं हमें लेकर चले तो हम तैयार हैं नेता भूखे रहकर यही रोते रहेंगे उसे समय शिव जी के हिमाचल को संबोधित करते हुए कहा है राजन आप स्वयं इन्हें साथ ले जाकर भोजन करवाल है सचमुच यह कई दिनों से भूखे हैं आप इन्हें अच्छे तरह से भोजन कर दें तथा पानी भी पिला दें हे नाथ शिव जी की आज्ञा सुनकर हिमाचल उन दोनों को साथ लेकर घर आए और उन्होंने भोजन करने लगे उसे समय उन दोनों शिष्यों ने यह किया कि उनके सामने जितना भी भोजन और उसका जाएगा उसे सबको हुए एक ही अगस्त में खो जाएंगे तो दो प्रति में हिमाचल को संबोधित करते हुए कहा है राजन अभी तो हमें केवल एक ही ग्रास भोजन खाया है हमारी भूख बिल्कुल नहीं बुझी अब तुम हमें सीख रही और कुछ खिलाओ तुम बहुत बड़े राजा हो अतः तुम्हें किसी प्रकार का लाभ करना उचित नहीं है यदि हम भूखे उठ गए तो तुम्हें बहुत पाप लगेगा यह सुनकर हिमाचल ने रसोई करने वाले से कहा तुम्हें लोग करने की आवश्यकता नहीं है मेरे यहां भोजन ठक के ढेर रखे है आता है जितना भी खा सके तुम इन्हें खूब मिला दो यह सुनकर रसोई एक जब आपने तारा भोजन ले आया तो उसको भी हुए एक ही ग्रास में खो गए हिमाचल के यहां जितना पानी था उन सबको भी उन्होंने एक ही अच्छा में भी लिया था दो प्रांत हुए चिल्लाते हुए बोले हे राजन हम तो भूखे मारे मारे जा रहे हैं तुम हमें खाने के लिए कुछ क्यों नहीं देते हो यदि तुम्हारी यहां हमें भोजन तैयार ना हो तो हमें कच्चा आम की बदलते तो हम उसी को खा जाएंगे यह सुनकर हिमाचल ने अत्यंत चिंतित होकर कच्चे हम का जो आम बाहर लगा था वह उन्हें दोनों को बतला दिया उसे पर्वत के समान आम के ढेर को भी हुए एक ही ग्रास में खो गए जब राजा के घर कुछ विशेष नहीं रहा तब वह भूख चिल्लाते और सोते हुए वहां से लौट पड़े तथा अपने गुरु के समीप जा पहुंचे शिव जी ने जब उन्होंने देखा तो पहले तो बहुत हंसी तदुपरांत अपने झोले से निकाल कर उन्हें एक जड़ी ऐसे देती जिसे कहते ही उसके भूख शांत हो गई

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Brahma Ji said, O Narada, after listening to Himachal, all the mountains have this kind of diamond, we should first take him to the Yogi and test him, if there is no evil in him, then there is no harm in marrying Shivaji with him. On hearing this, Himachal along with many people went to Shivaji and after bowing with folded hands, stood quietly. At that time, Shiva ji thanked and reviewed this leela. Those who were with him like disciples came near and started doing Rudranadh. Seeing them crying, Shiva ji said, O children, stop crying and play a lot, but do not go far from me, I am a poor man alone, you have also come to me with great difficulty. Look, you should also take care of your mobile because due to being drunk, I cannot take care of it at this time. O Narada, in this way, like drunkards, Shiva ji talked a lot to those children in front of Himachal, but the children kept crying. At that time, Shiva ji asked them the reason for crying, then while answering he said, O Baba, we die with happiness, you are not able to do this. Please give us something to eat, otherwise we will keep on shouting like this. Hearing this Shivji replied, boys, I have nothing to eat, but you wait for some more time, Thackeray Himachal's house has a lot of food items. When I get married to Girja, you will also get a lot of food to eat. Hearing this, both the disciples said, Baba, the marriage is still a long way off, till then we will not be able to stay hungry. Due to not getting food for many days, now we cannot bear it for longer, so you should arrange something to eat. O Narad, when Himachal heard this from those two boys, Shivji said, Lord, if you permit, I am taking both your disciples home with me and having food. Shivji said, O King, if this is what you want, then feed them, I have no objection in this. Hearing this, Himachal addressed him and said, Rajan, we will not go to your house to have food because without the master of the house, no one will be able to eat us properly there. If you yourself take us along, then we are ready. The leader will keep crying while staying hungry. At that time Shivji addressed Himachal. He said, "O King, you yourself should take them along and feed them. They have been hungry for many days. You should feed them well and also give them water to drink. O Lord. On hearing the order of Lord Shiva, Himachal brought both of them home and started eating. At that time, both the disciples did this that whatever food and drink would be put in front of them, they would all be eaten in one bite. So, two disciples addressing Himachal said, "O King, we have eaten only one bite of food till now. Our hunger has not been satiated at all. Now you are teaching us and feed us something. You are a great king, hence it is not right for you to take any kind of advantage. If we get up hungry, you will commit a great sin." On hearing this, Himachal said to the cook, "You do not need to eat anything. I have kept heaps of food here. You can eat as much as you can. You feed them as much as you can." On hearing this, when the cook brought food, he also got eaten in one bite. Himachal also drank all the water that was there in one bite. The two disciples shouted and said, "O King, we are dying of hunger. Why don't you give us something to eat? If your If our food is not prepared here, then we will eat raw mangoes. On hearing this, Himachal got very worried and showed them the raw mangoes that were lying outside and showed them to both of them. The heap of mangoes as big as a mountain got eaten up in one bite. When there was nothing special left in the king's house, then he returned from there crying for hunger and sleeping and went to his guru. When Shiv Ji saw him, he laughed a lot at first and then took out a herb from his bag and gave him such a herb that his hunger got satiated as soon as he said it.

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