श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 22



ब्रह्मा जी ने कहा है नाराज उसे समय हिमाचल ने बहुत दुखी होकर गिरजा को अपने पास बुलाया और यह कहा है पुत्री तूने यह क्या किया जो सब देवताओं को छोड़कर ऐसे अद्भुत पति की इच्छा कि मैं तो अपनी प्रतिज्ञा के कारण दूध से पूछ नहीं कर सकता परंतु तेरी माता अभ्यास ध्यान करके बहुत दुखी हो रही है जब माया विचार करता हूं कि मेरे लड़की का विवाह एक अवधूत के साथ होगा इस समय में शोक समुद्र में डूब जाता हूं मुझे बड़ी चिंता है कि मैं तो इतनी सामग्री एकत्र की परंतु तेरा पति अपने साथ केवल दो रूप श्री सिया को बारातियों के नाम पर लाया है उसके साथ जो महल है वह भी बहुत बुध तथा निर्मल है उसे बेल के ऊपर भांग धोखा दी अनेक प्रकार के मादक वस्तुएं तथा विभिन्न प्रकार के 20 लदे हुए हैं मेरा भाग्य तो देखो की कैसे बारात आज मेरे द्वारा पर आई है आप बा ला तो ही बात की इस अवसर पर सब लोग मुझे क्यों नहीं दिख रह भी करेंगे हे नारद हिमाचल की बात सुनकर गिरिजा ने हंसते हुए कहा है पिता आप कुछ चिंता ना करें विष्णु जी का वचन मिथ्या ना होगा इस समय जो लीला हो रही है वह भी सब लोगों का आनंद प्रदान करके वाली सिद्ध होगी अंत में सब लोग आपकी बहुत ही स्तुति करेंगे तथा आपके प्रताप को सबसे बड़ा स्वीकार करेंगे आप विश्वास रखें कि इस विवाह के बाद तीनों लोक में आपको सोयास प्राप्त होगा ब्रह्मा विष्णु आदि देवता भी आपका अत्यंत सम्मान करेंगे अब आपको उचित है कि आप उन योग रूपी धारी भगवान सदाशिव के समीप जाए और हाथ जोड़कर उसकी स्तुति करें हुए आपकी संपूर्ण इच्छाओं को पूरी करेगा हे नारद शिवजी तथा गिरजा की लीला अपार है वह दोनों एक ही रूप है आज तो उसने किसी प्रकार का भेद नहीं समझना चाहिए जिस प्रकार शब्द और अर्थ में कोई अंतर नहीं होता उसे प्रकार शिवजी तथा गिरिजा जी में भी किसी प्रकार की भिन्नता नहीं है उनकी जो इच्छा होती है इस लीला को हुए सब लोग दिखाते हैं उनके लीलाओं का पर किसी ने नहीं पाया है अस्तु इस घटना के उपरांत हिमाचल ने अपने भाई बांधों को बुलाकर गिरिजा ने जो बात कही थी वह सब का सुने फिर कहा है भाइयों वह योगी अवधूत का रूप धारण बनाए हुए निर्मल बल तथा दो छोटे-छोटे बालकों को साथ लिए हुए यहां आया है अब आप लोग की जो सहमति हो वही कार्य किया जाए

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Brahma Ji said that he was angry. At that time Himachal, being very sad, called Girija to him and said that daughter, what have you done that leaving all the gods, you have desired such a wonderful husband that I cannot ask you about milk due to my vow, but your mother is becoming very sad by practicing meditation. When I think that my daughter will be married to an Avdhoot, at this time I drown in the ocean of grief. I am very worried that I have collected so many things, but your husband has brought only two forms of Shri Siya with him in the name of the wedding guests. The palace that is with him is also very wise and pure. He has been laden with bhang, many types of intoxicants and different types of 20. Look at my fate, how the wedding procession has come to my door today. You only asked Baba, why can't I see everyone on this occasion? O Narada, after listening to Himachal, Girija said laughingly, father, you don't worry at all, Vishnu Ji's words will not be false, the leela that is happening at this time will also prove to be joy-giving for everyone. In the end, everyone will praise you a lot. And they will accept your glory as the greatest. You should be sure that after this marriage you will get respect in all the three worlds. Brahma, Vishnu and other gods will also respect you a lot. Now it is appropriate for you to go near that Yoga-form Lord Sadashiv and with folded hands praise him, he will fulfill all your desires. O Narada, the leela of Shivji and Girija is immense. Both are the same form. Today, no difference should be understood. Just as there is no difference between words and meaning, similarly there is no difference between Shivji and Girijaji as well. Whatever their wish is, this leela happens. Everyone shows their leelas but no one has achieved it. So, after this incident, Himachal called his brothers and listened to what Girija had said. Then he said, brothers, that yogi has come here taking the form of an Avdhoot, with pure strength and two small children. Now whatever you all agree on, that work should be done.

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