श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 20



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद हिमाचल में सब सामग्री एकत्र करके बारात के ठहरने के लिए एक बहुत लंबा चौड़ा श्रेष्ठ भवन निर्मित कराया जहां एक और भगवती आदि शक्ति और दूसरी ओर परम पुरुष सदस्य शिवजी को वहां किसी प्रकार की कमी हो भी कैसे सकती है अब तुम शिव जी का हाल सुनो जब शिवजी ने हिमाचल का पत्र पढ़ा तब उसे बहुत हंसी आई फिर उन्होंने हिमाचल के गर्व को नष्ट करने के लिए यह चरित्र किया कि उन्होंने अपना स्वरूप एक बूढ़े जैसे बना लिया तदुपरांत अपने बल को भी बूढ़ा बना कर उसके ऊपर बैठ गए फिर आपने शांत तो शिष्यों को ले डमरू तथा श्री को बजाते हुए अलग-अलग शब्द का उच्चारण करते हुए भयानक विश बनाएं हिमाचल के नगर में जा पहुंचे और वहां जाकर एक बैग में ठहरे गए इधर राजा हिमाचल बारात आने की प्रतीक्षा कर रहे थे अस्तु उन्होंने जब सिंह और डमरू का नाथ सुना तो बहुत से लोगों को बारात देखने के लिए भेजा वह सब मनुष्य तथा गिरजा की सहेलियां उसे स्थान पर जा पहुंची जहां अवधूत स्वरूप शिव जी बैठे हुए अलग-अलग शब्द का उच्चारण कर रहे थे उन्होंने शिव जी के पास पहुंचकर पूछा है योगीराज तुमने कहीं शिवजी की बारात तो नहीं देखी यह सुनकर शिवजी ने उत्तर दिया हमें गिरजा के दूल्हा और हमें बारात है हमारे साथ दो शिष्यों के अतिरिक्त और कोई नहीं आया है हे नारद शिव जी के मुख से निकले हुए इन शब्दों को सुनकर गिरजा की सखियों ने उन्हें गालियां देते हुए कहा अरे पागल तू हमारे राजा की पुत्री के लिए ऐसी बात क्यों कहता है यदि तू ठीक-ठाक बताया कि तुमने बारात को नहीं देखा है तो हम तुझे अच्छे भजन खिलाएंगे और पढ़ने के लिए श्रेष्ठ वस्त्र भीगा यह सुनकर शिवजी में फिर अपना पहले उत्तर दुल्हारा दिया और कहा है सखियों तुम गिरजा से जाकर यह कह देन कि हम वही व्यक्ति हैं जिन्होंने पुरोहित लग्न चढ़ा कर आया है गिरजा हमें अच्छी तरह जानती है अतः वह सब कुछ बता देगी या सुनकर कौन सा स्त्रियों ने शिवजी की लाड दूसरों से खूब पिटाई की तथा पांव पकड़ कर चारों ओर घसीट डाला इसके बाद उन्होंने नाखून तथा चुटकियों से उनके पवित्र शरीर को जगह-जगह काटा किसी ने उनके बैल को लकड़ी मारकर भगा दिया और किसी ने उसके साथ के छोटे-छोटे नाक धार बालकों को ऐसे जोर-जोर से कहते लगाएं कि वह रोते हुए भाग खड़े हुए हे नारद उन स्त्रियों ने यह सब उधम केवल इसलिए किया था कि वह शिवजी की माया में मोहित होकर उन्हें पहचानने में असमर्थ रही थी शिवजी ने उसकी इस मारपीट का कोई बुरा न मानते हुए हंस कर कहा है स्त्रियों ससुराल में इन प्रकार मार खाना भी अच्छा लगता है अतः तुम अपने मन मे किसी प्रकार का संकोच मत करो और जिस प्रकार चाहे मुझे खूब तंग कर लो यह सुनकर हुए स्त्रियां तथा पुरुष शिवजी को छोड़कर अपने घर को लाभ चले जब वह लोग चले गए तब शुक्र और फर्नीचर देवता तो बाल्य रूप धारण किए हुए शिवजी के साथ थे तब बेल जिन्होंने स्त्रियों ने कुछ देर पहले मारकर भगा दिया था हुई रोटी-पीटते फिर शिव जी के पास आ पहुंचे उसे समय शिवजी ने हंसते हुए उनसे कहा तुम लोग अपने मन मे कुछ बुरा मत मानो ससुराल में तो इसी प्रकार का आनंद मिलता है परंतु जब उन लोगों को शिव जी की इस बात को प्रसन्नता नहीं मिली तब शिवजी ने लौटकर जाते हुए वह स्त्रियों के पीछे अपने झोले में से निकाल कर आने के प्रकार की बड़ी छोड़ दी उन बारियों ने स्त्रियों के कोमल शरीर को काटकर जगह-जगह सूजन दिया तब हुई रोटी पेटी और चिल्लाती हुई बड़ी तेज के साथ अपने घर को भाग चली इस अवस्था में हुए सब गिरजा के समीप जा पहुंचे उनकी इस दुर्गति को देखकर जो स्त्रियां उसके साथ नहीं गई थी वह बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने चढ़ती हुई पूछने लगी अरे सखियों तुम्हारा यह दुर्गति किसने कर दिया है गिरजा भी उनकी हालत को देखकर पहले तो बहुत हंसी फिर अपना कृपा दृष्टि द्वारा गुण सबको स्वास्थ्य कर दिया दादू प्राण उन्होंने पूछा कि यह सब चरित्र कैसे हुआ वह तुम मुझे बताओ गिरजा के इन शब्दों को सुनकर उन स्त्रियों ने संपूर्ण घटना का सुनाई तब शिवजी के चरित्र को देख सुनकर गिरजा हंसने लगी

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Brahma Ji said, O Narada, after collecting all the materials in Himachal, a very long and wide building was constructed for the stay of the wedding procession, where on one side there was Bhagwati Adi Shakti and on the other side there was the supreme male member Shivji, how can there be any shortage there, now listen to the story of Shivji, when Shivji read Himachal's letter, he laughed a lot, then to destroy the pride of Himachal, he did this act that he made his form like an old man, after that he also made his strength old and sat on it, then he calmed down and took his disciples and made a terrible Vish while playing Damru and Shri, uttering different words, reached the city of Himachal and stayed there in a bag, here King Himachal was waiting for the wedding procession to come, so when he heard the sound of lion and Damru, he sent many people to see the wedding procession, all those people and the friends of the church reached that place where Shivji in the form of Avdhoot was sitting and uttering different words, they reached Shivji and asked, Yogiraj, did you ever see Shivji's wedding procession, on hearing this Shivji replied We have given the groom of Girja and we have a wedding procession. No one has come with us except two disciples. O Narada. On hearing these words coming out of Shiv Ji's mouth, Girja's friends started abusing him and said, O mad man, why do you say such things about our king's daughter? If you tell the truth that you have not seen the wedding procession, then we will feed you good bhajans and wet the best clothes for reading. On hearing this, Shiv Ji again gave his first answer and said, friends, you go and tell Girja that we are the same person who has come after offering the wedding ceremony. Girja knows us well, so she will tell everything. On hearing this, the women beat Shiv Ji a lot and dragged him around by holding his feet. After this, they cut his holy body at various places with their nails and fingers. Someone hit his bull with a stick and drove it away. And someone started saying this loudly to the small children with noses that they ran away crying. O Narada, those women did all this mischief only for the sake of it. This was done because she was unable to recognize Shivji being fascinated by his illusion. Shivji did not feel bad about this beating and said smilingly that women like to get beaten in their in-laws' house, so do not hesitate in your mind and tease me in any way you want. On hearing this, the women and men left Shivji and went to their homes leaving Shivji. When those people left, Shukra and the God of Furniture were with Shivji in the form of a child. Then Bel, who had been beaten and chased away by the women some time back, came to Shivji again beating and beating bread. At that time Shivji smilingly said to them that you people do not feel bad in your mind, this is the kind of pleasure one gets in in-laws' house. But when those people did not like this thing of Shivji, then Shivji while going back left a big thing behind the women which he took out from his bag and left. Those women cut the soft bodies of the women and made them swell at many places. Then the bread became bread and screaming they ran away to their homes very fast. In this state everyone reached near the church. On seeing the plight, the women who had not gone with her became very happy and while climbing up they started asking, "Oh friends who has done this to you?" On seeing their condition Girja also laughed a lot at first and then by her kind glance she made everyone healthy. Dadu Pran, he asked, "Tell me how all this happened." On hearing these words of Girja, those women narrated the entire incident. Then on seeing the character of Shivji, Girja started laughing.

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