श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्ययन 9



इतनी कथा सुनकर नाराज जी ने कहा है पिता आप मेरी यह अभिलाषा है कि भगवती महामाया के जन्म के पक्ष का वृतांत आप मुझे सुनने की कृपा करें उन्होंने हिमाचल के घर में रहकर जो बाल लीला की उन सबको सुना कर आप मुझे प्रसन्नता प्रदान कीजिए देवर्षि नारद किया बात सुनकर मन ब्रह्मा जी बोले ही पुत्र अब भगवती महामाया में अवतार ग्रहण किया और सब देवता उसकी सूची प्रशंसा करने के उपरांत अपने-अपने स्थान को लौट गए उसे समय हिमाचल में बड़ी धूमधाम से अपनी पुत्री का जन्म महोत्सव मनाया उसे आदिशक्ति का अवतार पहचान कर अत्यंत प्रसन्न हुए उसे समय भगवती जगदंबा ने भी अष्टभुजी स्वरूप धारण कर महीना को अपना दर्शन देकर प्रीत प्राप्त किया है नारद उसे समय का वर्णन करना अत्यंत कठिन है वह भगवती आठ भुजाएं तीन नेत्र एवं ज्योति पूर्ण वस्त्र अलंकारों को धारण किए हुए थे मैंने नैना ने जब उसको ईश्वर रूप में देखा तो उसकी बहुत प्रकार से स्तुति प्रशंसा करते हुए यह कहा हे भगवती अपने अत्यंत कृपा करके मेरे घर में अवतार लिया है मेरी यह प्रार्थना है कि आपका यहां स्वरूप मेरे हृदय में सदैव स्थित रहे अब आप कृपा करके पुनः अपना बाल स्वरूप धारण कर मुझे सुख पहुंचाएंगे हे नारद मैं की प्रार्थना सुनकर भगवती महामाया ने उसे सांत्वना देते हुए कहा है मेहता मैं इस समय या स्वरूप केवल इसलिए धारण किया है ताकि तुम्हारे हृदय में या विश्वास हो सके कि मैं वही देवी हूं जिसे तुमने वरदान प्राप्त करते समय देखा था अब तुम अपने मन में निश्चित हो जाओ इतना कहा कर भगवती जगदंबा ने पुनः बाल स्वरूप धारण कर लिया और नवजात शिशु की भांति रुद्रणाग करने लगी उसे समय स्त्रियां महीना के समीप इकट्ठा हुई कन्या का जन्म देखकर उन सबको अत्यंत प्रसन्नता हुई हिमाचल को भी उसे समय बहुत हर्ष हुआ था दो प्रांत में पुरोहित गुरु ब्राह्मण तथा ऋषि मुनियों को साथ लेकर घर के भीतर पहुंचे उसे समय ऋषि मुनियों ने उसे कन्या को देखकर कहा है पर्वतराज तुम्हारे घर आदि शक्ति के अवतार लिया है या सुनकर हिमाचल में अत्यंत प्रसन्न हो ब्राह्मण तथा वृक्षरों को बहुत सावधान प्रधान धन-धन में दिया नगर की सब स्त्रियां भी उसे समय अपने-अपने सिंगर सजा कर बड़वा देने के लिए महीना के समय पहुंची हिमाचल में रीति पूर्वक संपूर्ण संस्कारों को संपन्न किया था दो प्राण ब्राह्मणों ने उसे कन्या के नाम गिरजा काली आदि रखें हे नारद वाले स्वरूप शिवरानी ने सांसारिक लड़कियों की भांति ही अनेक चरित्र करके माता-पिता को प्रसन्न करना आरंभ किया जीवन उसकी आयु बढ़ती जाती थी वह विधि प्रकार के चरित्र द्वारा सबको प्रसन्नता प्रदान करती थी वह कभी गोद में लिपटकर मुस्कुराती कभी अपने टोटली ओनियो से ऐसी बातें करते जिसको सुनकर माता-पिता को अत्यंत प्रसन्नता प्राप्त होती थी उसे समय में ही उन्हें उमा शिव आदि नाम से भी पुकारा जाने लगा बड़ी होकर जब उन्होंने तपस्या करने के लिए वन में जाने का विचार किया उसे समय महीना में चिंतित होकर उन्हें नहीं जाने दिया पर्वत राज हिमाचल यद्यपि अनेक संतानों के पिता थे तो भी उनका सबसे अधिक प्रेम गिरिराज पर ही रहता था गिरिराज दिन प्रतिदिन चंद्रमा की कला की भांति बढ़ती जाती थी तभी वह पहुंचे ऑडियो का खेल खेलती और कभी गंगा जी के जल में बिहार किया करती थी सांसारिक रीति के अनुसार उन्होंने विद्या अध्ययन भी प्रारंभ किया और कुछ ही समय में संपूर्ण वीडियो का निधन हो गई है नारद बाल्यावस्था व्यतीत हो जाने पर जब उन्होंने युवावस्था में प्रवेश किया उसे समय उसकी सुंदरता का वर्णन किसी भी प्रकार से नहीं किया जा सकता वह ऐसी अन्य स्वरूप थी कि उन्हें उत्पन्न करने के पक्ष में उन जैसे सुंदरता अन्य किसी भी प्राणी को प्रधान नहीं कर सका मानव गिरजा को उत्पन्न करने के पश्चात मेरा सृष्टि रचना का संपूर्ण परिश्रम फल हो गया हो जिन लक्ष्मी जी को मैं अत्यंत प्रेम पूर्वक समुद्र से निकला था उसे भी गिरजा के समान रहते हुए मुझे राजा का अनुभव होता गिरिजा के समान अन्य किसी को न पाकर मैं उन्हें केवल नीरू पर मैं कह कर ही मौन हो जाता हूं तीनों लोक में उन जैसे अन्य कोई नहीं है मेरे पत्नी तो किसी भी प्रकार उसके समक्ष नहीं ठहर सकती लक्ष्मी में चला का गुण है अतः उन्हें गिरजा के समान नहीं का आज जा सकता है रीति तथा भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की महिमा भी उनके सौंदर्य के समक्ष नहीं ठहर पाती इसलिए यह कहना उचित है कि वह अपनी उमा आप ही थे

TRANSLATE IN ENGLISH 

After listening to such a story, Naraj ji said, Father, it is my wish that you please listen to me the story of the birth of Bhagwati Mahamaya. Please give me happiness by narrating to everyone the childhood fun she had while living in the house of Himachal. Devarshi Narad. After listening to what Brahma ji said, my son now incarnated in Bhagwati Mahamaya and after praising her, all the gods returned to their respective places. At that time, he celebrated the birth festival of his daughter with great pomp in Himachal. He recognized her as the incarnation of Adishakti. He became very happy with time. Bhagwati Jagdamba also took the eight-armed form and got the love of Narada by giving her darshan to the month. It is very difficult for him to describe the time. That Bhagwati had eight arms, three eyes and was wearing clothes full of light and ornaments. I was Naina. When I saw him in the form of God, he praised him in many ways and said, O Goddess, by your immense kindness, you have incarnated in my house. I pray that your form here always resides in my heart. Now please please accept me again. Oh Narad, you will bring me happiness by assuming the form of a child. Hearing my prayer, Bhagwati Mahamaya consoled him and said, Mehta, I have assumed this form at this time only so that you can have faith in your heart that I am the same goddess whom you have received the boon from. While doing this, I had seen that now you should be sure in your mind. Having said this, Bhagwati Jagdamba again assumed the form of a child and started crying like a newborn baby. At that time, the women gathered near the month of the month. All of them were extremely happy to see the birth of a girl child. Himachal He too was very happy at the time when the priests from two provinces along with the Guru, Brahmins and Rishis reached inside the house, the Rishis and sages seeing the girl said to Himachal that the mountain king has incarnated the Adi Shakti in your house or he was extremely happy to hear this. Be very careful of the brahmins and the trees, the chief gave him wealth, all the women of the city also decorated him with their singers, reached Himachal at the time of the month, completed all the rites as per the rituals, the two soul brahmins gave him a daughter. Name them like Girja Kali etc. Oh Narad's form, Shivrani, like worldly girls, started pleasing her parents by performing many characters. As her age kept increasing, she gave happiness to everyone with her virtuous character. She sometimes hugged me in her lap. Smiling, she would sometimes talk to her Totli Onyo in such a way that her parents would feel extremely happy. In due course of time, she started calling her by the names Uma, Shiva, etc. When she grew up, she thought of going to the forest to do penance. Parvat Raj Himachal, worried about the month, did not let him go. Although he was the father of many children, he loved Giriraj the most. Giriraj kept growing day by day like the phase of the moon. Only then did he reach there, playing audio game and sometimes Ganga ji. According to the worldly tradition, he also started studying Vidya and within a short time, the entire video passed away. After Narada's childhood passed, when he entered youth, he could not describe its beauty in any way. She was such a different form that no other creature with beauty like her could dominate her. After giving birth to the human church, my entire hard work of creating the universe has come to fruition, to whom Lakshmi ji I came out of the sea with great love, she also lived like a church, I felt like a king, not finding anyone else like Girija, I become silent only by saying 'I am on Neeru', there is no one else like her in all the three worlds. My wife cannot stand in front of him in any way. Lakshmi has the quality of chala, hence she cannot be compared to a church. Even the glory of the Mohini form of Lord Vishnu cannot stand in front of her beauty, hence it is appropriate to say this. that he was his own mother

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ