श्री शिव महापुराण तृतीय खंड अध्याय 8



नारद जी ने कहा है पिता शिवचरित्र को सुन सुनकर मुझे अत्यंत आनंद प्राप्त होता है अब आप कृपा करके यह वृत्तांत सुनाएं की हिमाचल की पत्नी मैं ने शिव जी के से वरदान मांगने के उपरांत क्या किया यह सुनकर श्री ब्रह्मा जी ने भगवान सदा शिव का ध्यान करने के उपरांत के पुत्र जब मैं ने शिव जी से वर्धन प्राप्त किया तथा शक्ति को अपने ऊपर प्रसन्न देखा तब वह आनंदित होकर अपने घर लौट आई वह सर्वप्रथम उसे एक सौ पुत्रों को जन्म दिया वह सब मैं तथा कौन सी आदि नाम से प्रसिद्ध हुए उसके शरीर बहुत लंबे थे हुए सब अत्यंत बलवान बुद्धिमान तथा गुणवान हुए इसके पश्चात सती जी ने हिमाचल के हृदय में प्रवेश किया था कि उसके सब मनोरथ पूर्ण हो सके हिमाचल ने सती जीके उसे तेज को शुभ घड़ी प्राप्त कर मैं में स्थित कर दिया जिस समय में सती जी मैं के गर्भ में आई उसे समय से मैं का शरीर अत्यंत तेजस्वी हो गया उसे घर को धारण कर मन ऐसे सुंदर तथा तेजस्वी हो गई वैसे पहले कभी नहीं चली हिमाचल की यह अवस्था थी कि वह बारंबार महिला के निकट पहुंचते तथा महीना की सच्ची सहेलियां द्वारा पूछ पाते कि उसे किसी वस्तु की आवश्यकता तो नहीं है मैंने लज्जित होकर कोई उत्तर नहीं देती थी परंतु वह जिस वस्तु की इच्छा करती वह स्वयं ही प्रगति हो जाया करती थी ऐसी कोई भी वस्तु नहीं थी जिसे प्राप्त करने में महीना को कभी कोई कठिनाई हुई हो हे नारद मैं का गर्व जितना अधिक बड़ा बढ़ता जाता था उतना ही उसका तेज भी अधिक होता जाता था गर्भावस्था में जिन कृतियां तथा उत्सव को करना उचित है उन सबको हिमाचल में बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न किया उन्होंने सब लोगों को इच्छा अनुसार दान दिया तथा ब्राह्मण देवताओं एवं अतिथियों की भली-भांति पूजा की उन्हीं दिनो मैं विष्णु जी तथा अन्य सब देवता शिवरानी के गर्भ स्तुति करने हेतु हिमाचल के घर गए और अपने कर्तव्य को पूरा करने के उपरांत लौट आए जब गर्भ के 9 महीने व्यथित हुए और दसवा मास पूरा होने लगा उसे समय आकाश तथा पृथ्वी में शुभ शगुन होने लगे आकाश पूर्णता निर्मल हो गया और उसका प्रकाश बढ़ गया सभी अशोक ग्रह लुप्त हो गए उसे समय ऋषि मुनि तथा देवता पुष्प वर्षा करने लगे एवं गंधर्व सिध्द चरण की न अप्सरा तथा विद्याधर अपने स्त्रियों सहित नाचने गान लगे इस प्रकार मधु मास की शुक्ल पक्ष नवमी को ब्रिंग सीधा नक्षत्र में हर धरात्रि के समय भगवती महामाया ने उसे अपार आनंद के बीच महीना के गर्भ में पार्वती रूप में जन्म ग्रहण किया कलिंगा पुराण में भैया कथा लिखी हुई है हे नारद उसे समय मैं तथा विष्णु जी सब देवताओं सहित संपूर्ण सामग्रियों को साथ लेकर हिमाचल के स्थान पर जा पहुंचे हम सब ने अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार शिवरानी की स्थिति एवं प्रशंसा की उसे समय अनेक प्रकार के बजे बाद रहे थे तथा पुष्प वर्षा हो रही थी देवताओं ने उसे आदिशक्ति की स्तुति करते हुए इस प्रकार कहा है जगदंबे आपकी जय हो आप तीनों लोक की माता तथा भगवान भूत वहां की राजधानी है आप हमारी विपत्तियों का नाश करके क्योंकि हमारे मन की कोई भी अभिलाष आपसे छिपी नहीं है है आदि शक्ति आप तेज अपरिमित हैं सृष्टि के सभी जीव आपका सेवक हैं ब्रह्मा विष्णु तथा शिव आपके पुत्र कहे जाते हैं तथा तीनों गुना की उत्पत्ति आपसे ही हुई है आप ब्रह्म स्वरूप आदि शक्ति बनकर सब जीवों में निवास करती है तथा सबसे भिन्न सी रहती है वेदों ने अपने महिमा का कुछ वर्णन किया है परंतु पर नहीं पाए नारद साथ शुक्र तथा संपादक बुद्धिमान मुनि और देवता वचन होने पर भी आपकी महिमा का बहुत थोड़ा की वर्णन कर सके हैं उपनिषद इस बात को कहते हैं कि यदि किसी मूर्ख पर भी आपकी कृपा हो जाए तो वह आपकी स्तुति करने में समर्थ हो सकता है आप अपने भक्तों को मुक्ति प्रदान करते हैं तथा करोड़ का लबों को अपने वश में किए रहते हैं आप अहंकार को नष्ट करने वाले हैं वेद और वेदांत सब में आपकी समिति है है भगवती आपके शास्त्रों नाम है जिसका वर्णन करना वाणी की सामर्थ से परे है इस प्रकार बहुत स्तुति करने को प्रात सब लोग अपने-आप ने घर को लौट गए

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Narad ji has said, Father, I get immense pleasure by listening to Shiva's character. Now please tell me the story of what I, the wife of Himachal, did after asking for a boon from Lord Shiva. Hearing this, Shri Brahma ji always meditated on Lord Shiva. After giving birth to a son, when I received prosperity from Lord Shiva and saw Shakti pleased with me, she returned to her home with joy. She first gave birth to one hundred sons and all of them became famous by the name I and which etc. Their bodies were very tall, they all became very strong, intelligent and virtuous. After this, Sati ji had entered the heart of Himachal so that all his wishes could be fulfilled. Himachal, after receiving Sati ji, got his glory at an auspicious moment and settled in Himachal at that time. From the time Sati ji came into my womb, my body became very bright. By holding her in the house, my mind became beautiful and bright like never before. Himachal was in such a state that he would come close to the woman again and again and the true meaning of the month would be there. Her friends would ask her whether she needed anything, I would not answer out of shame, but whatever thing she desired, it would come to her on its own. There was no such thing which the month would never cost her to get. O Narada, the more my pride grew, the brighter it became. All the rituals and festivals which are appropriate to be performed during pregnancy, were performed with great pomp in Himachal. He donated to all the people as per their wish. In those days, Vishnu ji and all the other gods went to Himachal's house to worship Shivrani's womb and returned after completing their duty when they were distressed for 9 months of pregnancy and in the tenth The month started to end, at that time auspicious omen started appearing in the sky and the earth, the sky became completely clear and its light increased, all the Ashoka planets disappeared, at that time the sages, sages and gods started showering flowers and Gandharva Siddha Charan's Apsara and Vidyadhar started their In this way, on the Shukla Paksha Navami of Madhu month, on the Shukla Paksha Navami of Madhu month, at the time of every Dharratri, Bhagwati Mahamaya took birth in the form of Parvati in the womb of the month amid immense joy. Bhaiya story is written in Kalinga Purana, O Narad. At that time, I and Vishnu ji along with all the gods along with all the materials reached the place of Himachal. We all praised the status of Shivrani according to our wisdom. It was after various o'clock in the morning and it was raining flowers, Gods. While praising Adishakti, he has said in this way, Jagdambe, Jai Jagadambe, you are the mother of the three worlds and Lord Bhoot is the capital there. You destroy our troubles because no desire of our mind is hidden from you, Aadi Shakti, you are bright and unlimited. All the living beings of the universe are your servants. Brahma, Vishnu and Shiva are called your sons and the three Gunas have originated from you only. You, being the form of Brahma and the Adi Shakti, reside in all the living beings and remain different from everyone else. The Vedas have expressed some of their glory. We have described but could not find Narada along with Venus and the editor. Despite having wise sages and godly words, we have been able to describe very little of your glory. The Upanishads say that even if a fool is blessed by you, he will praise you. May you be capable of doing this, you provide liberation to your devotees and keep crores of people under your control, you are the one who destroys the ego, Vedas and Vedanta are your committee in everything, Bhagwati is the name of your scriptures which can be described by speech. In the morning, everyone returned home on their own to praise this greatly.

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