श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 6



ब्रह्मा जी बोले हे नारद मेरी यह प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने कहा है ब्राह्मण मैं दिव्य दृष्टि द्वारा उन उत्पादकों का जो कारण जाना है उसे तुमसे कहता हूं आश्चर्य की बात तो यह है की बुद्धिमान लोग भी पशुओं के समान मूर्ख बन बैठे और उन्होंने निंदनीय कर्मकार डाला तुम्हारे साथ जो ऋषि मुनि आए हैं यह सब इतनी की मुख्ता का परिणाम है इन्होंने अपने स्त्रियों को कम के वशीभूत हो शिव जी के शरीर से लिपटे हुए देखकर अपने ब्रह्मा तेज का प्रदर्शन किया जिसके कारण शिवजी का लिंग पृथ्वी पर गिर पड़ा है जब से यह लिंग गिरा है तभी से यह सब मुद्रा उठ रहे हैं अब हम को उचित है कि हम सब भगवान सदा शिव की शरण में चले और उसे क्रोध शांत कर लेने की प्रार्थना करें है ब्राह्मण अब तक हुए अपने लिंग को पूरा धारण नहीं कर लेते तब तक किसी को भी चैन नहीं मिलेगा इतना ही नहीं यदि इस कार्य में अधिक विलंब हुआ तो सर्वस्त्र पर लाइक पर दृश्य उत्पन्न हो जाएगा इतना कह कर विष्णु जी हम सबको साथ लेकर शिव जी के पास पहुंचे और उनकी अनेक प्रकार की स्तुति करते हुए इस प्रकार कहने लगे हैं प्रभु आप हमारे ऊपर कृपा करके अपने लिंग को खोना धारण करें विष्णु जी की या प्रार्थना सुनकर शिवजी ने अत्यंत लर्जित होकर कहा हे विष्णु इनमें इन मुनियों तथा देवताओं का कोई दोष नहीं यह चरित्र तो हमने अपने इच्छा से ही किया है जब हम बिना स्त्री के हैं तब फिर हमें लिंग धारण करने की आवश्यकता ही क्या है वस्तु तुम हमने इसी दशा में रह कर आनंद प्राप्त करो करने दो भगवान सदा शिव के मुख से या वचन सुन सब देवताओं ने उसकी स्तुति करते हुए कहा हे प्रभु यद्यपि हमें आपके सम्मुख भ्रष्ट करने की उचित नहीं है परंतु जो भी हम आपसे यह प्रार्थना करते हैं कि सती जी के हिमाचल के घर फिर से जन्म लिया है और वह तपस्या करके अपने आपकी अर्धांगिनी होगी वस्तु आप उचित है कि आप अपने लिंग को पुणे धारण कर लें यह सुनकर शिवजी ने कहा है देवताओं तथा वीडियो यदि तुम हमारे लिंग की पूजा करना स्वीकार करो तो हम पुणे अपने लिंग को ग्रहण कर ले सकते हैं और तभी सृष्टि को आनंद प्राप्त हो सकता है भगवान शिव के श्रीमुख से निकले हुए इस वचन को सुनकर अपने विष्णु जी ने तथा अन्य सभी देवताओं एवं ऋषि मुनियों ने उनसे कहा हे प्रभु हम सब आपके लिंग की पूजा करेंगे आप उसे धारण कर ले इन शब्दों को सुनकर शिवजी इस समय अंतर ध्यान हो गए तब लोगों ने पाताल के नीचे पहुंचकर शिवजी के लिंग का पूजन किया सर्वप्रथम विष्णु जी नेता दो प्रांत मैं फिर इंद्र ने इसी प्रकार क्रम अनुसार सब देवताओं तथा ऋषि मुनियों ने शिवलिंग की पूजा की उसे पूजा में अनेक प्रकार के उत्सव हुए तथा आकाश में पुष्प वर्षा हुई उसे समय शिव जी ने अपने लिंग से प्रकट होकर हंसते हुए कहा है देवताओं तथा मुनियों हम तुम्हारी पूजा से अत्यंत प्रसन्न हुआ अब तुम जो चाहे वह बार मांग लो यह सुनकर हमने उसे प्रार्थना की है प्रभु आप तीनों लोक को अभय दान देकर अपने लिंग को पुणे धारण कर लीजिए साधु प्रांत आप हम लोग कोरिया वर दीजिए कि हम सब अहंकार रहित होकर आपकी भक्ति करते रहे यह सुनकर शिवजी ने के अस्तु कहते हुए अपने लिंग को पुण धारण कर लिया हे नाथ इस चरित्र के पश्चात मान्य तथा विष्णु जी ने एक उत्तम तथा पवित्र हीरे को लेकर शिवलिंग के समान एक मूर्ति का निर्माण किया और उसे मूर्ति को इस स्थान पर स्थापित कर दिया था तो प्राण मैंने सब लोगों को संबोधित करते हुए कहा इस हिरकेश शिवलिंग का जो भी व्यक्ति पूजन करेगा उसे लोक तथा परलोक में अत्यंत आनंद प्राप्त होगा उसे शिवलिंग के अतिरिक्त हमने वहां और भी सीलिंग की स्थापना की है धातु प्रांत हम सब शिव जी के उसे लिंग स्वरूप का ध्यान करते हुए अपने-अपने लोग को लौट गए भगवान सदा शिव भी प्रसन्न होकर अपने स्थान को चले गए हुए भगवान त्रिशूल प्राणी अपनी इच्छा अनुसार कभी मुनियों के पास बैठकर ज्ञान चर्चा करते तथा कभी पर्वत पर चढ़कर सती के वियोग को भुला देने की चेष्टा में सरल में रहते थे यह नारद शिवलिंग पूजन की कथा जो प्राणी मन लगाकर सुनता है वह सदैव प्रसन्न रहता है जो लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं हुए अपने कुल सहित मुक्ति को प्राप्त करते हैं

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Lord Brahma said, O Narad, after hearing this prayer of mine, Lord Vishnu said, Brahmin, I tell you the reason for those producers which I have known through divine vision. The surprising thing is that even intelligent people became as foolish as animals and did condemnable acts. Dala, the sages and sages who have come with you, all this is the result of so much Mukhta, seeing their women under the influence of cum and clinging to the body of Lord Shiva, they demonstrated their Brahma Tej due to which Lord Shiva's penis has fallen on the earth since then. Since this linga has fallen, all these postures are rising. Now it is appropriate for all of us to always take refuge in Lord Shiva and pray to him to calm down his anger. Brahmins do not fully embrace their linga till now. No one will get peace till then, not only this, if there is any delay in this work, then a scene will be created on every side. Having said this, Lord Vishnu took all of us along and reached Lord Shiva and praised him in many ways like this. They have started saying, Lord, please bless us and adopt the loss of our penis. After listening to the prayer of Vishnu ji, Shiv ji felt very embarrassed and said, O Vishnu, there is no fault of these sages and gods, we have done this character of our own free will, when we If we are without a woman, then what is the need for us to wear a penis? The thing is, you let us enjoy living in this condition, Lord, always listen to the words from the mouth of Shiva, all the gods praised him and said, O Lord, even though we are in your It is not appropriate to corrupt your face, but we pray to you that you have taken birth again in the house of Sati Ji in Himachal and after doing penance, she will become your better half. It is appropriate for you to keep your penis in Pune. Hearing this, Lord Shiva said, O Gods and Video, if you accept to worship our Linga, then we can accept our Linga and only then the creation can enjoy. Hearing this word emanating from the mouth of Lord Shiva, we worship our Vishnu. Ji and all the other gods and sages said to him, O Lord, we all will worship your Linga, you should wear it. Hearing these words, Lord Shiva became meditative at this time, then people reached under the underworld and worshiped Lord Shiva's Linga. First of all, Vishnu ji was the leader of two provinces, then Indra, in the same order, all the gods and sages worshiped Shivling. Many types of festivals took place in the worship and flowers rained in the sky. At that time, Shiv ji appeared from his linga and laughed. It has been said, Gods and sages, we are extremely pleased with your worship, now you can ask for whatever you want, after hearing this, we have prayed to him, Lord, give protection to all the three worlds and wear your penis in Pune, Sadhu province, you give us Korea boon. That we all should remain egoless and worship you. Hearing this, Shivji took his Linga as Pun saying O Nath, after this character, Manya and Vishnu ji took an excellent and sacred diamond and made an idol similar to Shivalinga. I did this and installed the idol at this place, then Pran, I addressed everyone and said that whoever worships this Hirakesh Shivling will get immense happiness in this world and the next world. Apart from the Shivling, we also made other sealings there. Dhatu province has been established. We all meditated on the Linga form of Lord Shiva and returned to our respective people. Lord Shiva also became happy and went to his place. Lord Trishul creature as per his wish sometimes sat with the sages and discussed knowledge. And this Narada used to live in simple life in an attempt to forget the separation of Sati by climbing the mountain. The person who listens to the story of Shivlinga worship with full heart, always remains happy. Those who worship Shivlinga, attain salvation along with their families. Are

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