ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद जिस दिन से सती ने अपने शरीर को त्याग था उसी दिन से भगवान सदा शिव बहुत स्वरूप धारण कर साधारण मनुष्य के समान पत्नी वियोग से दुखी को संसार में सब और ब्राह्मण करते रहे वे परमहंस योगिनी के समान नग्न शरीर सर्वांग में भस्म भले हुए मस्तक पर जाता छूट धारण किए गले में मंडों की माला पहने हुए ब्राह्मण करते रहे कुछ समय तक इस प्रकार भ्रमण करने के उपरांत हुए एक पर्वत की कंदरा में जा बैठे आपको तब करने लगे अकेले रह जाने पर उन्होंने आने को प्रकार के कष्ट उठाएं एक दिन एक दिगंबर वेद्धारी शिवजी दारु को वन में जा पहुंचे वहां उसे न न अवस्था में देखकर मुनियों की स्त्रियों के सुंदर स्वरूप पर मोहित हो काम के आवेग में उसे लिपट गई या देखकर सब मुनियों ने शिव जी को श्राप दिया उसे शराब के कारण शिव जी का लिंग उसके शरीर से पृथक होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा और उसे समय तीनों लोकों में भारी जाकर मत उठा इस कथा को सुनकर नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा है पिता मैं चाहता हूं कि आप शिवजी के चरित्र का विस्तार पूर्वक वर्णन करें ब्रह्मा जी बोले अच्छा सुनो जी समय शिवजी दिगंबर वेस्ट में वन में ब्राह्मण कर रहे हैं उसे समय ऋषि मुनि तो कहीं अन्य गए थे केवल उसकी स्त्रियां ही घरों में थी उसे कठिन अवस्था में भी शिव जी का स्वरूप इतना सुंदर था कि उसे देखते ही सब ऋषि पत्तियों उसके ऊपर मोहित हो काम के वशीभूत हो गए हुए आपस में एक दूसरे को संबोधित करते हुए बोले हे सखी इस स्त्री को बड़ी भाग्यवान समझना चाहिए जो इसके शरीर से जाली के इस प्रकार का कर वह सब स्त्रियां काम के वशीभूत हो हस्ती मुस्कुराती हुई शिव जी से जाकर लिपट गई इस समय उसके पति भी लौट कर वहां आ पहुंचे जब उन्होंने यह दृश्य देखा तो यह अत्यंत क्रुद्ध में भरकर शिवजी से कहने लगे अरे मूर्ख नरक की अधर्मी पापी नचारी तु या कैसा पाप कर रहा है तूने भेड़ के विरुद्ध धर्म को स्वीकार किया तूने अपने ही स्वरूप द्वारा हमारे स्त्रियों के धर्म को भी गड़ा है और तू हम तुमने यह शराब देते हैं कि तेरा लिंग पृथ्वी पर गिर पड़े है नाराज उसे ऋषियों के इस प्रकार कहते ही शिवजी का लिंग पाटकर पृथ्वी पर गिर पड़ा और पृथ्वी को पार करता हुआ पाताल के भीतर जा पहुंचा इधर लिङ्गिन हो जाने पर शिवजी की अत्यंत अर्जित हुए फिर उन्होंने अपने स्वरूप में प्रलय कालीन स्वरूप में भारतीय महाबायाह कर भयानक बना लिया परंतु यह भेद किसी पर प्रकट न हुआ कि शिव जी ने ऐसा चरित्र क्यों रचा था शिवजी का लिंग जब गिर पड़ा तो उसके पश्चात तीनों लोक में अनेक प्रकार की मुद्रा उठने लगे जिसके कारण सब लोग अत्यंत भयभीत दुखी तथा चिंतित हो गए पर्वत से अग्नि की लपटे उठने लगी दिन में आकाश से तारे टूट टूट कर गिरने लगे चारों ओर हाहाकार का शब्द भर गया ऋषि मुनियों के आश्रम में यह उत्पादन सबसे अधिक हुए परंतु इस भेद को कोई भी नहीं जान सका कि इन उपग्रहों का मूल कारण क्या है हे नारद प्रत्येक मनुष्य को या उचित है कि वह प्रत्येक कार्यों को भली भांति सोच समझ लेने की पश्चात ही करें जो मनुष्य बिटिया पढ़कर अहंकारी हो जाते हैं वह शिवजी को नहीं जान पाते हैं और पिछले बहुत दुख उठाते हैं वास्तु उन मुद्राओं के कारण घर दुख पाने के पास साथ में ऋषि मुनि अपने स्थान को त्याग कर देवलोक में जा पहुंचे परंतु जब वहां भी उन्हें शांति ना मिली तब से सब देवताओं को लेकर मेरे पास आए उसे समय इंद्र आदि सब देवताओं ने मुझे प्रणाम करते हुए पूछा है प्रभु दिन उपकरणों के कारण तीनों लोक में भरम हुए जाते हैं उनके उत्पन्न होने का वास्तविक कारण क्या है देवताओं की बात सुनकर मैं बहुत विचार किया परंतु वास्तविक रहस्य को नहीं समझ पाया तब मैं उन सबको साथ लेकर विष्णु लोक में जा पहुंचा वहीं भगवान विष्णु को प्रणाम करने के पश्चात मैंने उनसे उसे उत्पादों का कारण पूछा मैं बोला है कब हो पृथ्वी पर भूकंप औकात एवं पर्वत का जलन क्यों हो रहा है आप कृपा पूर्वक किसका कारण बताएं तथा जैसे हो उन मुद्राओं को शांत कीजिए जिससे तीनों लोक में ही बहुत दुखों से मुक्ति प्राप्त कर सके
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Brahma ji said, O Narad, from the day Sati left her body, Lord Shiva always assumed many forms like an ordinary human being and used to help everyone in the world and the brahmins who were saddened by the separation from their wives. The brahmins kept doing this even though the ashes were on their heads, wearing a garland of mandas around their necks, after traveling like this for some time, they went to a mountain cave and sat down and then when they were left alone, they started praying to others to come. Suffering one day, a Digambara Veddhari Shivji reached Daru in the forest. Seeing him in a bad state, he got fascinated by the beautiful appearance of the women of the sages and in the impulse of lust, she clung to him and after seeing this, all the sages cursed Shivji and cursed him for alcohol. Due to this, Lord Shiva's penis got separated from his body and fell on the earth and he did not get up after going to all the three worlds. After listening to this story, Narad ji said to Brahma ji, Father, I want you to describe the character of Lord Shiva in detail. Brahma ji said, ok listen sir, at that time Shivji is doing brahmin work in the forest in Digambar West, at that time the sages and sages had gone somewhere else, only his women were at home, even in his difficult situation, the form of Shiv ji was so beautiful that everyone saw him. The Rishi leaves, being fascinated by her, being under the influence of lust, addressing each other, said, O friend, this woman should be considered very fortunate, who does such a thing with her body, all those women are under the influence of lust, Hasti smiling. She went and hugged Lord Shiva. At this time her husband also returned and came there. When he saw this scene, he got extremely angry and said to Lord Shiva, "Oh fool, you unrighteous sinner of hell, what kind of sin are you committing against the sheep?" By your own form you have also ruined the religion of our women and you and I give you the wine that your penis has fallen on the earth. Angered by this, as soon as the sages said this, Lord Shiva's penis broke and fell on the earth and the earth After crossing the river, he reached the underworld and here, after becoming Lingin, Shivji attained great heights, then in his form during the time of doomsday, he made the Indian Mahabaaya terrible, but this secret was not revealed to anyone as to why Shivji created such a character. When Lord Shiva's linga fell down, then many types of mudras started appearing in all the three worlds due to which everyone became very scared, sad and worried. Flames of fire started rising from the mountain. During the day, stars started falling from the sky. There was hue and cry all around. This production was the highest in the ashram of sages and saints but no one could understand the secret of what is the root cause of these satellites. O Narada, it is appropriate for every human being to think carefully about each and every task. Do it only later, those people who become egoistic after reading 'Bitiya', they are not able to know Lord Shiva and suffer a lot in the past. Because of those postures, Vaastu gets sorrow at home and along with them the sages and sages leave their place and go to the world of gods, but when there Since then he came to me with all the gods and all the gods, Indra and the like, bowed down to me and asked, Lord, due to the instruments of the day, the three worlds get confused, what is the real reason for their birth? What is the matter of the gods? After hearing this, I thought a lot but could not understand the real secret, then I took all of them along with me to Vishnu Loka and after paying obeisance to Lord Vishnu, I asked him the reason for his products. I said, when will there be an earthquake on the earth, the height of the mountain and Why are you feeling jealous? Please kindly tell the reason and calm down those postures so that you can get relief from many sorrows in all the three worlds.
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