श्री शिव महापुराण कथा द्वितीय खंड अध्याय 38



इतनी कथा सुनकर पौराणिक सूट जी ने कहा है शौक़कन आदि ऋषियों सिद्ध पीठ के इस बिट्टन को सुनकर देवर्षि नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा है पिता सती के अंगों द्वारा जिन-जिन स्थान पर जियो जियो पीठ उत्पन्न हुए अब उनके संबंध में मुझे बताने की कृपा करें यह सुनकर ब्रह्मा जी बोले ही पुत्र सिद्धि पाइथन का संपूर्ण वृतांत में मैं तुम्हें सुनाता हूं तुम ध्यान देकर सुनो देवपुर नमक परम ब्राह्मणी पर्वत सरस्वती जी के दोनों चरण गिरे उसे स्थान पर महाभारत देवी प्रगत हुए वहां शिवलिंग भी विराजमान है पोस्ट कोर्ट यानी देश में सती जी के दोनों न्यूनतम गिरे वहां कल्याणी सिद्ध पीठ प्रकट हुआ वहां भी शिवलिंग विराजमान है मैं विष्णु जी ने कथा संपूर्ण सृष्टि ने उसे स्थान की पूजा की कम सेल पर्वत पर सती जी की योनि गिरी वहां कमच्छक नामक देवी की उत्पन्न हुई उन्हें कम रूप भी कही जाती है हम सब लोग ने उसे सिद्ध पीठ की पूजा करके अपने मनोरथ को प्राप्त किया सती जी की अग्नि द्वारा पूर्ण सेल पर्वत पर पूर्ण ईश्वर भवानी शिवलिंग सहित प्रकट हुए जलधार नामक पर्वत पर सती के कुछ गिरने जिससे वहां चांदी नमक देवी का सिद्ध पीठ प्रकट हुआ गंगा जी के तट पर सती का एक अंग काट कर गिरा जिससे उसे स्थान पर बागेश्वरी देवी का विवाह हुआ इसी प्रकार सती जी के अंग प्रतिरूप से गिरने पर बहुत से सिद्ध पीठ प्रकट हुए उन सभी स्थानों पर शिवलिंग की भी स्थापित हुए मैं विष्णु जी ने तथा अन्य सभी देवताओं ने उन सिद्धि वीडियो को पूजन कर संपूर्ण मुहूर्त को प्राप्त किया है जो व्यक्ति इन सिद्धि पत्रों की पूजा करता है उसकी सभी अभिलाषा है पूरी होती है हे नारद शिव जी ने सांसारिक मनुष्यों के विशेष उपकार के लिए यह लीलाएं किया क्योंकि वह अपने भक्तों को भुक्ति मुक्ति प्रदान करने वाले हैं शिवजी तथा भवानी संपूर्ण सृष्टि के माता-पिता तीनों लोकों में उनकी समानता का कोई स्त्री पुरुष नहीं है वह दोनों लोग परलोक का सुख प्रदान करने वाले हैं और तीनों लोकों में सबसे बड़े हैं इस प्राकृतिक का मूल जगदंबा सती द्वारा ही है मैं तथा विष्णु जी आदि सब देवता उन्हीं भाभी के सेवक शिवजी साक्षात परम ब्रह्म निर्गुण सद्गुण तथा प्रमेय है शिव तथा भवानी की सेवा करने वाले मनुष्य भवसागर से पर हो जाते हैं हे नारद दक्ष ने यज्ञ में शरीर त्यागने के पश्चात सती जी ने पर्वतराज हिमाचल के घर उसकी मैं नमक पत्नी के गर्भ से जन्म लिया वहां उन्होंने अनेक प्रकार की श्रेष्ठ लीला है करके अपने माता-पिता को बहुत आनंद दिया तथा उनकी आज्ञा लेकर शिवजी की तपस्या की फिर शिवजी के साथ ही उसका विवाह हुआ उन्होंने सती की अर्धांगिनी होकर देवताओं के संपूर्ण दुख दूर किया फिर शिव जी की उपासना करके अपने शरीर का रंग गौर कर लिया हे नारद शिव और शक्ति अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सब प्रकार के आनंद प्राप्त करते हैं वह संपूर्ण सृष्टि के माता-पिता और उनकी बाहर कोई भी नहीं है जब प्राणी के हृदय में यह बुद्धि उत्पन्न हो जाती है और इस बात का पहले भांति ज्ञान हो जाता है कि शिव और शक्ति की सृष्टि के मूल कारण है तब वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परम पद को प्राप्त कर लेता है मैं उन्हीं की कृपा प्राप्त करके सृष्टि को उत्पन्न करता हूं और उन्हीं की शक्ति प्रकार विष्णु जी संसार का पालन करते हैं उन शिव और शक्ति को मैं विष्णु जी तथा संकडिक भी भली भांति नहीं जान सके हैं केवल अपनी बुद्धि के अनुसार ही हम उनकी महिमा का थोड़ा बहुत वर्णन कर लिया करते हैं हे नारद मैंने अपनी बुद्धि के अनुसार शिव सती के चरित्र को कहा है इस प्रकार अन्य सभी लोग भी अपनी बुद्धि के अनुसार चरित्र का वर्णन करते हैं परंतु अंत में दिन होकर पर नहीं पाते भगवान सदाशिव एवं भगवती सती का यह चरित्र परम पवित्रता था आनंद बढ़ाने वाले हैं इसको सुनने से प्रीत तथा आयु की बुद्धि होती है यह चरित्र संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला है शिव और सती का यह चरित्र जो स्वयं पड़ता है अपना दूसरों को सुनता है वह अपने कल सतीश संबंध विपत्तियों से छूट जाता है और इस संसार में अनेक प्रकार से आनंद का उपभोग करने के पश्चात अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है यह नारद मैं तुमसे यह सब चरित्र कहा है अब तुम और जो सुनना चाहते हो उसे बताओ की तीसरी शिव पुराण श्री शिव विलास से उत्तराखंड भाषा ब्रह्मा नारद संप्रदाय द्वितीय खंड समाप्त

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Hearing this story, the ancient Sut Ji has said that after listening to this story of Siddh Peeth of sages like Shaukakan etc., Devrishi Narad Ji has said to Brahma Ji that please tell me about the places where Jeev Peeths were created from the body parts of father Sati. Hearing this, Brahma Ji said that son, I will tell you the entire story of Siddhi Python. You listen carefully. Both the feet of Saraswati Ji fell on the supreme Brahmani mountain named Devpur, Mahabharat Devi appeared at that place, Shivling is also present there. In the post court i.e. in the country, both the feet of Sati Ji fell, Kalyani Siddh Peeth appeared there, Shivling is also present there. I Vishnu Ji told the story of the entire universe that the place was worshipped. Sati Ji's vagina fell on the Kam Sel mountain. A goddess named Kamchhak was born there. She is also called Kam Roop. We all got our wishes by worshipping that Siddh Peeth. On the Purna Sel mountain, through the fire of Sati Ji, the complete God Bhavani appeared with Shivling. Some parts of Sati fell on the mountain named Jaldhar, due to which the Siddh Peeth of the goddess named Chandi appeared there. On the banks of Ganga Ji, the Siddh Peeth of the goddess named Chandi appeared. But one of Sati's limbs fell and fell down. In its place Bageshwari Devi got married. Similarly, when Sati's limbs fell, many Siddha Peethas appeared. Shivlingas were also established at all those places. Vishnu ji and all other gods have worshipped those Siddhi Peethas and achieved the perfect Muhurta. The person who worships these Siddhi Peethas, all his desires are fulfilled. O Narada, Shiv ji performed these Leelas for the special benefit of worldly humans because he gives Bhukti Mukti to his devotees. Shiv ji and Bhavani are the parents of the whole universe. There is no man or woman equal to them in the three worlds. Both of them provide happiness in the other world and are the greatest in the three worlds. The origin of this universe is through Jagadamba Sati. I and Vishnu ji and all other gods are the servants of that Bhabhi. Shiv ji is the Supreme Brahma, Nirgun, Sadgun and Prameya. The humans who serve Shiv and Bhavani cross the ocean of life. O Narada, after giving up their body in the Yagya of Daksh, Sati ji took birth in the womb of his wife, the mountain king Himachal. There he performed many types of great acts and gave a lot of joy to his parents. Taking their permission, he did penance of Shiva. Then he got married to Shiva. He became the better half of Sati and removed all the sorrows of the gods. Then by worshipping Shiva, he changed the color of his body. O Narada, Shiva and Shakti get pleased with their devotees and give them all kinds of joy. They are the parents of the whole universe and there is no one outside them. When this wisdom arises in the heart of a person and he gets the knowledge that Shiva and Shakti are the root cause of the universe, then he gets free from the worldly bonds and attains the supreme position. I create the universe by getting their grace and Vishnu ji takes care of the world by their power. Even I, Vishnu ji and Sankadik could not know Shiva and Shakti properly. We only describe their glory a little according to our intelligence. O Narada, I have told the character of Shiva and Sati according to my intelligence. Similarly, all other people also describe the character according to their intelligence, but in the end, they are unable to understand. This character of Lord Sadashiv and Goddess Sati was of utmost purity and increases happiness. Listening to it gives love and wisdom of long life. This character destroys all the sins and gives victory over the enemies. Whoever reads or listens to this character of Shiva and Sati, gets freed from the troubles related to his past and future and after enjoying many kinds of happiness in this world, finally attains Shivalok. Narad, I have told you all these characters, now tell me whatever else you want to hear. Third Shiva Puran from Shri Shiv Vilas, Uttarakhand language Brahma Narada sect, second part ends.

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