सूट जी बोले यह सौगंध आदि ऋषियों इतनी कथा सुनने के पक्ष नाराज जी ने ब्रह्मा जी से इस प्रकार कहा है पिता या वृत्तांत सुनकर मेरे मन में एक संदेह उत्पन्न हुआ है अतः आप उसका निवारण कर दें आप मुझे यह बताने की कृपा करें कि मैं की कितनी बहने और थी क्योंकि आप भी यह बता चुके हैं कि मैं अपनी बहनों में सबसे बड़ी थी आप यह भी बताने की उन बहनों को किसने श्राप दिया था यह सुनकर ब्रह्मा जी बोले हे नारद मेरे पुत्र दक्ष प्रजापति ने सर्वप्रथम बहुत से पुत्र उत्पन्न किया परंतु उसके द्वारा दक्ष को आनंद लब ने हुआ क्योंकि वह मुक्ति पाकर परम पद को जा पहुंचे तब यह देखकर दक्ष प्रजापति में साथ करने आए उत्पन्न किया और उसका विवाह चंद्रमा आदि के साथ कर दिया यह वृत्तांत पहले भी सुन चुके हैं दक्ष की उन पुत्री में एक लड़की का नाम इस राधा तथा उसका उसका विवाह पितरों के साथ हुआ इस वादा के गर्व से तीन का न्याय ने जन्म लिए उनमें सबसे बड़ी का नाम मैं मंजूरी का नाम धन्य तथा छोटी का नाम कलावती था हे नारद प्रातः काल के समय जो मनुष्य इनका नाम लेता है उसके संपूर्ण मनोरथ पूरे होते हैं इसके शुद्ध चरित्र को सुनने से आनंद की प्राप्ति होती है क्योंकि तीनों लोग में समान प्राप्त करने वाले ही इसी योग्य है एक दिन की बात है कि तीनों का न्याय श्वेत दीप में जाकर फिर समुद्र के निकट भगवान विष्णु के समीप जब पहुंची और वहां विष्णु जी के दर्शन करने के उपरांत उसकी स्तुति करके उनकी आज्ञा से वही एक स्थान पर बैठ गई कुछ देर पश्चात मेरे पुत्र समकादिक भी वहां जा पहुंचा उन्होंने दूर से ही भगवान विष्णु को प्रणाम किया संपादक को आते देख वहां उपस्थित सभी लोग उठकर खड़े हो गए तथा सम्मान पूर्वक उन्हें प्रणाम करने लगे परंतु है नारद वे तीनों का न्याय अपनी स्थान पर जिओ की क्यों बैठी रही उन्होंने ना तो संकडिक को प्रणाम किया और ना उनका सम्मान किया है नारद दूसरों को द्वेष भले ही दे दिया जाए परंतु सत्य बात तो यह है कि शिवजी की इच्छा से होती है वह होता है भगवान सदा शिव की आज्ञा को ही भाग्य अथवा कर्म कहते हैं वास्तु उन तीनों का नियमों की धुलाई को देखकर समकादिक को बहुत क्रोध हुआ यद्यपि हुए लोग विद्यमान निरंकार तथा परम हंस है परंतु उसे समय शिव जी की माया में पड़कर हुए अपने ज्ञान को भूल बैठे भला तीनों लोकों में ऐसा कौन है जो शिवजी की माया तथा इच्छा पर विजय प्राप्त कर सके वास्तु संत कुमार ने उनको संबोधित करके कहा अरे तुम तीनों बहनें परम मूर्ख हो तुम वेद के आश्रय को नहीं समझ पाए हो और तुमने यह बात नहीं जानी है कि ब्राह्मण समस्त प्राणियों द्वारा पूजा जाने योग्य है तुमने अहंकार के वशीभूत हो मनुष्यों के सम्मान अपने मार्ग को त्याग दिया और हमारा बहुत निरादर किया अतः हम तुम्हें यह श्राप देते हैं कि तुम देवभूमि स्वर्ग को त्याग कर मनुष्यों के देश में जाकर रहो हे नारद इस शराब को सुनकर हुए तीनों आश्चर्य चकित रह गए और संत कुमार की प्रार्थना करते हुए बोली है मनी हमसे या बड़ा भारी अपराध हुआ जो आपका सम्मान नहीं किया वास्तव में यह अपराध हमसे मनुष्य के समान ही बन पड़ता है उसका फल भी हम प्राप्त कर चुके हैं परंतु आप हम आपसे यह प्रार्थना करती है कि आप हमें यह वरदान दें कि जिस समय हमारा पाप नष्ट हो जाए तब हम फिर किसी रूप को प्राप्त कर ले उनके इन बिनती वचन को सुनकर संत कुमार अनंत प्रसन्न हुए और बोले है कन्याओं तुम्हारे प्रार्थना सुनकर हमारे मन का दूर हो गया है आज तो हम प्रसन्न होकर तुम्हें यह वार देते हैं कि तुम में जो सबसे बड़ी कन्या है वह विष्णु के अंत से उत्पन्न पर्वत रात हिमालय की पत्नी होगी और उसके गर्व से जो लड़की उत्पन्न होगी वह शिवरानी होकर अपने कुटुंब के लोगों का सब पाप नष्ट कर देगी मंजिले का नियम का विवाह त्रेता युग में राजा जनक के साथ होगा उसके गर्व से सीता का जन्म होगा जो भगवान रामचंद्र के साथ विवाह जाएंगे तीसरी बहन का विवाह द्वापर युग में वेश्यावन ब्रिंग्स भानु के साथ होगा उसकी पुत्री राधा भगवान श्री कृष्ण की प्रेमी होगी इस प्रकार तुम तीनों ही पुणे अपने गति को प्राप्त होकर स्वर्ग में आप पहुंचोगे इतना कह कर संकडिक वहां से चले गए तब हुए तीनों का नियमों भी अपने पिता के घर लौट आए इतनी कथा को सुनकर नारद जी ने पूछा के पिता इसके बाद क्या हुआ वह आप मुझे कहिए ब्रह्मा जी बोले ही पुत्र अब मैं आगे का यह वृत्तांत भी करता हूं जिसे सुनकर भगवान सदा शिव के चरणों में भक्ति उत्पन्न होती है
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Suit ji said, this oath, the sages etc., angry on hearing so many stories, ji said to Brahma ji thus, Father, after listening to this story, a doubt has arisen in my mind, so please resolve it, please tell me that I How many more sisters were there because you have also told that I was the eldest among my sisters, you should also tell who had cursed those sisters. Hearing this, Brahma ji said, O Narad, my son Daksh Prajapati was the first to give birth to many sons but Through her, Daksh became very happy because after attaining liberation he reached the supreme position, then seeing this, Daksh came to Prajapati to accompany him and married him to Moon etc. We have heard this story earlier also, one of the daughters of Daksh was The girl's name was Radha and she was married to her ancestors. With the pride of this promise, three Nyayas were born. The name of the eldest among them was I was Sangya, the name was Dhanya and the name of the youngest was Kalavati. O Narada, the man who wakes up in the morning, their name was Takes it, all his wishes are fulfilled, one gets happiness by listening to his pure character because only the one who gets equal among the three people is worthy of it. It is a matter of one day that the justice of all three will be judged by going to the white lamp and then Lord Vishnu near the sea. When she reached near Lord Vishnu and after having darshan of Lord Vishnu, she sat at the same place with his permission and after some time, my son Samakadik also reached there. He bowed to Lord Vishnu from a distance. Seeing the editor coming, he was present there. Everyone stood up and started saluting him respectfully, but Narad, justice for all three of them lived in their place, why did they remain sitting, they neither saluted Sankadik nor respected him, Narad, even if one gives hatred to others. But the truth is that it happens as per the wish of Lord Shiva, it always happens on the orders of Lord Shiva, it is called destiny or karma, Vastu. Seeing the washing away of the rules of those three, Samakadik got very angry, even though the people who were present were Nirankar and Param Hans. But at that time he fell into the illusion of Lord Shiva and forgot his knowledge. Who is there in the three worlds who can conquer the illusion and will of Lord Shiva? Vastu Saint Kumar addressed them and said, Hey, you three sisters are the ultimate fools. You have not been able to understand the shelter of the Vedas and you have not understood that Brahmin is worthy of being worshiped by all living beings. You are under the influence of ego, you have abandoned your path of respect for human beings and have disrespected us very much, hence we curse you that O Narad, you leave the land of heaven and go to live in the country of humans. Hearing this liquor, all three were surprised and praying to Saint Kumar they said, Money has been committed by us or a big crime has been committed by not respecting you. In fact, this crime has been committed by us. We have already received the result of becoming like a human being, but we pray to you that you give us this boon that when our sins are destroyed, we can attain some form again. Saint Kumar Anant became happy after listening to this and said, O girls, my mind has gone away after listening to your prayers, today we are happy to tell you that the eldest girl among you is the wife of Himalaya, the mountain born from the end of Vishnu. And from her pride, the girl who will be born will become Shivarani and will destroy all the sins of her family members. Manjile's marriage will be with King Janak in Treta Yuga. From her pride, Sita will be born who will marry Lord Ramchandra. Third The sister will be married to the courtesan Brings Bhanu in the Dwapar Yuga. His daughter Radha will be the lover of Lord Shri Krishna. In this way, all three of you will reach heaven after attaining your speed in Pune. Having said this, Sankadik left from there and then the rules of the three were also followed. After returning to his father's house, after listening to this story, Narad ji asked, father, what happened after this, you tell me, Brahma ji said, son, now I also tell this further story, listening to which devotion always arises at the feet of Lord Shiva.
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