श्री शिव महापुराण कथा तृतीय खंड अध्याय 12


ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद जब स्वयंवर सभा में सब लोग यथास्थान अभी राज्य उसे समय हिमाचल ने गिरजा को यह आज्ञा दी कि अब तुम स्वयंवर सभा में पहुंचकर अपने अनुरूप पति का चुनाव कर लो उसे समय फूल की स्त्रियों ने गिरजा का अनेक प्रकार से सिंगार किया तथा सभी ने यह प्रार्थना की की गिरजा का विवाह किसी श्रेष्ठ वर्क के साथ को वस्तु गिरजा भगवान सदा शिव का ध्यान धरती हुई स्वयंवर सभा में आ पहुंचे उसे समय शास्त्रों आंखें उनकी और उठ गई विवाह हेतु सभी व्यक्तियों ने उन्हें अपने और आकर्षित करने का प्रयत्न किया उसे समय साथियों ने सर्वप्रथम गिरजा को इंद्र के समीप ले जाकर पड़ा खड़ा किया उसका परिचय देते हुए बताया है पार्वती इनका नाम इंद्र है इन्होंने सहस्त्र यज्ञ किए हैं जो व्यक्ति की शरण में आ जाता है उसकी यह सब प्रकार से रक्षा करते हैं इनका स्वरूप चंद्रमा से भी अधिक सुंदर है इन्हें स्वीकार कर लेने पर तुम इंद्रावणी पद को प्राप्त करोगी तथा सब प्रकार के सुख भोग तुम्हारे हर समय उपलब्ध होते रहेंगे आज तू है गिरजे तुम्हें उचित है कि तुम उनके साथ विवाह करना स्वीकार कर लो है नाराज सखी की बात सुनकर गिरिजा ने एक बार इंद्र की ओर नीची दृष्टि डाली का दो प्राण उन्हें प्रणाम करते हुए चुपचाप आगे बढ़ गई इस प्रकार साथियों ने विष्णु आदि देवताओं की प्रशंसा करते हुए उनसे किसी को भी अपना पति चुन लेने की सलाह दी परंतु गिरजा उन सबको प्रणाम करते हुए आगे बढ़ती गई जब वह मुझ पर तथा विष्णु जी पर भी प्रसन्न नहीं हुए और वरमाला लेकर आगे बढ़े इस समय अचानक ही शिव जी को स्वयंवर स्थल में आकाश से प्रगट होकर आप विराजे उन्हें देखते ही गिरजा के मुंह पर प्रसन्नता चमक उठी और उन्हें माला शिव जी के कंठ में डाल दी

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Brahma ji said, O Narad, when everyone was present at the same place in the Swayamvar Sabha, Himachal ordered the church to now reach the Swayamvar Sabha and choose a husband as per their choice. The women of Samay Phool decorated the church in many ways. And everyone prayed that the marriage of the Church should be done with some great work. The Church arrived at the Swayamvar Sabha always paying attention to Lord Shiva. At that time, eyes of the scriptures were raised towards him and all the people tried to attract him towards themselves for the marriage. When he tried to do so, his friends first took the church near Indra and made him stand there. While introducing him, they told him that Parvati, his name is Indra, he has performed thousands of yagyas, he protects the person who surrenders himself in every way. Her form is more beautiful than the moon. By accepting these, you will attain the status of Indravani and all kinds of pleasures will be available to you all the time. Today you are a church and it is right for you to accept marriage with her. Hearing this, Girija once looked down at Indra, bowed to him with all her heart and silently moved ahead. In this way, her companions praised the gods like Vishnu and advised her to choose anyone as her husband, but Girija bowed to all of them. She kept moving forward while doing this, when she was not happy with me and even with Vishnu ji and moved ahead with the garland. At this time, suddenly Shiva ji appeared from the sky at the Swayamvar place and seeing her sitting there, happiness shone on the face of the church and she I put the garland around Lord Shiva's neck.

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