ब्रह्मा जी ने कहा है नाराज उसे समय हिमाचल ने स्वयंवर सभा में अनेक स्वर्ण सिंहासन रखवाया दिया तथा उन्हें सब प्रकार से सुसज्जित करके सब लोगों के पास या संदेश भिजवाया कि वह स्वयंवर सभा में आप विराजे उसे संदेश को सुना कर प्रत्येक व्यक्ति बड़ी धूमधाम से स्वयंवर मंडप में जा पहुंचा इंद्र के रावत हाथी पर सवार होकर आया विश्वनाथ के पुत्र रागिनी अपने घरों के साथ बड़ी सज धज पूर्वक आई इसी प्रकार विष्णु दिगपाल वरुण कुबेर यमराज सूर्य तथा चंद्रमा आदि भी सभा में पहुंचकर अपनी अपनी चौकिया पर बैठ गए मैं भी अपने हंस पर बैठकर उसे स्वयंवर सभा में पहुंचा वहां मैंने यह देखा कि विष्णु जी चतुर्भुज रूप धारण किए पित्त वस्त्र पहने रत्न अलंकारी से सुसज्जित हो सभा में बैठे हुए हैं कोई भी देवता ऐसा ना था जो वहां दिखाई ना पड़े रहा हो मेरी विष्णु जी की तथा अन्य सभी लोगों की यह इच्छा थी कि गिरजा का विवाह केवल हमारे साथ ही हो संपूर्ण पर्वत अर्थ टी कनक गिरी देव को विंध्याचल पर्वत त्रिकूट करवीर चित्रकूट आदि भी उसे सभा में आए थे और समुद्र के जीवों भी मनुष्यों का स्वरूप धारण कर आ पहुंचे थे तात्पर्य यह है कि प्रत्येक लोक प्रतीक प्रत्येक दीप प्रत्येक दशा तथ प्रत्येक नगर में आए हुए जीव विश्व स्वयंवर सभा में उपस्थित थे उसे मंडप में सुख की संपूर्ण सामग्री उपस्थित थी वहां घंटा ढोल आदि विधिवत प्रकार के बजे बज रहे थे तब वेद पार्टी जन्म वेद मित्रों का उच्चारण कर रहे थे
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Lord Brahma said that he was angry at that time. Himachal got many golden thrones placed in the Swayamvar Sabha and after furnishing them in every way, he sent a message to all the people that he should be seated in the Swayamvar Sabha. After narrating the message to him, everyone performed Swayamvar with great pomp and show. Indra's procession reached the pavilion, riding on an elephant, Vishwanath's son Ragini came with her family in full attire, similarly, Vishnu, Digpal, Varun, Kuber, Yamraj, Surya and Moon etc. also reached the gathering and sat on their posts, I too in my swan. But after sitting, I reached the Swayamvar Sabha, there I saw that Lord Vishnu was sitting in the assembly wearing a four-armed form, wearing yellow clothes and adorned with gems. There was not a single deity who was not visible there, except my Lord Vishnu and others. It was the wish of all the people that the church marriage should take place only with us, the entire mountain meaning T Kanak Giri Dev, Vindhyachal mountain, Trikoot, Karveer Chitrakoot etc. had also come to the gathering and the creatures of the sea had also come in the form of humans, meaning this. It is said that every folk symbol, every lamp, every condition and every creature present in every city was present in the Vishwa Swayamvar Sabha. The entire material of happiness was present in the pavilion. There, bells, drums etc. were ringing in the prescribed manner, then Veda party, birth of Veda friends was pronounced. Was doing
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