सूजी ने कहा है ऋषियों इतनी कथा सुनकर नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा है पिता जिस प्रकार अपने भगवती गिरजा की सुंदरता का वर्णन किया है उसी प्रकार उसके विवाह का चरित्र भी मुझे सुनने की कृपा करें ब्रह्मा जी बोले हे नाथ शिव जी तथा शिवरानी की लीलाएं परम आश्चर्य जनक है वह तीनों लोकों के स्वामी है अतः तुम्हें उचित है कि तुम संदेह रहित होकर उसकी संपूर्ण कथाओं में विश्वास रखो आप मैं तुम्हें उसके विवाह का चरित्र सुनाता हूं कुछ लोगों का यह कहना है कि गिरजा का विवाह स्वयंवर के रूप में हुआ परंतु कल भेद के अनुसार गिरजा विवाह की कथा अलग-अलग प्रकार से है एक था या है कि शिवजी दिगंबर वश में अपेक्षयुक्त स्वरूप धारण कर हिमाचल के द्वार पर विवाह करने के लिए आए थे उसे समय हुए बल पर अरुण थे और सुपर तथा समीक्षा नमक देवता उसके साथ थे अन्य देवता उसके साथ तो थे परंतु वह प्रत्येक्स दिखाई नहीं देते थे वास्तु इस प्रकार विवाह में के निर्माता पधार कर सर्वप्रथम शिव जी ने हिमाचल के अहंकार का नाश किया तदुपरांत हुए बारात सज कर विवाह करने को पधारे और गिरजा को अंगीकार किया हे नाथ कुछ आश्चर्य का कहना है कि शिव जी ने गिरजा की तपस्या से प्रसन्न होकर उसके साथ विवाह कर स्वीकार किया और बारात लेकर हिमाचल के घर जा पहुंचे वहां उन्होंने आने को प्रकार की लीलाओं के द्वारा सब लोगों को सुख पहुंचायत तथा महीना के भ्रम को नष्ट किया इन अनेक प्रकार की कथाओं का कारण एक तो कप भेद है और दूसरा यह है कि शिवजी के प्रति जिसकी जैसी प्रतीत होती है उसे वैसा ही चरित्र दिखाई देता है वास्तु इन बातों पर किसी प्रकार की शंका अथवा विचार करना कठिन नहीं है सर्वप्रथम मैं स्वयंवर कथा का वर्णन करता हूं जिससे विष्णु के गानों तथा देवताओं की बुद्धि कुंडलित हो गई थी वह कथा इस प्रकार है एक दिन हिमाचल नया देखा कि गिरजा युवावस्था को प्राप्त हो चुकी है तब उसने अपने भाई बांधों को बुलाकर यह कहा कि तुम लोग गिरजा के अनुरूप किसी देवता को देखकर उसके साथ गिरजा का विवाह कर दो क्योंकि पिता का धर्म ही है कि वह अपने पुत्री की युवा हो जाने पर किसी श्रेष्ठ वर्ग के साथ उसका विवाह करके अपने रन से यूरिन हो जाए उन्हें दोनों मैं ने भी हिमाचल को अपने निकट बुलाकर यह कहा कि है पति गिरजा युवावस्था को प्राप्त हो चुकी है आज तो आप उसके लिए कोई श्रेष्ठ शब्द धुंधिया उन्होंने यह भी कहा कि गिरजा मुझे अत्यंत प्रिय है आता है इसके लिए कोई ऐसा योग्य वर्क धुंधिया जो सब प्रकार से प्रसाद न शाह का पात्र हो हे नारद मैं की बात सुनकर हिमाचल अत्यंत प्रसन्न हो घर के बाहर निकले और राज्यसभा में पहुंचकर मंत्रियों से इस प्रकार करने लगे हैं मंत्रियों आप मेरी पुत्री के योग्य किसी उचित वर्ग की तलाश करें उसे समय मंत्रियों ने यह सहमति थी है राजन राज कन्या के विवाह के लिए आप एक ऐसे स्वयंवर का आयोजन करें जिसमें ब्रह्मा विष्णु आदि सभी दिगपाल भी सम्मिलित हो सर्वप्रथम आप उसे स्वयंवर के समय गिरजा को प्रत्येक विवाह विच्छेद पुरुष के नाम गुण आदि के संबंध में सूचित करें टाङू प्रांत उसका स्वरूप दिखाइए उसे समय गिरजा जिसके कंठ में वर्णमाला डाल दी उसी के साथ गिरजा का विवाह कर दिया जाए मंत्रियों की इस सहमति को सुनकर हिमाचल को अत्यंत प्रसन्नता हुई तब उन्होंने स्वयंवर की तिथि निश्चित कर सब लोगों के पास निमंत्रण पत्र भेज दिए है नारद गिरिजा के स्वयंवर का समाचार प्राप्त कर सभी देवता हिमाचल के नगर में जा पहुंचे मैं विष्णु इंद्र सूर्य चंद्रमा अग्नि तथा अन्य दिगपाल भी अपनी अपनी बारात सज कर बड़ी धूमधाम से हिमाचल के यहां गए हैं नारद हम सब लोगों को देखते ही हिमाचल में आगमनित करते हुए उसका एट यॉट आदर्शाकर किया तब प्राण की स्थिति एवं प्रशंसा करके रहने के लिए श्रेष्ठ निवास दिया उनसे अन्य सब देवताओं की भी बहुत सेवा की जब हम लोग स्वयंवर स्थल में जा पहुंचे तो उसे विचित्र मंडप को देखकर हमें अत्यंत आनंद हुआ हम लोग परंपरा पर बात करते हुए कहने लग देखें आज गिरजा किस प्रकार पर प्रसन्न होती है और उसके साथ विवाह करने का सौभाग्य प्राप्त होता है कोई कहता है पूरे विष्णु जी को स्वीकार करेगी और कोई अन्य देवता का नाम लेता था बीच-बीच में सब लोग यह भी कहते जाते थे कि गिरजा का विवाह जिसके साथ होगा उसी को हम सब अपने से उत्तम और प्रधान पुरुष समझ लेंगे हुए लोग जो विवाह देखने की इच्छा से ही आए थे वह कह रहे थे कि हम तो गिरजा का विवाह देखने आए हैं अतः उसका विवाह किसी के साथ क्यों ना हो हम तो उसका आनंद को देखकर एक कृतार्थ हो जाएंगे
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Suji has said, Rishis, after listening to this story, Narad ji has said to Brahma ji, Father, just as you have described the beauty of your Bhagwati Church, in the same way, please listen to me about the character of his marriage. Brahma ji said, O Nath of Shiv ji and Shivarani. His pastimes are extremely astonishing. He is the lord of all the three worlds, hence it is right for you to believe in all his stories without any doubt. I will tell you the character of his marriage. Some people say that the Church's marriage took place in the form of Swayamvara. But according to different religions, the story of the church marriage is different, one is that Lord Shiva had come under the control of Digambar in the form of an expectant to get married at the door of Himachal, at that time, Arun was there on the strength and super and review salt. Gods were with him. Other gods were with him but they were not visible to everyone. In this way, by coming to the marriage as the creator of Vastu, first of all Lord Shiva destroyed the ego of Himachal. After that, the wedding procession got decorated and came for the marriage and accepted the Church. O Nath, it is somewhat surprising that Lord Shiva, being pleased with the penance of the girl, accepted the marriage with her and took her to Himachal's house with a wedding procession. There he brought happiness to all the people through various pastimes and ended the illusion of the month. The reason behind these various types of stories is that one is due to differences of opinion and second is that whoever appears towards Lord Shiva appears to have the same character. Vastu, it is not difficult to have any kind of doubt or thought on these things. First of all, I Let me narrate the Swayamvar story due to which the intellect of Vishnu's songs and the Gods had become confused. The story is as follows: One day Himachal Naya saw that the Church had attained the age of majority, then he called his brother brothers and said that you all are members of the Church. Seeing any deity, do a church marriage with him, because it is the father's religion that when his daughter becomes young, he should marry her with someone from a better class and get urine from both of them. I also kept Himachal close to me. Calling her, she said, 'Husband, Church has attained puberty. Today, can you find a better word for it?' Ho O Narad, Himachal became extremely happy after hearing what I said. I came out of the house and reached the Rajya Sabha and started asking the ministers like this, Ministers, please search for a suitable class suitable for my daughter. At that time, the ministers had agreed that Rajan Raj is the daughter of the girl. For marriage, you should organize such a swayamvar in which all the Digpals like Brahma Vishnu etc. are also included. First of all, at the time of swayamvar, you should inform the church about the name, qualities etc. of the person who is being divorced from each marriage. Show his appearance to the person whose throat is at the time of marriage. Himachal was very happy after hearing the consent of the ministers that the church should be married along with it, then they fixed the date of swayamvar and sent invitation letters to all the people. After receiving the news of the swayamvar of Narada Girija, all the gods I reached the city of Himachal, Vishnu, Indra, Sun, Moon, Agni and other digpals also decorated their wedding processions and went to Himachal with great pomp. On seeing all of us, Narad brought us to Himachal and made him an idol and then he was in the state of life. And praised him and gave him the best residence to live in and served all the other deities a lot. When we reached the Swayamvar place, we were extremely happy to see the strange pavilion. We started talking about the tradition and said, let's see how the church is today. But she is happy and gets the good fortune of marrying him. Some say that she will accept Lord Vishnu and someone else takes the name of another deity. In between, everyone also says that the person with whom the church will be married will be the one. Considering him to be a better and more important man than us, the people who had come only with the desire to see the marriage were saying that we have come to see the Church's marriage, so why should he get married to anyone else, we would like to see his joy. will become a blessing
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