श्री शिव महापुराण कथा द्वितीय खंड अध्याय 3



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद इस प्रकार मैंने शिव जी की माया के अधीन होकर तथा अहंकार के वशीभूत होकर पहले तो अपने प्रभु के साथ बेर किया ताड़ूपरान कामदेव पर कृपा करके दक्ष प्रजापति से यह कहा है पुत्र तुम अपनी श्वेत का नमक पुत्री का विवाह कामदेव के साथ कर दो तो हमारा हृदय प्रसन्न होगा मेरे इस आजा को सुनकर दक्ष ने कामदेव से कहा है आनंद मेरे पुत्री को जो रति नाम से भी प्रसिद्ध है स्वीकार करो और प्रसन्नता पूर्वक तीनों लोक पर विजय प्राप्त करते रहो कामदेव ने भी दक्ष किया प्रार्थना स्वीकार कर ली तब रति के साथ कामदेव का बड़ी धूमधाम से विवाह हुआ उसे समय मैं अत्यंत प्रसन्नता होकर दक्ष को अपनी बाई और बिठाया फिर पिता के समान उपदेश करते हुए भगवान सदाशिव ने मुझसे जो शब्द कहे थे उन पर विचार करते हुए दक्ष से बोला है दक्ष शिवजी योगी स्वरूप धारण कर तीनों लोकों को जीत भोग विलास को त्याग स्ट्रीहीन हो सदैव स्वच्छ विचरण किया करते हैं अपनी दसों इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर वे स्वाधीन बने हुए हैं अतः तुम ऐसा कोई उपाय करो जिससे शिवजी सांसारिक रीति के अनुसार अपना विवाह कर ले ऐसा हो जाने पर हम निश्चित हो जाएंगे शिवजी ने तुम्हें भी बहुत बेकार दिया है और अपने बड़प्पन के अहंकार में भरकर किसी को कुछ नहीं समझा है यदि विष्णु ने हमसे ऐसा कहा होता तो हम कुछ भी बुरा नहीं मानते शिवजी हमारे पुत्र होते हुए भी हमारे प्रतीत ऐसे कुटू वचनों का प्रयोग करते हैं और तुझे भी जबकि तुम उनके भाई होते हो इस प्रकार अनदर वचन कहते हैं सोया किसी भी हाल में उचित नहीं है अस्तु जब तक शिवजी किसी स्त्री से विवाह नहीं कर लेते तब तक हमारा शक दूर नहीं होगा आप सोने की यह बात है कि संसार में ऐसी कौन सी स्त्री है जिसके ऊपर शिवजी मोहित हो जाए और उसे अपना विवाह कर ली तथा वह स्त्री शिवजी की सारी चतुराई को दूर कर दे यह बात ध्यान में रखने की है कि जब कामदेव भी शिवजी को वश में नहीं कर सकता तो अन्य देवता उसके समक्ष किस प्रकार ठहर सकते हैं फिर भी यदि कामदेव कुछ प्रयत्न करें तो शायद काम बने हैं नारद इतना कह कर मैं हंसता हुआ कामदेव के पास जा पहुंचा उसके सुंदर स्वरूप को देखकर मुझे यह निश्चय हो गया कि कामदेव द्वारा हमारा यह काम अवश्य सिद्ध हो जाए कामदेव ने मुझे अत्यंत आदर पूर्वक अपने पास बैठाया इस समय तेरे स्वास्थ्य से एक अत्यंत सुंदर पुरुष उत्पन्न हुआ उसका नाम मैंने वास वक्त वास वक्त के जन्म शिव कामदेव की शक्ति में वृद्धि हुई उसे समय तीनों प्रकार के वायु चलने लगता था पक्षी गांड मधुर स्वरों को छह चाहने छह चाहने लग कोकिला भी मीठी स्वरों में कुक उठी कामदेव की उसे शक्तिशालिनी सी को देखा मैंने कहा है मंथन यदि तुम अपने पराक्रम से शिवजी को वश में कर लो तो तीनों बिनो में तुम्हारी अत्यंत प्रसिद्ध होगी अस्तु तुम मेरे आजा मां कर इस कार्य को शीघ्र संपन्न करो मेरी इस आजा को सुनकर कामदेव ने उसे अपने मस्तक पर धारण किया तब उपरांत वह मुझे प्रणाम कर एवं अपनी सेवा को साथ लेकर शिव जी के समीप चल दिए

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Brahma ji said, O Narad, in this way, under the influence of Lord Shiva's illusion and under the influence of ego, I first got married with my Lord. By blessing Taduparan Kamadev, I have said this to Daksh Prajapati, son, you are the salt of your white, daughter's marriage Kamadev. If you do it with me, our heart will be happy. Hearing this request of mine, Daksh said to Kamadeva, Anand, accept my daughter who is also famous by the name of Rati and keep conquering the three worlds happily. Kamadeva also accepted Daksh's prayer. Then Kamadeva got married with Rati with great pomp and show. At that time, I was extremely happy and made Daksh sit on my left side. Then, while preaching like a father, Lord Sadashiv, thinking about the words that he had said to me, said to Daksh: Lord Shiva assumes the form of a Yogi, conquers all the three worlds, gives up pleasures and luxuries, is womanless, always walks clean, has victory over his ten senses and remains independent, hence you should take some measures so that Lord Shiva gets married as per the worldly customs. Once this is done, we will be sure that Shivji has given you a lot of useless things and filled with ego of your greatness, you have not understood anyone as anything. If Vishnu had said this to us, then we would not have considered anything bad. Shivji, despite being our son, still appeared to be ours. They use such bad words and you too, when you are their brother, they say other words like this, it is not appropriate under any circumstances, therefore, until Lord Shiva does not marry a woman, our doubt will not go away, you sleep. The thing is that there is such a woman in the world on whom Lord Shiva can get fascinated and marries her and that woman can remove all the cleverness of Lord Shiva. This thing to be kept in mind is that when Kamadev also comes under the control of Lord Shiva. If he can't do it, then how can other gods stand in front of him, yet if Kamadeva makes some efforts, then perhaps Narad has been created. Having said this, I went to Kamadeva laughing and seeing his beautiful form, I was sure that through Kamadeva, This work of ours must be accomplished. Kamadeva made me sit near him with utmost respect. At this time, from your health, a very beautiful man was born, his name was I Vaas Vakat, Vaas Vakat, Shiva was born, Kamadeva's power increased, he got time for all three types of winds to move. The bird's ass seemed to be longing for the sweet sounds. The nightingale also started singing sweet sounds. I saw Kamadeva's powerful face. I have told you, Manthan, that if you can subdue Lord Shiva with your might, then you will be extremely famous among the three Binos, Astu. You come to me and complete this task quickly. Hearing this request of mine, Kamadeva placed it on his head, then after paying obeisance to me and taking his service with him, he went near Lord Shiva.

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