ब्रह्मा जी बोले हे नारद सबसे पहले विष्णु जी ने दोनों हाथ जोड़कर स्तुति करते हुए कहा है ईश्वर आपकी स्तुति वेद भी नहीं कर सकते मैं भी आपकी स्तुति की है पर आपका आदि अंत नहीं जान पाया फिर इस प्रकार देवता उप देवता गण आदि सबने अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार अत्यंत विस्तार पूर्वक स्थिति की सबने खड़े होकर एक स्वर से प्रसन्नता प्रकट की तब शिवजी सब की प्रतीत देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए शंकर जी यह देख अति प्रसन्न होकर बोले तुम सब लोग की जो भी इच्छा है उसे प्रकट करो मैं उसकी पूर्ति करूंगा यह सुनकर सब हाथ जोड़कर बोल ही प्रभु आपके वचनों से ही हम तृप्त हो गए हैं हमारे सब क्लेश दूर हो जाए इसके अतिरिक्त आप और कौन सी वस्तु है जिसको हम आपसे मांगे आपसे क्या छिपा है फिर भी हम सब की एक इच्छा है कि हम सब सदा आपकी भक्ति में तृप्ति रहे तथा आपके चरणों की इच्छा किया करें हमको कोई भय नहीं हो और आप हमारे सब अपराध क्षमा करें जब दानव हमारा अपमान करें उसे समय हमारे दुखों को दूर करें सब लोग इतना कहकर चुप हो गए तब शिवजी सबको अभय दान देकर स्वयं सगुण रूप से विहत स्थिति हुई फिर सबको समझ कर वहां से विदा कर दिया केवल मुझको तथा विष्णु को पास बुलाकर उन्होंने यह कहा कि तुम दोनों ही हमारे शरीर को तथा संसार की उत्पत्ति तुम्हारी पालन करते हो वस्तु जब तुमको कोई दुख हो तब हम तुम्हारे रक्षा करेंगे अब तुम दोनों अपने लोग को सुखपूर्वक चले जाओ यह सुनकर हम दोनों उनसे भक्ति मांगा और विदा होकर चले आए फिर शिव जी ने निधि पति का हाथ पकड़ कर कहा है मित्र तुम्हारी प्रतीत जानकर हमने तुम्हारे निकट ही वास किया है हमारी मित्रता तीनों लोक में प्रसिद्ध हो गए तुम्हारा कैसा सौभाग्य है कि तुम हमको अति प्रिय हुए हो तुम प्रसन्न रहो वस्तु अब तुम भी अपने लोग को जो निधि पति कुबेर शिवजी की ऐसी कृपा देखकर प्रेम मगन हो गए और उन्होंने यह निवेदन किया है प्रभु मेरा मनोरथ पूर्ण हुआ यह कहकर निधि पति बारंबार शिवजी को प्रणाम करके अति प्रसन्न रोग अपने घर तक पहुंची इसके पश्चात शिवजी इस कैलाश पर्वत पर आनंदपुर बकवास करने लगे वह कभी-कभी इस लोक में आकर भरण ब्राह्मण करते तथा कभी-कभी अपने भक्तों के लिए कुछ लीला रचा करते फिर उमा ने अवतार लिया आयुर्वेदिक के घर में उत्पन्न हुए दक्ष ने उमा का विवाह शिव के साथ कर दिया शिवजी उमा के साथ भक्तों के हितों के लिए लीला करने लगे ब्रह्मा जी बोले हे नारद मैं तुम्हें शिव अवतार तथा शिव जी के कैलाश जाने तक का वर्णन सुनाया इसके अतिरिक्त और भी शिवजी के शस्त्र लीलाओं या लीला मैंने अपने बुद्धि के अनुसार ही कहीं है शिवजी की कथा अत्यंत पवित्र जिनके सुनने से बड़े-बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं जो इसका स्मरण करता है इसके समस्त शोक तथा दुख नष्ट हो जाते हैं जो मनुष्य शिव प्रतीत से युक्त होकर इस कथा का पाठ करें उसको धन तथा संतान की प्राप्ति होगी इति श्री शिव पुराण श्री शिव विलास से उत्तराखंड भाषण ब्रह्म नारद संप्रदाय प्रथम खंड समाप्त
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Brahma ji said, O Narad, first of all, Vishnu ji folded both his hands in praise and said, God, even the Vedas cannot praise you, I have also praised you but could not know your beginning and end. Then in this way, all the gods, sub-gods, etc., all had their own praises. According to the wisdom, everyone stood up and unanimously expressed happiness about the situation. Then Lord Shiva became very happy after seeing everyone's reaction. Seeing this, Shankar Ji became very happy and said, Whatever wish everyone has, express it and I will fulfill it. After listening, everyone fold their hands and say, Lord, we are satisfied with your words only, may all our troubles go away, apart from you, what else is there that we should ask from you, what is hidden from you, still we all have a wish that we all always May we be satisfied with your devotion and wish for your feet. May we have no fear and may you forgive all our crimes. When demons insult us, let time take away our sorrows. Saying this, everyone became silent, then Lord Shiva himself gave fearlessness to everyone. There was a state of complete destruction in Sagun form, then after understanding everyone, he sent him away from there, calling only me and Vishnu near him, he said that both of you take care of our body and the origin of the world, and whenever you face any sorrow, we protect you. Now both of you will tell your people to go away happily. Hearing this, we both asked for devotion from them and left after leaving. Then Shiv ji held Nidhi Pati's hand and said, Friend, knowing your love, we have resided near you, our friendship is in all the three worlds. You have become famous, how lucky you are that you have become very dear to us, you should be happy, now you too have become engrossed in the love of your people after seeing such kindness of Nidhi Pati Kuber Shivji and they have made this request saying, Lord, my wish has been fulfilled. After saluting Lord Shiva repeatedly, Rog reached her home very happy. After this, Lord Shiva started talking nonsense about Anandpur on this Kailash mountain. Sometimes he would come to this world and feed the Brahmins and sometimes create some leela for his devotees and then Uma. Daksh, born in the family of Ayurveda, married Uma to Shiva. Shivji started performing leela with Uma for the welfare of the devotees. Brahmaji said, O Narad, I narrated to you the description of Shiva's incarnation and Shivaji's journey till Kailash. Apart from this, I have told the other weapons of Lord Shiva or Leela as per my wisdom, the story of Lord Shiva is very sacred, by listening to which big sins are destroyed, whoever remembers it, all the sorrows and sorrows which a human being gets are destroyed. If one recites this story after being imbued with the feeling of Shiva, he will get wealth and children. This is the end of Shri Shiv Puran Shri Shiv Vilas to Uttarakhand Speech Brahma Narad Sampradaya First Volume
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