श्री शिव महापुराण कथा पहले स्कंद अध्याय 21



ब्रह्मा जी बोले हे नारद इस प्रकार शिवजी समस्त देवताओं सहित अलंकार पुरी में पहुंचे तथा निधि नाथ की विनती मानकर वही वास करने लगे अलंकार पुरी में अधिपति निधि नाथ ने शिवजी की पूजा करके मेरा भी आदर सत्कार किया यह बात हर व्यक्ति के लिए उचित है कि जो कोई अपने घर आएगा उसका सत्कार करेंगे तथा वेद शास्त्र को जानकर अच्छे कर्मों से अनुसार से प्रसिद्धि प्राप्त करेंगे फिर शिव जी ने सिंहासन पर विराजमान हो तुरंत ही विश्वकर्मा को कैलाश पर्वत को अत्यंत सुंदर बनाने का आदेश दिया उन्होंने आज्ञा दी कि प्रत्येक गांड तथा और मनी लोगों के लिए भी सुंदर-सुंदर मंदिरों की स्थापना की जाए विश्व कर्म शिव फिर शिव जी ने सिंहासन पर विराजमान हो तुरंत ही विश्वकर्मा को कैलाश पर्वत को अत्यंत सुंदर बनाने का आदेश दिया उन्होंने आज्ञा दी कि प्रत्येक गांड तथा और मनी लोगों के लिए भी सुंदर-सुंदर मंदिरों की स्थापना की जाए विश्वकर्मा शिव जी का यह आदेश सुनकर अत्यंत प्रसन्न हो कैलाश पर्वत पर मंदिरों के बनाने में प्रवत हुए उन्होंने एक बहुत सुंदर तथा विचित्र स्थल का निर्माण किया जो भिन्न-भिन्न प्रकार की सामग्री तथा रतन से अलंकृत बहुमूल्य स्वर्ण प्रति से सजा हुआ था बीच में एक मुख्य स्थान शिव जी के लिए निर्मित किया गया अंततः पूर्व अलग बनाया गया इसके पश्चात उसने शिवजी से आकर प्रार्थना की मंदिर बनकर तैयार है अब और जो कुछ आ गया हो उसका पालन करूं यह सुनकर शिवजी अत्यंत प्रसन्न हुए तब सब की यह इच्छा हुई कि शिवजी कैलाश को चले तो अत्यंत उत्तम हो अंतर भक्तों के मन की इच्छा समझ गए तथा अपने चरण कमल से कैलाश पर्वत को सुशोभित किया इतनी कथा का कर ब्रह्मा जी बोले हे नारद इस समय मैं और विष्णु दोनों ब्राह्मण को साथ लेकर शिव जी के पास पहुंचे तब निधि पति ने हम सब की ओर से प्रार्थना की की है स्वामी सब की प्रबल आकांक्षा है कि आपका अभिषेक एवं पूजन किया जाए हम आपको सिंहासन में बैठकर पूजा करेंगे जिसमें हमारा मनोरथ सफल हो शिवाजी ने प्रसन्न होकर यह बात स्वीकार कर ली तब सब लोग आनंद से तैयारी मैं लगे मुनियों ने ज्योतिषियों से शुभ मुहूर्त जानकर प्रसन्न हो विष्णु ने यह कहा कि शिव जी के अभिषेक का मुहूर्त निश्चित हो गया है आप विलंब न कीजिए तब मैं तथा विष्णु ने शिव जी से कहा हे प्रभु अब आप स्नान कर इस समय योग्य वस्त्र धारण कीजिए शिवजी ने हमारी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और स्नान कर वस्त्र धारण किया यह देख सब उपस्थित जैन प्रसन्न हुए और शिवजी के स्नान के लिए समस्त तीर्थो का जल लाया गया इस जाल में उन्होंने स्नान किया मैंने तथा विष्णु जी ने उनके शरीर को अपने हाथों से अच्छी तरह से माल कर धोया उसके पश्चात शिवजी दिव्य वस्त्र ध रन करके सिंहासन पर सुशोभित हुए मेन वेद ध्वनि प्रारंभ की सर्वप्रथम विष्णु जी ने मंत्र पढ़कर शिवजी की पूजा की तथा लक्ष्मी जी सहित बड़े भक्त के साथ बार-बार आरती उतारी समस्त गंधर्व अपने प्रिय स्वर एवं मधुर वाणी से मनोहर गति गाने लगे मैं भी समस्त देवताओं के साथ पूजा की उसके पश्चात संघ का मोदी मार्केट ब्रह्म तथा अन्य मुनि आदि ने शिवजी की पूजा की सब हम सब लोगों ने इस आनंद में बहुत दिव्या लुटाया उसे समय चारों ओर से धन-धन का शब्द सुनाई देता था सब लोग अत्यंत आनंद के साथ वहां उत्सव मनाया

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Brahma ji said, O Narad, thus Shivji along with all the gods reached Alankar Puri and heeding the request of Nidhi Nath, started residing there. In Alankar Puri, the ruler Nidhi Nath honored me too by worshiping Shivji. It is appropriate for every person that He will welcome anyone who comes to his house and after knowing the Vedas, he will gain fame through good deeds. Then Lord Shiva, sitting on the throne, immediately ordered Vishwakarma to make Mount Kailash very beautiful. He ordered that every ass and Beautiful temples should be established for the rich people also. Vishwakarma Shiva Then Shiv ji sat on the throne and immediately ordered Vishwakarma to make Mount Kailash very beautiful. He ordered that every ass and also for the rich people. Vishwakarma was very happy to hear this order of Shiv ji that beautiful temples should be established. He started building temples on Mount Kailash. He built a very beautiful and strange place which was decorated with different types of materials and precious gold and rattan. The temple was decorated with a main place in the middle. It was built for Lord Shiva. Finally, the east was made separate. After this he came and prayed to Lord Shiva. Now the temple is ready. Whatever else has come, I should follow it. Lord Shiva was very happy to hear this. Then everyone wished that if Shivji goes to Kailash, it would be very good. Antar understood the desire of the devotees and adorned Mount Kailash with his lotus feet. After telling such a story, Brahma ji said, O Narada, at this time both I and Vishnu, both the Brahmins, When we reached Shivaji with him, then Nidhi Pati prayed on behalf of all of us that Swami, everyone has a strong desire that you should be consecrated and worshipped, we will worship you sitting on the throne in which our wish gets successful. Shivaji was pleased and said this. When everyone accepted the matter, everyone started preparing with joy. The sages were happy after knowing the auspicious time from the astrologers. Vishnu said that the time for the consecration of Lord Shiva has been decided, do not delay, then I and Vishnu said to Lord Shiva. Lord, now you take bath and wear clothes suitable for this time. Shivji accepted our prayer and took bath and wore clothes. Seeing this, all the Jains present were happy and water from all the places of pilgrimage was brought for Shivji's bath. He took bath in this net. I and Vishnu ji massaged his body thoroughly with our hands and washed it. After that, Lord Shiva donned the divine clothes and adorned himself on the throne. The main Veda started sounding. First of all Vishnu ji worshiped Lord Shiva by reciting mantras and big devotees including Lakshmi ji came. Performed aarti again and again with all the Gandharvas started singing beautiful songs with their lovely voice and melodious voice, I also worshiped with all the deities, after that Modi Market Brahm of the Sangh and other sages etc. worshiped Lord Shiva, all of us did this. Divya spent a lot of time in joy, the sound of Dhan-Dhan was heard from all sides, everyone celebrated there with great joy.

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