श्री शिव महापुराण कथा पहले स्कंद अध्याय 18



ब्रह्मा जी ने कहा हे नारद शिव गानों के ऐसे वचन सुनकर यमदूत लज्जित होकर यह के पास गए तथा उन्हें सब हाल विस्तार पूर्वक कहा सुनाया यह को भी यह सुनकर आश्चर्य हुआ फिर यह ने शिवजी को दंडवत कर अपने गानों को तीनों लोकों में फिरने का आदेश देते हुए यह कहा कि जो मनुष्य देह में भरम लगाए हो रुद्राक्ष धारण किए हो शिवलिंग का पूजा करता हो एवं आराधना में डूबा हो अथवा चल से भी शिव जी का वन तथा वस्त्र धारण किए हो तथा उसका शिवजी से किसी प्रकार भी संबंध हो तो तुम उसको मुक्त कर देना और कोई कष्ट मत देना यमराज ने शिवजी की स्तुति करते हुए कहा है सदाशिव आप मेरे पापों को क्षमा कीजिए क्योंकि यह अपराध मुझे आज्ञा में ही हुआ है इस प्रकार बहुत स्तुति करने के पश्चात यमराज चुप हो गए ब्रह्मा जी बोले हैं नारद गुण निधि यह गानों से मुक्ति पाकर विमान पर गरुड़ हो शिवलोक को चला गया बहुत समय तक स्वर्ग में अनेक प्रकार के सुख भोगकर वह कालिंग देश का राजा हुआ वहां के पहले राजा का नाम इंद्रमणि था गन निधि ने उसी के यहां जन्म लिया तथा कद्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ वह शिवजी का नियत भक्त था इंद्र मुनि अपने पुत्र में राजा के समस्त लक्षण देख अपना संपूर्ण राज्य उसकी शॉप रानी सहित वन में जाकर शिवजी की कठिन तपस्या करके शिवलोक को प्राप्त हुआ कद्र को पूर्व जन्म का स्मरण था इसलिए वह समस्त शिव वालों में दीपदान करने लगा उसने प्रत्येक मंडलेश्वर को आदेश दिया कि जितने ही शिवालय हो वह दीपक जलाएं जाए और जो इस आज्ञा उलझन करें उसका सिर्धार से अलग कर दिया जाए गांव के स्वामी इस भाई से दीपदान करने लगे वह स्वयं भी बड़े हर्ष के साथ इस कार्य को करता रहा उसने अपने नीति द्वारा जनता को प्रसन्न रक्षा वह जीवन भर शिव जी के दीपदान से अचेत ना रहा जब उसकी मृत्यु हुई तब उसे पुण्य को वह शिवलोक को प्राप्त हुआ उसने शिवलोक में अनेक प्रकार के आनंद एवं सुख भोगे तथा शिव चरणों का ध्यान धरत रहा इसके पश्चात उसने मृत्यु लोक में जन्म लिया ब्रह्मा जी कहते हैं यह नारद अब मैं तुम्हें अपनी लड़के प्रूव के पुत्र का हाल सुनाता हूं मेरे पुत्र पलसोट व के बिसराव नाम का एक पुत्र हुआ विश्राम के तीन स्त्रियां थी वह तीनों ही विष्णु तथा शिव की भक्ति थी विश्राम की सबसे छोटी पत्नी ने विभीषण नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ विभीषण विष्णु का ऐसा भक्त हुआ कि वह इस आधार संसार सागर से पर हो गया विश्राम की मनचली पत्नी से दो पुत्र रावण तथा कुंभकरण तुम्हारे शराब के फल स्वरुप उत्पन्न हुआ वह दोनों ही शिव के भक्त बनाकर अनेक प्रकार के सांसारिक भोग बिलासों से लिप्त हो गए उसने उनमें से रावण ने शिवजी की कठिन तपस्या कर उसने वरदान प्राप्त किया उसने तेज एवं प्रताप से संसार भर में राज किया विष्णु भगवान ने उनका नाश करने के लिए स्वयं द्विभुज मानव अवतार लिया था जिसका नाम राम हुआ परंतु वे रावण का नाश न कर सके तथा उन्हें शिवजी की आराधना कर अपनी कठिन तपस्या से उनको प्रसन्न किया और शिव के अवतार अर्थात श्री हनुमान जी को साथ लेकर बंदरों की सहायता से रावण वध किया तथा उसके वंश को मिटा डाला विश्राव की सबसे बड़ी पत्नी का नाम शास्त्र तिलता था उसके उधर से गुण निधि का जन्म हुआ था उसका वर्णन पहले किया जा चुका है विश्राम ने पहले लंका में रहकर जो उचित था वह किया फिर काशी में आकर घोर तपस्या की जिससे शिवजी उसे पर अत्यंत प्रसन्न हुए शिव जी का वरदान पाकर वह अलंकार पूर्व का राजा हुआ तथा दूरी उसने राज करते हुए एक कल्पवृक्ष व्यतीत हुआ जब धनवान कप का आरंभ हुआ उसे समय वितरण ने तपस्या आरंभ की निषेध दीपदान की संपूर्ण विधि कंठस्थ करके उसमें बहुत ध्यान लगाया आज तू वह काशी में कठिन तपस्या करने लगा और हृदय के नेत्र खोलकर उसने शिव जी के दर्शन प्राप्त किया अपने हृदय को ब्रह्म ज्ञान से पूर्ण कर उसे मां को शांत कर लिया उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना करके पोषण द्वारा उसकी पूजा की पूजा करते-करते विद्यार्थी के सिर का रक्त एवं मानस सूख गया केवल चार्म तथा हड्डियां ही शेष रह गई ऐसे कठोर तपस्या करते-करते 100 करोड़ वर्ष समाप्त हो गए उसकी ऐसी कठिन तपस्या को देखकर शिवजी पार्वती सहित विश्राम के पास पहुंचे और वहां वर मांगने के लिए कहने लगे

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Lord Brahma said, O Narada, after hearing such words of Shiva's songs, the messengers of Yam got embarrassed and went to him and told him everything in detail. He too was surprised to hear this, then he prostrated himself before Lord Shiva and ordered him to spread his songs in all the three worlds. While giving this, he said that if a person has any illusion in his body, is wearing Rudraksh, worships Shivling and is immersed in worship or is wearing the robe and clothes of Lord Shiva even while walking and has any kind of relation with Lord Shiva, then you Free him and do not give him any trouble. While praising Lord Shiva, Yamraj has said, Sadashiv, please forgive my sins because I have committed this crime under your command. Thus, after praising him a lot, Yamraj became silent. Brahma ji has said, Narad. Gun Nidhi, after getting freedom from songs, he went to Shivlok in the form of an eagle on a plane, after enjoying many types of pleasures in heaven for a long time, he became the king of Kalinga country. The name of the first king there was Indramani. Gun Nidhi was born in his place and in the name of Kadra He became famous by name, he was a staunch devotee of Lord Shiva. Muni Indra saw all the signs of a king in his son, he acquired his entire kingdom along with his shop queen, went to the forest and did rigorous penance for Lord Shiva and attained Shivlok. Kadra remembered his previous birth, hence he was all Shiva. He started donating lamps among the people. He ordered every Mandaleshwar to light lamps in all the Shiva temples and those who disobeyed this order should be beheaded. The lord of the village started donating lamps from this brother and he himself also did this with great joy. He continued to do his work, kept the people happy with his policies, remained unconscious throughout his life due to the donation of Lord Shiva's lamp, when he died, he got the virtue of his virtue and reached Shivlok. He enjoyed many types of joys and pleasures in Shivlok and worshiped at the feet of Shiva. Pay attention, after this he took birth in the world of death. Lord Brahma says this, Narad. Now I will tell you the story of my son Pravu, my son Palsot and K had a son named Bisrao. Vishram had three wives, all three of them were Vishnu and Vishram's youngest wife had devotion to Shiva and gave birth to a son named Vibhishan. Vibhishan became such a devotee of Vishnu that he crossed the ocean of this base world. Vishram's naughty wife gave birth to two sons, Ravana and Kumbhakaran, as the fruit of your wine. Both of them became devotees of Shiva and indulged in many kinds of worldly pleasures. Among them, Ravana did rigorous penance of Lord Shiva and got a boon. He ruled the world with might and glory. Lord Vishnu himself used Dwibhuj to destroy them. Had taken a human incarnation whose name was Ram but he could not destroy Ravana and by worshiping Lord Shiva he pleased him with his difficult penance and along with Shiva's incarnation i.e. Shri Hanuman ji, he killed Ravana with the help of monkeys and his descendants. Vishrao's eldest wife's name was Shastra Tilata. Guna Nidhi was born from her. It has been described earlier. Vishrao first did what was right by staying in Lanka and then came to Kashi and performed severe penance so that Lord Shiva gave her But he became very happy after getting the boon of Lord Shiva, he became the king of Alankar East and he spent one Kalpavriksha while ruling, when the Dhanwan Kaap started, distribution of time to him, he started penance, memorized the entire method of prohibition of lamp donation and meditated a lot on it today. He started performing rigorous penance in Kashi and after opening the eyes of his heart, he got the darshan of Lord Shiva, after filling his heart with the knowledge of Brahma, he pacified the mother by establishing a Shivalinga at the same place and worshiping her with nourishment. The blood and psyche of the student's head dried up and only his charm and bones remained. 100 crore years passed while performing such rigorous penance. Seeing his rigorous penance, Lord Shiva reached near Vishram along with Parvati and started asking for a boon there.

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