श्री शिव महापुराण कथा पहला स्कंद अध्याय 15



सूट जी ने कहा ब्रह्मा जी के वचन सुनकर नाराज जी अत्यंत प्रसन्न हो प्रेम एवं सुख रूपी समुद्र में गोते लगाने लगे फिर प्रेम पूर्वक किस प्रकार बोल ही ब्रह्मा जी आपने जो शिवलोक को सर्वोच्च स्थान देकर उसका वर्णन किया है उसे सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है परंतु मेरे मन में एक संदेश उत्पन्न हुआ है मैंने सुना था कि शिवजी का स्थान कैलाश पर्वत पर है तथा जो शिवपुरी में जाता है उसका इलाज की प्राप्ति होती है ना किसी अन्य स्थान की इसलिए आप मुझे यह बतलाएं की जो शिवजी कैलाश में निवास करते हैं क्या वह ही शिवजी है जिसे आप वर्णन करते हैं अथवा कोई दूसरे हैं नारद जी का यह प्रश्न सुनकर ब्रह्मा जी बोले हैं नारद अब मैं तुम्हें सब हाल विस्तार पूर्वक बताता हूं जो परम ब्रह्म सद्गुण रूप शंकर है और उसकी इच्छा से शक्ति द्वारा शिवानी हुई हुए ही ब्रह्मा शिव आदि शक्ति द्वारा संसार की सृष्टि करते हैं मैं उनके लोग काशी ब्रह्मपुत्र तथा आनंदवन का वर्णन कर चुका हूं अब अपनी शंका का समाधान सुनो जब मैं शिवजी की आज्ञा अनुसार सृष्टि उत्पन्न कर चुका था मैं उन महाप्रभु से अब आप सद्गुण रूप अंगिरा कर करके आए यह सुनकर शिवजी बोल ही ब्रह्मा हम मीत समय पर अवश्य ही आएंगे जिस प्रकार तुम हमारे नाम आदि देखते हो तथा जैसे हम हैं वह सब अपने अवतार में प्रगति करेगा शिवजी यह कहकर अंतर ध्यान हो गए इस पक्ष शिवजी नित्य समय पर प्रकट होकर मेरी इच्छा की पूर्ति के लिए कैलाश पर्वत पर उपस्थित हुए तथा गौरी जी को अपने से पृथक करके स्वामी कठिन तपस्या करते हुए त्रिलोक किया का पालन करने लगे अब मैं उन कथा का विस्तार से वर्णन करता हूं जिसका कारण शिवजी कैलाश पर्वत पर आए जी कथा का अब मैं वर्णन करता हूं वह कल्पववेद के कारण दूसरे प्रकार से हैं अर्थात मैं शिवजी की आज्ञा अनुसार संसार को जाए और 14 लोग अप लोग द्रुपद एवं कपिल को जिन्हें देखने से मनपसंद होता है तथा जहां कई मृत्यु रूप से बैठी है प्रगट किया है पाप नाचनी गंगा के तट पर पापों को हारने वाला कपिल मुनि का पवित्र आश्रम था उसे स्थान पर यज्ञ दत्त नाम के दो ब्राह्मणों का जन्म हुआ यज्ञ दत्त यज्ञ शास्त्र में बहुत ही योग्य था उसको वहां के राजा ने बहुत सावधान दिया वह वगामी शुद्ध हृदय शीतल वैन वेदों में निपुण परम उपकारी उदार तथा शिव का परम भक्त था उसकी स्त्री अत्यंत पवित्र पवित्रता गृह कार्य में निपुण तथा अच्छे कार्यों को करने वाले थे उसे समय पश्चात उसके पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम उन्होंने गुण निधि रखा गुड निधि ने थोड़े ही दिन में अनेक विद्यालय सीख ली परंतु कुछ दिनों के पश्चात वह कल की रीति छोड़कर बुरी नीति पर चलने लगा उसने बुरे मनुष्यों की संगति की उसी के फल स्वरुप उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई क्योंकि अच्छे और बुरे कर्मों पर संगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है गन निधि उसे अज्ञान अवस्था में बुरे लोगों के संपर्क में आया जाया करता था धीरे-धीरे उसके सब धर्म नष्ट होने लगे वह वेदों के विपरीत कम करने लगा वह बड़ा छली तथा जारी हो गया उसकी माता उसको नित्य भले भले उपदेश करती परंतु वह पिता के निकट कभी ना जाता जिस समय उसकी माता गृह कार्य में चलना रहती वह घर की चीज छोड़ कर ले जाता एक बार उनके पिता ने पूछा की गन निधि कहां गया तब माता के उत्तर माता ने उत्तर दिया कि वह स्नान पूजा तथा भोजन आदि में निवृत होकर अपने मित्र विद्यार्थियों के साथ पाठशाला चला गया है इस प्रकार उसकी माता ने उसके पिता से उसके अवगुण को छुपाया

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Suit ji said, after listening to Brahma ji's words, angry ji became very happy and started diving in the ocean of love and happiness. Then how can you speak lovingly, Brahma ji, I am very happy to hear the description that you have given to Shivlok by giving it the highest place. But a message has arisen in my mind, I had heard that the place of Lord Shiva is on Mount Kailash and the one who goes to Shivpuri gets treatment and not from any other place, so please tell me that Lord Shiva resides in Kailash. Is it the same Lord Shiva whom you describe or is it someone else? Hearing this question from Narad Ji, Brahma Ji said, Narad, now I will tell you the whole situation in detail, who is Shankar in the form of supreme Brahma virtues and by his wish, Shivani was transformed into Shivani through Shakti. It is Brahma who creates the world through the power of Shiva and others. I have already described his people, Kashi, Brahmaputra and Anandvan. Now listen to the solution of your doubt. When I had created the universe as per the orders of Lord Shiva, I have now prayed to that great Lord in the form of virtues. After hearing this, Shivji said, Brahma, we will definitely come at the right time, just as you see our names etc. and as we are, he will progress in his incarnation. Saying this, Shivji became an inner meditator. On this side, Shivji appears daily at the right time and is mine. To fulfill his wish, he appeared on Mount Kailash and after separating Gauri ji from himself, Swami performed severe penance and started following Trilok Kiya. Now I will describe in detail the story due to which Lord Shiva came to Mount Kailash. I describe it in a different way because of Kalpavveda, that is, I go to the world as per the orders of Lord Shiva and 14 people, Drupada and Kapil, whom I like to see and where many are sitting in the form of death, I have revealed the sins of the dancing Ganga. There was a holy ashram of Kapil Muni, the conqueror of sins, on the banks of the river. At that place, two brahmins named Yagya Dutt were born. Yagya Dutt was very capable in the Yagya Shastra. The king there gave him a lot of caution. He was a pure hearted and cool van in the Vedas. Nipun was extremely helpful, generous and a great devotee of Lord Shiva. His wife was extremely pious and adept at household work and was a doer of good deeds. After some time, a son was born to him. He named him Guna Nidhi. Gud Nidhi learned many schools in a few days. But after a few days, he left yesterday's customs and started following bad policies. He kept company with bad people and as a result, his intellect got corrupted because company definitely has an impact on good and bad deeds. Gun Nidhi kept him in the state of ignorance from bad people. He used to come in contact with the father, gradually all his religions started getting destroyed, he started doing things contrary to the Vedas, he became very deceitful and became a traitor. His mother used to preach to him daily but he never went near his father. At that time, his mother He kept on doing household chores, leaving household things behind. Once his father asked where Gun Nidhi had gone, then his mother replied that after taking bath, worship and eating etc., he went to school with his friend students. This is how his mother hid his defect from his father.

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