श्री शिव महापुराण कथा

अथ शिव स्तुति आरंभ



दोहा सीरी गिरजापति बंदी कर चरण मध्य सर ना आए कहत अयोध्या दास तुम मुंह पर हुई सहाय नंदी की सवारी नाग आगे कर धारी नित्य संत सूखकारी नीलकंठ त्रिपुरारी गले मुकुट माला धारी सर सोहे जटाधारी वह अंग में विराजी गिरिजा सूतवारी है दानी बड़े भारी से शारदा पुकारी काशिपति मदारी कर शु चक्रधारी है कल उजियारी लक देव सो निहारी यस गावे वेद जारी सो हमारी रखवारी शंभू बैठे विशाल भांग पिए सो निराला नित्य रहे मतवाला आही अंग पर चढ़ने हैं गले सोहे मुकुट माला कर डमरू विशाल अरुणोदय वृक्षाल धर्म अंग में लावे सॉन्ग शूरवीर सूट साल कर भक्त प्रतिपाल मृत्यु होते ही कल शीश जाता को बढ़ाओ कहे राम लाल करो मोह तुम निहाल गिरजापति अल जैसे काम को जलाए मारा है जालंधर और त्रिपुरा को संगर जिन जरा है काम जाकर शीश गंग धारा धारा है अपार जसू महिमा है तीन लोक बल सोहे चंद्र जाकर सुषमा को सारा है सर आही बात सब खवावे हलाहल जानी जगत के आधार जाहि वेतन उपचार है चार है भाग आगे द्वारा है गिरीश कन्या कहत अयोध्या सोई मलिक हमारा है अष्ट गुरु ज्ञानी जाकर मुख वेदवानी शुभ भवन में भवानी सुख संपत्ति अल्लाह करे मुंडन की माला जाकर चंद्रमा लता सोहे दर्शन के दास जाकर दरिद्र डा कर चारो द्वारा बंदी जाकर द्वारपाल नदी कट कवि आनंदी नक आया जगत शिवाय यमराज को कहा बसई शंकर सहाय तो भयंकर कहा करें स्वयं गौर शरीर में गोरी विरासत मर जाता सर हॉट जाके नाग को उपित लेह अयोध्या शशि बाल में वाक्य दान करें पल में फल जारी हो तारक लिखब विधियों के शंकर नाम सेवक सदा ही भरोसे हैं 19 वर ताकि दोहा मगर कर मांस हेमंत ऋतु छठा दिन है शुभ बुद्धि कहत अयोध्या दास हो शिव के बिना समृद्ध

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Ath Shiva praise begins

Couplet, Siri, Girjapati, holding the head in the middle of the feet, says, Ayodhya Das, you are the help on the face, Nandi rides the snake, wearing Nitya Saint, Sukhakari, Neelkanth, Tripurari, wearing a crown around the neck, the head is adorned with hair, Girija Sutwari is sitting in the body, the giver is very heavy, Sharda calls out. Kashipati is drunk and Shu Chakradhari is there tomorrow, Ujiyari Luck Dev is Nihari, yes Gave Veda continues, so is our care, Shambhu is sitting, Vishal is drinking Bhang, so is unique, is always drunk, has to climb on this part of the body, garlanded with crown, Damru, Vishal Arunodaya Tree, religion, song is brought in the part, brave suit. As soon as the devotee Pratipal dies, tomorrow raise the head, say Ram Lal, do the fascination, you have burnt the work like Nihal Girjapati al, you have killed Jalandhar and Tripura with a little work, the head is flowing like a stream, there is immense glory, there are three folk forces, sohe. Chandra Goes to Sushma, Sir, all the dreams are there, Halahal Jani is the basis of the world, salary is the treatment, there are four parts in the front, Girish Kanya says, Ayodhya is sleeping, Malik is ours, Asht Guru Gyani, go to Mukh Vedawani in the auspicious building, Bhavani, happiness, wealth, Allah bless Mundan. By going to the garland, the moon creeper slept, by becoming the slave of darshan, by making it poor, by becoming captive by all, by going to the gatekeeper in the river, poet Anandi Nak came to the world, Shivaay told Yamraj, if Shankar is helpful, then he should look at himself, the fair heritage in the body would die, the head would go hot and would give rise to the snake. Ayodhya Shashi Donate the sentence in the hair May the fruits be released in a moment Tarak written The servants of Shankar name of the methods are always trusted 19 groom so that doha but do meat Hemant season is the sixth day auspicious wisdom says Ayodhya slave should be prosperous without Shiva

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