शिष्य परंपरा महत्व एवं उपसंहार
श्री पाराशर जी बोले है मैथिली मैं तुम्हें समस्त शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ संपूर्ण पापों का नाश करने वाला और पुरुषार्थ का प्रतिपादन वैष्णो पुराण सुनाया आप तुम्हारी और जो कोई भी इच्छा हो उसे भी पूछ लो मैथिली जी बोले भगवान मैं आपसे जो कुछ भी पूछा था वह सभी आप मुझे बता चुके हैं मुझे आप और कुछ नहीं पूछना है आपकी कृपा से मेरे समस्त संडे दूर हो जाएंगे मुझे जगत की उत्पत्ति स्थिति और प्रलय का ज्ञान हो गया यह समस्त जगत प्रभु श्री हरि विष्णु जी से भिन्न नहीं है इसलिए मुझे आप अन्य बातों के जाने से कोई लाभ नहीं है श्री पाराशर जी बोले जो आप भी आए आत्मा प्रभु श्री हरि विष्णु जी जगत की उत्पत्ति स्थिति और प्रलय के एकमात्र कारण है इस पावन पवित्र विष्णुपुराण में उसका वर्णन किया गया है जिसके नाम का गुणगान करने में मनुष्य सिंह से भयभीत हुए विद्रोह के समान संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है है मैथिली जिनके नाम का भजन करने से मनुष्य संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है जिसका सच्चे मन से किया हुआ नाम संकीर्तन गायन समस्त धातुओं को पिघलाने वाले अग्नि के समान संपूर्ण पापों का नाश कर देता है जिसका सच्चे मन से मात्र एक बार भी स्मरण करने से मनुष्य को नरक की यातनाएं सामना कठिन से कठिन पाप भी तुरंत नष्ट हो जाता है हेडिज हिरण गर्व देवेंद्र रुद्र आदित्य अश्वनी कुमार वायु अग्नि वासु संध्या एवं विश्व देव आदि देवता यक्ष राक्षस पूरक सिद्ध दैत्य दानव गंधर्व अप्सरा तारा नक्षत्र समस्त ग्रह सप्त ऋषि लोक लोक पालमगढ़ ब्रह्मा आदि मनुष्य पशु मेरी सिर्फ बीघा पलाश आदि वृक्ष वन अग्नि समुद्र सागर नदी पटल और पृथ्वी आदि और शब्द आदि विषयों सहित या संपूर्ण ब्रह्मांड जिसके सामने सुमेर के स्मरण के एक रेनू के समान है तथा जो इसकी उपादान कारण है उन सर्व स्वरूप रूपांतरित और पाप नाशक प्रभु श्री हरि विष्णु जी का इस पुराण में महत्व बताया गया है है मुनीष रेस्ट अश्वमेघ यज्ञ से यज्ञ अनंत स्नान करने से जो फल की प्राप्ति होती है वही फल मनुष्य इस पुराण को सुनकर प्राप्त कर लेता है प्रयाग पुष्प पर कुरुक्षेत्र तथा समुद्र तट पर रहकर उपवास करने से जिस फल की प्राप्ति होती है वही फल इस पुराण को सुनने से प्राप्त होता है नियम अनुसार एक वर्ष तक मनुष्य को अग्निहोत्र करने से जी पुण्य की प्राप्ति होती है वही महान पूर्ण कल इस विष्णु पुराण को एक मात्र एक दूसरे सुनने से प्राप्त हो जाता है मथुरा पुरी में मनुष्य को जस्ट शुक्ल दशमी में स्थान करने से प्रभु श्री कृष्ण जी का दर्शन करने से जी पूर्ण फल की प्राप्ति होती है वही प्रभु श्री कृष्ण जी का सच्चे मन से स्मरण कर इस विष्णु पुराण के एक ही अध्याय को सुनने से प्राप्त हो जाता है
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Disciple tradition importance and conclusion
Shri Parashar ji said in Maithili that I am the best destroyer of all sins among all the scriptures and Vaishno Purana which is an expounder of effort. You can ask me whatever else you wish. Maithili ji said, Lord I have asked you all that. You have told me that I do not have to ask you anything else, by your grace all my troubles will go away. I have got the knowledge of the origin and destruction of the world. This whole world is not different from Lord Shri Hari Vishnu Ji, therefore I am not going to ask you about other things. There is no benefit in going, Shri Parashar ji said, you also come, soul Lord Shri Hari Vishnu ji is the only reason for the origin and destruction of the world. He has been described in this sacred Vishnu Purana, in praising whose name man gets scared of the lion. Maithili, by chanting whose name one becomes free from all sins, becomes free from all sins, like a rebellion. Chanting whose name Sankirtan with true heart, destroys all sins like fire that melts all metals. Whose remembrance even once with true heart makes a person face the tortures of hell and even the most difficult sins are instantly destroyed. Hades, Deer, Pride, Devendra Rudra, Aditya, Ashwani, Kumar, Vayu, Agni, Vasu, Sandhya and Vishwa Dev, etc. Gods, Yakshas, Rakshasas, Complementary Siddhas, Demons. Demon, Gandharva, Apsara, Star, Constellation, all the planets, seven sages, world, Palamgarh, Brahma etc., human beings, animals, mine, only Bigha, Palash, etc., trees, forest, fire, sea, river, surface, earth, etc., words, etc. or the entire universe in front of which is like a renu of remembrance of Sumer. And the importance of Lord Shri Hari Vishnu Ji, who is the material reason for transforming all forms of life and destroyer of sins, has been explained in this Purana. The same result that a person gets by listening to this Puran is the same result that is obtained by taking an infinite bath in the Yagya from Munish Rest Ashvamedh Yagya. One gets the same results by fasting on the Prayag flower in Kurukshetra and by staying on the sea shore, the same results are obtained by listening to this Purana. According to the rules, by performing Agnihotra for one year, a person gets good virtues, that is great. By merely listening to this Vishnu Purana for a second, a person can attain complete tomorrow. By placing a person in Mathura Puri on just Shukla Dashami, by having darshan of Lord Shri Krishna, one gets the full results. He is the true worshiper of Lord Shri Krishna. This is achieved by memorizing and listening to a single chapter of Vishnu Purana.
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