श्री विष्णु पुराण कथा छठ स्कंद अध्याय 8 का भाग 3



जो मनुष्य इस पुराण को श्रद्धा भाव से सुनता है उसके समस्त पाप समूल नष्ट हो जाते हैं जो मनुष्य नियम पूर्वक प्रतिदिन इस पुराण का सच्चे मन से श्रवण करता है वह समस्त तीर्थो में स्नान तथा संपूर्ण देवताओं की स्तुति कर लेता है इसके 10 अध्यायों का श्रवण करने से काफिला गाय के दान का अति दुर्लभ पूर्ण फल प्राप्त होता है जो मनुष्य समस्त जगत के आधार सर्व स्वरूप समस्त देवताओं के हिट कारक प्रभु श्री हरि विष्णु जी का मन में ध्यान कर इस पुराण को सुनता है उसे अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है जिनके आदि मध्य और अनंत में जगत की सृष्टि स्थिर तथा संघार में समर्थ में गुरु भगवान अछूत का ही कीर्तन हुआ है उसे श्रेष्ठ और अमल पुराण को श्रवण करने पढ़ने एवं धारण करने से जो पूर्ण फल प्राप्त फल मिलता है वह समस्त त्रिलोक में कहीं और प्राप्त नहीं हो सकता क्योंकि एकांत मुक्ति रूप सिद्धि को प्रदान करने वाले प्रभु श्री हरि विष्णु जी इसके प्राप्त होने वाले पूर्ण फल है जिसमें मन लगाने वाला कभी भी नहीं मैं नहीं जा सकता जिसके कारण स्मरण से स्वर्ग भी एक भी प्रारूप है जिनमें जीत लग जाने पर कम लोग भी तुझे लगता है और अश्व प्रभु निर्मल हृदय मनुष्यों के मन में वास कर उनका मोक्ष प्राप्त करते हैं उन्हें अछूत की कीर्तन करने से यदि विलीन हो जाते हैं तो इसमें क्या आश्चर्य है कर मिनिस्टर लोग यज्ञों द्वारा जिनका योगेश्वर रूप में यजन करते हैं ज्ञानवान जिसका मा रूप में स्मरण करते हैं तथा इसके स्मरण करने से मनुष्य न जन्म लेता है और ना ही मरता है ना वृद्धि पता है और ना छेद होता है तथा जो ना कारण है और ना कार्य ही है उन प्रभु श्री हरि विष्णु जी के अतिरिक्त और सुनने योग्य है ही यह क्या है जो प्रभु विभु प्रीत रूप रखकर सावधान संज्ञा काव्य को और देवता होकर अग्नि में विधि पूर्वक हवन किए गए स्वभाव नाम से काव्य को ग्रहण करते हैं और इन संपूर्ण शक्तियों के आश्रय दाता प्रभु से गुना के संबंध में बड़े-बड़े विशेष जोगियो के प्रभाव भी समर्थ नहीं होते उन प्रभु श्री हरि विष्णु जी का पावन पवित्र नाम स्मरण करते ही मनुष्य के संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं जिन परिणाम हिंद प्रभु का आदि अंत वृद्धि और 6 कुछ भी नहीं होता है जो इस स्वीकार पदार्थ है मैं उसका पुरुषोत्तम को प्रणाम करता हूं जो उन्हें की तरह गुना को भोगने वाले हैं एक होकर भी अनेक रूप हैं और शुद्ध होकर भी विभिन्न रूपों के कारण अशुद्ध या प्रतीत होता है तथा जो ज्ञान स्वरूप एवं संपूर्ण भूत तथा भी पुत्री को धारण करने वाला है उसे नित्य एवं अव्यय पुरुष को प्रणाम है जो आकाश वायु अग्नि जल और पृथ्वी रूप है शब्द योजन विषयों की प्राप्ति करने में सदैव समर्थ है और मनुष्य का उनकी संपूर्ण हिंदुओं द्वारा उपकार करता है उसे सूचना और विराट रूप परमात्मा को मेरा प्रणाम है इस तरह जिन नित्य प्रभु प्रकृति पुरुष में इस प्रकार के भिन्न स्वरूप है हुए प्रभु श्री हरि विष्णु जी समस्त मनुष्यों को जन्म तथा जरा आदि से हैं मुक्ति रूप सिद्धि देने की कृपा करें इति श्री विष्णु पुराण संपूर्ण

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The person who listens to this Purana with devotion, all his sins are completely destroyed. The person who regularly listens to this Purana with true heart every day, he takes bath in all the places of pilgrimage and praises all the Gods. After listening to its 10 chapters, By doing this, one gets the very rare full result of donating the caravan cow. The person who listens to this Purana by meditating in his mind on Lord Shri Hari Vishnu Ji, who is the basis of the entire world and the hit factor of all the deities, gets the result of Ashwamedha Yagya whose In the beginning, the middle and the infinite, the creation of the world is stable and capable in the conflict, only the Guru, the untouchable, has been worshiped, he is the best and the full fruit that is obtained by listening to, reading and imbibing the Amal Purana is not found anywhere else in the entire Trilok. It is possible because Lord Shri Hari Vishnu Ji, who provides the attainment of liberation in the form of solitude, is the full fruit of it, in which no one can ever go with his mind, due to which, by remembering, heaven is also a form in which if victory is achieved, then it becomes less. People also seem to you and the horse lord resides in the minds of pure hearted people and attains their salvation. If by chanting the kirtan of the untouchables, they get dissolved then what is surprising in this, the ministers who are worshiped in the form of Yogeshwar through yagyas, the knowledgeable ones. Who is remembered in the form of Mother and by remembering Him, man neither takes birth nor dies, nor knows growth, nor has any hole, and apart from Lord Shri Hari Vishnu who has neither cause nor effect, there is no one else. It is worth listening to what is this that Lord Vibhu, keeping the form of love, accepts the careful noun poetry and as a deity, accepts the poetry in the name of nature, which is ritually offered in the fire and offers great respect to the Lord, the giver of shelter of all these powers. The effects of even the most special yogis are not powerful. By remembering the sacred name of Lord Shri Hari Vishnu Ji, all the sins of man are destroyed, the result of which is the beginning, the end, growth of Lord God and there is nothing which is acceptable in this matter. I pay my respects to the Purushottam who, like them, is the one who experiences the gunas, is one and yet has many forms, and who, despite being pure, appears to be impure due to different forms and who is the one who is the embodiment of knowledge and the complete being and also has a daughter. I salute him to the eternal and indestructible man who is in the form of sky, air, fire, water and earth, who is always capable of attaining the objects of the world and helps man through all his Hindus. I salute him to the God of information and the vast form, who is like this Nitya Prabhu Prakriti Purusha has such different forms. Lord Shri Hari Vishnu ji is the one who is free from birth and childhood to all human beings. Please grant him the form of Siddhi. Complete Shri Vishnu Purana.

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