श्री विष्णु पुराण कथा छठा स्कंद अध्याय 7

ब्रह्म योग का निर्णय



खंडित वाक्य की बात सुनकर किसी ध्वज भोले क्षत्रियों को तो सर्वाधिक प्रिय राज पाठ होता है और कुछ प्रिया नहीं होता है मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है कि आप यह सब नहीं मांग रहे हैं केसरी ध्वज की बात सुनकर खंडिक वाक्य बोले है केसरी ध्वज यदि तुम यह जानना चाहते हो कि मैं किस कारण से तुम्हारा राज्य नहीं मांगा तो ध्यान से सुनो राज पाठ पानी की इच्छा तो सदैव मूर्ख किया करते हैं क्षत्रियों का धर्म तो यही है कि कोई अपनी प्रजा की सदैव रक्षा करें वह सही ढंग से अपनी प्रजा का पालन करें शक्तिहीन होने के कारण तुमने मेरा राज हरण कर लिया मैं इस बात से जरा सभी विचलित नहीं हूं उत्तम क्षत्रियों का राज पाठ याचना करना धर्म नहीं है यह ज्ञानी विद्वानों का कथन है इसी कारण से मैं अभी विद्या पाल नदी कर्म के अंतर्गत तुमसे तुम्हारा राज नहीं मांगूंगा मूर्ख लोग ही राज की इच्छा रखते हैं खंडित वाक्य कैसी ध्वज  प्रसन्न होकर बोले हम आपकी इन बातों को सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुए माया विद्या द्वारा मृत्यु को पार करने की इच्छा से यज्ञों का अनुष्ठान कर रहा हूं और आज अनेक भोगों से अपने पुरिया का छाए कर रहा हूं है कल नंद बड़े सौभाग्य की बात है कि तुम्हारा मन विवेक संपन्न हुआ है अतः तुम आदित्य का स्वरूप सुनो संसार वृक्ष की बी बूटा या आदित्य दो तरह की होती है पहले आनंदम में आत्म ज्ञान दूसरा अपना नहीं जिसे अपना बनाना यह कुमति जीव मोह रूपी अंधकार से ग्रस्त होकर इस पंच भूत आत्मा डे में माय और मेड़पन का भाव रखता है जबकि आत्मा आकाश आदि से अलग है तो कौन ज्ञानी व्यक्ति शरीर में आत्मा बुद्धि करेगा आत्मा के शरीर से अलग होने पर भी ऐसा कौन प्राणी होगा जो बिना आत्मा के शरीर को अपना ले विद्यमान व्यक्ति तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करते हैं इस प्रकार इस डे के अनंत आत्मा होने से इसमें पैदा हुए पुत्र पुत्र आदि अवसर दो में भी कौन बुद्धिमान अपनापन करेगा यह जीव अनेक सहस्त्र जन्मों तक सांसारिक भागों में पड़े रहने से उन्हें ही वासना स्वरूप धुली से अक्षमधित होने के कारण केवल मोह रूप श्रम को ही पता है और इस पर अशक्त रहता है जिस समय ज्ञान स्वरूप गर्म जल से उसकी वह धुली दो दी जाती है तथा इस संसार पद के पार्थिव का मुंह रूप श्रम शांत हो जाता है मुंह श्रम के अंत हो जाने पर मनुष्य स्वस्थ चित वाला बन जात एवं ऐसे निर्मित परम निवारण पद प्राप्त कर लेता है इस आदित्य से प्राप्त हुए कलेशों को नष्ट करने वाला योग से अतिरिक्त अन्य और कोई भी दूसरा उपाय नहीं है

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Brahma Yoga's decision

On listening to the fragmented sentence, some flag, the innocent Kshatriyas love the Rajpath most of all and nothing else is dear to them. I am very surprised that you are not asking for all this. On hearing the saffron flag, you have spoken fragmented sentence. The saffron flag, if you If you want to know the reason why I did not ask for your kingdom, then listen carefully to Raj Path. Fools always wish for water. The religion of Kshatriyas is that one should always protect his subjects. He should take care of his subjects in the right manner. Due to being powerless, you have snatched away my kingdom. I am not at all upset by this fact. It is not a religion to beg for the kingdom of the best Kshatriyas. This is the statement of knowledgeable scholars, that is why I am now taking away your kingdom from you under Vidya Pal Nadi Karma. I will not ask for it. Only foolish people desire the kingdom. Broken sentence. What kind of flag? I said happily, We are very happy to hear these words of yours. With the desire to overcome death through the knowledge of Maya, I am performing the rituals of Yagya and today I am offering many pleasures to my Puriyas. Tomorrow Nand, it is a matter of great good fortune that your mind and conscience are endowed, hence you listen to the form of Aditya. There are two types of B Buta or Aditya of the world tree, the first is self-knowledge in Anandam, the second is not yours, which is to be made yours. Being afflicted with darkness in the form of attachment, the Kumati soul has a sense of illusion and darkness in this Panch Bhoot Atma De, whereas the soul is separate from the sky etc., then which knowledgeable person will understand the soul in the body? Which creature would be such that even if the soul is separated from the body? The existing people do not do this at all by adopting a body without a soul. In this way, due to the infinite soul of this day, who would be intelligent enough to adopt the son or son etc. born in it even in the second opportunity, this living being would remain in the worldly parts for many thousands of births. Due to being incapable of being washed in the form of lust, only the labor in the form of attachment is aware of it and remains powerless on it, when it is washed with hot water in the form of knowledge and the labor in the form of the mouth of the earthly person of this world is calmed down. After the end of labor, a person becomes healthy minded and attains the state of ultimate salvation. There is no other solution other than Yoga to destroy the sufferings received from this Aditya.

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