श्री विष्णु पुराण कथा छठ स्कंद अध्याय 6

केशि  ध्वज तथा खंडिक वाक्य की कथा



श्री पाराशर जी बोले आदिकाल में धर्म ध्वजा नामक एक राजा थे उनके दो पुत्र थे अमित ध्वज और मृत ध्वज प्रीत ध्वज सदैव अध्यात्म शास्त्र में रात रहता था मृत ध्वज का पुत्र किसी ध्वज हुआ तथा अमित ध्वज का पुत्र खंडिक वाक्य हुआ खंडित कर्म मार्ग में अत्यंत ही निपुण था और कैसी ध्वज आत्मा विद्या का प्रकांड ज्ञात था वे दोनों एक दूसरे को सहदेव पराजित करने की चेष्टा से लगे रहते थे अंत में किसी ध्वज ने राज पाने के पश्चात खंडित वाक्य को राजदूत कर दिया अथर राज्य भ्रष्ट होने पर खंडित पूर्ववर्ती और मंत्रियों सहित कुछ सामग्री लेकर दुर्गम वन में चला गया किसी ध्वज आत्मा विद्या का प्रखंड ज्ञात था जो तो भी अभी दिया कम द्वारा मृत्यु को पार करने के लिए ज्ञान दृष्टि रखते हुए अनेकों यज्ञ का अनुष्ठान करने लगा एक दिन जब राजा किसी ध्वज यज्ञ अनुष्ठान में स्थित थे तो उनके छवि के लिए दूध देने वाले गाय को एक शेर निर्जन वचन में उठाकर ले गया और उसने उन्हें मार डाला वक्र शेर द्वारा गाय को मारे जाने पर राजा केसरी ध्वज ने इस ऋषि योजनाओं से पूछा कि मुझे इसका किस प्रकार प्रायश्चित करना चाहिए ऋषि जनों ने राजा केसरी द्वारा से कहा राजन हम इस विषय में कुछ नहीं जानते आपके शुरू से जाकर पूछे राजा के श्री ध्वज ने के शुरू से इस विषय में पूछा तो यही बोले राजन माय इस विषय में नहीं जानता आप इस विषय में मृगुप्त पुत्र सोनक से पूछे हुए इस विषय में आपको अवश्य बताएंगे राजा केसरी ध्वज ने अमित पुत्र शानू के जाकर पूछ तो षणमुख ने कहा इस विषय में इस भूमंडल में इसका उपाय सिर्फ तुम्हारा शतरूखंडी की जानता है सोनू की बात सुनकर राजा केसरी ध्वज बोल ही मुनिश्रेष्ठ माय खंडिक सी इस उपाय पूछने अवश्य ही जाऊंगा और उसने मेरे पूछने पर मुझे प्रायश्चित करने के विषय में बता दिया तो मेरा या निर्मित पूर्ण हो जाएगा यह कहकर राजा केसरी ध्वज कल मिर्च पहन कर रथ पर बैठकारखंडी के वन में जा पहुंचे खंडित ने अपने वन में अपने शत्रु को आता देख क्रोध में धनुष बाण उठा लिया और क्रोध में केसरी द्वारा से बोल हेतु हेतु मेरा राज्य चिन्ह वाला शत्रु है तू आज यहां से वापस जीवित नहीं जा सकता मैं अवश्य तुझे मारूंगा

TRANSLATE IN ENGLISH

Story of Keshi flag and fragmented sentence

Shri Parashar ji said, in ancient times, there was a king named Dharma Dhwaja. He had two sons, Amit Dhwaja and Dead Dhwaja, Preet Dhwaja. It was always night in spiritual science. The son of dead Dhwaja became some flag and the son of Amit Dhwaja became a fragmented sentence. Very important in the path of action. He was very adept and knew the vast extent of what kind of flag was the soul knowledge. Both of them kept trying to defeat each other Sahadev. In the end, after getting the kingdom, one of the flags made the fragmented sentence the ambassador. When the kingdom got corrupted, the fragmented predecessors and ministers were Along with some material, he went to the inaccessible forest and started performing many yagya rituals, keeping in mind the wisdom to overcome death. One day, when the king was present in some flag yagya ritual. When the cow was being milked for his image, a lion picked it up in the wilderness and killed him. After the cow was killed by the lion, King Kesari Dhwaja asked this sage Yojana that how should I atone for this sage. The people said to King Kesari, O king, we do not know anything about this matter. He went and asked the king about this. Shri Dhwaja asked the king about this matter and he said this, O king, I do not know anything about this matter. You asked Sonak, son of Mrigupta about this matter. Raja Kesari Dhwaj asked about this matter and will definitely tell you. When Amit's son Shanu asked, Shanmukh said, "Only your Shatarukhandi knows the solution in this matter. After listening to Sonu, King Kesari Dhwaj said, Munishrestha, my Khandik is like this." I will definitely go to ask for the solution and when I asked, if he told me about the atonement, then my work will be completed. Saying this, the king sat on the chariot wearing a saffron flag and went to the forest of Karakhandi. Khandit killed his enemy in his forest. Seeing him coming, he picked up the bow and arrow in anger and spoke through saffron in anger, Hetu Hetu, you are my enemy with the royal symbol, you cannot go back alive from here today, I will definitely kill you.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ