श्री विष्णु पुराण कथा छठ स्कंद अध्याय 6 का भाग 2



खंडिक वाक्य को इस तरह क्रोध में बोलते देखकर राजा केसरी ध्वज ने बड़े विनम्र भाव से कहा खंडित में आपसे एक समस्या का समाधान जानने के लिए यहां तुम्हारे पास इस वैन में आया हूं केसरी ध्वज की बात सुनकर खंडिक ने अपने समस्त उपरोहित हुआ समस्त मंत्रियों से एकांत में जाकर सल्ली तो उन सब ने कहा कि इस समय आपका शत्रु कृषि ध्वज आपका अधिकार क्षेत्र में है इसे अवश्य ही मार डालना चाहिए लेकिन खंडिक ने सोचा यदि मैं इसे मार तो यह समस्त पृथ्वी अवश्य ही मेरे अधीन हो जाएंगे लेकिन इससे पारलौकिक जय प्राप्त होगी यदि मैं इसे नहीं मारूं तो मुझे परलोक जय प्राप्त होगी और इस संपूर्ण पृथ्वी क्यों पारलौकिक जाए तो अत्यंत कल के लिए होती है और पृथ्वी तो कुछ ही दिनों तक रहती है इसलिए मैं इसका व्हाट नहीं करूंगा यह जो पूछने आया है वह मैं इसे अवश्य बताऊंगा यह सब सो कर खंडित ने केसरी द्वारा से कहा बोला तुम्हें किसी समस्या का समाधान पूछना है मैं अवश्य ही उसका उत्तर दूंगा राजा केसरी ध्वज ने धर्म धेनु गाय के मारे जाने का समस्त वृतांत खंडित को बताकर उसका प्रायश्चित करने का उपाय पूछा खंडित ने राजा केसरी ध्वज को समस्त प्रायश्चित विधि पूर्वक बता दिया राजा केसरी ध्वज खंडिक से आज्ञा लेकर वापस अपने राज्य में लौट आया और फिर यज्ञ भूमि में जाकर समस्त कर्म संपूर्ण किया और फिर अपने कर्मों के विषय में सोते हुए विचार करने लगे कि मैं समस्त दान पुण्य कर लिए लेकिन मैं अभी तक खंडित को गुरु दक्षिणा नहीं दिए मैं उन्हें गुरु दक्षिणा अवश्य दूंगा यह सुनकर केसरी ध्वज रात में बैठकर फिर से वन में खंडित के पास जा पहुंचा और बहुत ही विनम्र भाव से केसरी ध्वज ने खंडित से कहा आपके बताए हुए उपाय से मैंने अपने समस्त प्रायश्चित कम पूर्ण कर लिए हैं मैं आपको गुरु दक्षिणा देना चाहता हूं आपकी जो इच्छा हो मांग को केसरी ध्वज की बात सुनकर खंडित बोले यदि आप मुझे गुरु दक्षिणा देना ही चाहते हैं तो कम समस्त क्लेश को शांत करने में समर्थ हो वह बताएं

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Seeing Khandik speaking in anger like this, King Kesari Dhwaj said in a very polite manner, Khandik, I have come here to you in this van to find out the solution to a problem from you. Hearing the words of Kesari Dhwaj, Khandik addressed all his ministers with all his might. Salli went alone and they all said that at this time your enemy Krishi Flag is in your jurisdiction, he must be killed but Khandik thought that if I kill him then the entire earth will definitely come under my control but this will lead to transcendental victory. If I don't kill him, I will attain victory in the afterlife and why should this entire earth go to the afterlife, it is only for tomorrow and the earth lasts only for a few days, so I will not do anything about it. Whatever this person has come to ask, I will definitely give it to him. I will tell you all this. After sleeping, Khandit said to Kesari that if you want to ask the solution of any problem, I will definitely answer it. King Kesari flag told Khandit the whole story of the killing of Dharma Dhenu cow. Khandit asked the king for a way to atone for it. After telling all the atonement rituals to the saffron flag, the king returned to his kingdom after taking permission from the saffron flag section and then went to the Yagya land and completed all the deeds and then while sleeping, he started thinking about his deeds that he should do all the charity and good deeds. But I have not yet given Guru Dakshina to Khandit. I will definitely give him Guru Dakshina. Hearing this, Kesari Dhwaj sat down at night and again went to Khandit in the forest and in a very polite manner Kesari Dhwaj said to Khandit, 'With the solution shown by you. I have completed all my penances, I want to give you Guru Dakshina. Whatever your wish, my demand got shattered after listening to the saffron flag. If you want to give me Guru Dakshina, then tell me the one who is capable of pacifying all the troubles.

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