श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 37

ऋषियों का श्राप यदुवंश विनाश और भगवान का स्वाद धाम सिधारना



श्री पाराशर जी बोले हे मैथिली जगत के कल्याण के लिए इस तरह बलराम व प्रभु श्री कृष्ण जी ने दुष्ट दैत्यों और दुष्ट राजाओं का वध कर अंत में अर्जुन के साथ मिलकर प्रभु श्री कृष्ण ने 18000 अक्षामिया सी को मार कर पृथ्वी का भार उतर पृथ्वी को भार मुक्त किया इस तरह सारे राजाओं का वध कर पृथ्वी का भार "किया और फिर ब्राह्मणों के श्राप के बीच से अपने का भी उपसंहार कर दिए है मनी अंत में द्वारिका पुरी को छोड़कर तथा अपने मानव शरीर को त्याग कर प्रभु श्री कृष्ण जी ने अपने अंश बलराम प्रदुमन आदि सहित अपने विश्व धर्म में प्रवेश किया श्री मैथिली जी बोले है मोनू प्रभु श्री कृष्ण जी ने भी प्रसाद विश्व से इस तरह आपने कल का नाश किया और अपने मानव शरीर को त्याग श्री पाराशर जी बोले एक बार कुछ यादों कुमारन ने महा तीर्थ पिंडराक क्षेत्र में विश्व मित्र को और नारद आदि महामुनियों को दिखा युवान से उन्नत हुए उन बालकों ने होनहार की प्रेरणा से जामवंती के पुत्र समर का स्त्री विश्व बनाकर उन मुनियों को प्रणाम कर न्यास मस्क नम्रता पूर्वक पूछा है मनी ज्ञान इस स्त्री को पुत्र की कामना है कहीं क्या इसे पुत्र उत्पन्न होगा श्री पाराशर जी बोले यदि कुमारन के इस तरह चल करने पर उन दिव्य ज्ञान संपन्न मुनीश्वर ने क्रोध होकर कहा यह एक लोकान्तर मसाला यानी जो सारे यादों के नस का कारण होगा और जिस यादों का समस्त कल जगत में निर्मल हो जाएगा उन यादों को मारो ने मुनि गानों वाला वृतांत जिओ का क्यों महाराज अग्रसेन को जाकर बता दिया तथा सबर के पेट से एक मोशन उत्पन्न हुआ महाराज अग्रसेन ने इस क्षण उसे लव में मोतियों का चूर्ण कर डाला और उसे चूर्ण को कौन यादव को मारो ने ले जाकर समुद्र में फेंका दिया उसे वहां अनेक सरकंडे उत्पन्न हो गए उसे मौसम के लोहे का जो भले की नोक के समान एक टुकड़ा चरण करने से बच गया उसे भी समुद्र में ठीक हुआ दिया एक मछली ने निगल लिया उसे मछली को मछुआरों ने पकड़ लिया तथा उसके चीरने पर उसके पेट से निकला हुआ उसे मौसम खान को जरा नमक वाद्य ने ले लिया प्रभु श्री कृष्ण जी इस बातों को अच्छी तरह से जानते थे लेकिन उन्हें विधाता की इच्छा को अन्यथा ना करना चाह इस समय देवताओं ने वायु को भेजा हुआ आयु ने प्रभु श्री कृष्ण जी को एकांत मिल ले जाकर उन्हें प्रणाम कर कहा प्रभु मुझे देवघरों ने आपके पास दूध बनाकर भेजा है हे प्रभु वासु गाना सनी कुमार रुद्र अवतार मारुदगान और शादी के सहित इंद्र ने आपको जो संदेश भेजा है वह आप सुनिए है देव देवताओं की प्रेरणा से उनके साथ पृथ्वी का भार उतारने के लिए अवतरित हुए आपका 100 वर्ष से अधिक बीत चुके हैं आप अब दुराचारी व्यक्तियों का वध कर चुके और पृथ्वी का भार भी उतर चुके हैं अतः आप स्वर्ग में पधार कर देवताओं को सनत करें हे प्रभु देव गानों का यह भी कथन है कि यदि आपको यही रहना अच्छा लगे तो रहे शौकों का तो यही धर्म है कि स्वामी की यात्रा संभव कर्तव्य का निवेदन कर दें वायु की बात सुनकर प्रभु श्री कृष्ण जी बोले ही दुख तुम जो भी कुछ कह रहे हो माई सब कुछ जानता हूं इसलिए मैंने आप यादों का नाश आरंभ कर दिया है इस यादों का संघर्ष हुआ बिना पृथ्वी का भार हल्का नहीं होगा अतः साथ रात्रि के भीतर इसका संघार करके पृथ्वी का भार उतर कर मैं सीख रही वही करूंगा जैसा तुम रहते हो जिस तरह याद द्वारका की भूमि समुद्र से मांगी थी इससे इस तरह समुद्र को वापस लौटकर तथा यादों का नाश करके मैं स्वर्ग लोक आऊंगा अब देवराज इंद्र और देवताओं को यह समझना चाहिए कि संकरण के सहित में मानव शरीर को त्याग कर स्वर्ग लोक पहुंच ही चुका हूं पृथ्वी के बाहर भूत जरासंध आदि अन्य रजागन मारे गए हैं की यादों कुमार भी उन्हें काम नहीं है अतः तुम देव गणों से जाकर कहो कि मैं शीघ्र ही पृथ्वी के इस भर को उतार कर स्वर्ग लोक में आऊंगा

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The curse of the sages, the destruction of the Yadu dynasty and the destruction of God's abode.

Shri Parashar ji said, for the welfare of the Maithili world, in this way Balram and Lord Shri Krishna killed the evil demons and evil kings and finally Lord Shri Krishna along with Arjun killed 18000 Akshamiyas and removed the burden of the earth. In this way, by killing all the kings, he relieved the burden of the earth and then he freed himself from the curse of the Brahmins. In the end, by leaving Dwarka Puri and abandoning his human body, Lord Shri Krishna ji gave up his life. Ansh Balram entered his world religion along with Praduman etc. Shri Maithili ji said Monu Prabhu Shri Krishna ji also gave Prasad from the world, in this way you destroyed yesterday and abandoned your human body Shri Parashar ji said once some memories Kumaran Maha In the Tirtha Pindraka area, after seeing Vishwa Mitra and the great sages like Narada, those boys who had progressed from youth, with the inspiration of promising, made the world of Jamvanti's son Samar, after paying obeisance to those sages, Nyas Mask humbly asked this woman for the knowledge of the son. I wish that he will have a son, Shri Parashar ji said, if Kumaran behaves like this, Munishwar, who has divine knowledge, got angry and said, this is a lokaantar masala i.e. which will be the cause of all the memories and the memories of which will spread throughout the world. Those memories will be purified. Beat the story of Muni's songs. Why did he go and tell Maharaj Agrasen about it and a motion arose from Sabar's stomach. At this moment, Maharaj Agrasen reduced him to the powder of pearls in love and gave that powder to which Yadav? Maro took it and threw it into the sea. There, many reeds were born. A piece of weather iron, like the tip of a spear, which was saved from the process, was also healed in the sea. A fish swallowed it. Lord Shri Krishna knew these things very well but he did not want to do otherwise as per the will of the Creator. At this time the Gods sent Vayu. Hua Ayu took Lord Shri Krishna to a solitary place and bowed to him and said, Lord, the Devghars have sent me to you after preparing milk, O Lord Vasu, listen to the message that Indra has sent you including Sunny Kumar Rudra Avatar, Marudagana and marriage. More than 100 years have passed since you descended with the inspiration of the gods and goddesses to take off the burden of the earth. You have now killed the wicked people and have also taken off the burden of the earth, hence you should come to heaven and sanctify the gods. It is also said in the songs of Prabhu Dev that if you like to stay here, then it is the religion of the hobbies, that the journey of Swami is possible and request for duty. After listening to Vayu, Lord Shri Krishna said, 'Duch, whatever you are saying'. Ho Mai, I know everything, that is why I have started the destruction of your memories. Without the struggle for these memories, the weight of the earth will not become lighter, therefore, by destroying it within the night, I will remove the weight of the earth and I will learn to do the same as you live. Just as I had asked for the land of Dwarka from the sea, I will come to heaven after returning to the sea and destroying the memories. Now Devraj Indra and the gods should understand that after leaving the human body in the process of Sankaran, I have already reached heaven. I am outside the earth, ghosts like Jarasandha etc. and other kings have been killed and even Yadon Kumar has no use for them, hence you go and tell the gods that I will soon leave this whole earth and come to heaven.

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