श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 36

दिविद वध 



श्री पाराशर जी बोले है मैथिली वीर पराक्रमी बलराम जी का एक और कर्म मैं तुम्हें सुनाता हूं ध्यान पूर्वक सुनो दो विच नाम का एक महावीर साली वानर श्रेष्ठ देव विरोधी दैत्य राज नरकासुर का मित्र था प्रभु श्री कृष्ण जी ने दैत्य राज नरकासुर का वध देवराज इंद्र की प्रेरणा से किया था इसलिए वानर श्रेष्ठ द्विज नाम देव गानों से बैर खान कर निश्चय किया कि मैं मृत्यु लोक का चाह कर दूंगा और इस तरह यज्ञ यज्ञ आदि का उचित करके सारे देवगणों से इसका बल्दा चुकाऊंगा फिर किताब से यह अनजान मोहित होकर जोगियो को विश्वास करने लगा और साधु मर्यादा को मिटाने तथा देवधारी जीवन को नष्ट करने लगा वह वन देश पूर्व और अलग-अलग ग्रामों को जला देता था कभी पहाड़ गिरा कर ग्राम आदिया को छोड़ कर डाला कभी पहाड़ो की चट्टान उखाड़ कर समुद्र के जाल में छोड़ देता और फिर कभी समुद्र में घुसकर उसे शोभित कर देता उसे सूरत हुआ समुद्र ऊंची ऊंची तरंगा लहरों से उठकर आती विवेक से युक्त हो अपनी निकटवर्ती ग्राम वापुर आदि को डुबो देता वह काम रूपी वानर महान रूप धर कर लौटने लगा था और अपने लूटन के संघर्ष से संपूर्ण ढाईयों को कुचल देता था समस्त संसार को ईश्वर अध्याय और वस्त कर से शून्य कर दिया था जिसे यह अत्यंत दुख में हो गया 1 दिन बाद राम जी ने रेवत उद्यान में कीड़ा समस्त होकर मद्यपान कर रहे थे साथ ही मा भाग रेवती तथा अन्य सुंदर रमणीय भी थी उसी समय यह दूसरे बलराम जी मंडरांचल पर्वत पर कुबेर के समान रेवत परम स्वामी स्मरण कर रहे थे उसी समय वहां पर द्विज वानर आया फिर और श्री बलराम जी के हाल और मूसा लेकर उसकी सामने ही उसके नकल करने लगा वह दूर आत्मा उन स्त्रियों की तरफ देखकर जोर-जोर से हंसने लगा और मदिरा में भरे हुए खड़े फोड़ दिया यह सब देखकर बलराम जी को अत्यंत क्रुद्ध आया उन्होंने उसे धमका धमकाय लेकिन वह वानर उसकी बात ना सुनकर जोर-जोर से किलकारी करने लगा फिर क्रोध में आकर बलराम जी ने अपना मुंह साल उठा लिया यह देख उसे वानर ने भी एक विशाल चट्टान उठाकर बलराम जी की ओर फेंक दिया लेकिन यह दो श्रेष्ठ बलराम जी ने मुसल से ही उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर दिए इसमें वह पृथ्वी पर गिर पड़ी फिर वह दूज वानर ने अत्यंत वेग से बलराम जी की छाती पर दोष मारा फिर बलराम जी ने भी क्रोधित होकर उसे दूज के सिर पर जोर से भूसा मारा जिससे वह रुधिर वामन खून की उल्टी करता हुआ निर्जीव होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा उसे समय देवगढ़ पर राम जी पर पुष्प वर्षा करने लगे और वहां आकर आपने यह बहुत अच्छा किया यह कहकर उसकी प्रशंसा करने लगे है वीर दैत्य पक्ष के उप कारक इस दुष्ट वानर ने संसार को बहुत दुख दे रहा था यह बहुत ही सौभाग्य का विषय है कि इस दुष्ट का वध आपके हाथों से हुआ है यह कहकर गुहाओं के सहित देवगढ़ प्रसन्न होकर स्वर्ग लोक को चले गए श्री पाराशर जी बोले शेष अवतार धरनी धर बलराम जी के अनेकों ऐसे ही करम है जिनका कोई परिमाण नहीं बताया जा सकता

TRANSLATE IN ENGLISH 

Devid slaughter

Shri Parashar ji has said that I am telling you another deed of the Maithili brave Balram ji. Listen carefully. A Mahavir Saali monkey named Do Vich was a friend of the demon king Narakasura who was the opponent of the best god. Lord Shri Krishna ji killed the demon king Narakasura. Devraj Indra. Therefore, after getting enmity with the songs of Vanar Shrestha Dwija Naam Dev, I decided that I will give up my wish for the world of death and in this way, by doing Yajna Yagya etc. properly, I will repay all the gods for this. Then this unknown person got fascinated by the book and told the Yogis. He started believing and started destroying the dignity of the sage and destroying the life of the cedars. He used to burn the forest country and different villages, sometimes he would collapse the mountains and leave the village Adia alone, sometimes he would uproot the rocks of the mountains and leave them in the net of the sea. And then sometimes he would enter the sea and beautify it; it would look like the sea would rise with high waves and be full of wisdom and would submerge the nearby village Vapur etc. The monkey in the form of lust had started returning in a great form and from the struggle of his plunder God used to crush the entire universe and had reduced it to zero by creating an object which made it extremely sad. One day later, Ram ji in the Revat garden became full of insects and was drinking alcohol along with Maa Bhag Revati and other beautiful people. At the same time, this second Balram ji was remembering Revat Param Swami like Kubera on the Mandaranchal mountain. At the same time, the Dwija monkey came there again and after taking the condition of Shri Balram ji and Moses, started imitating him in front of him. That distant soul, Looking at the women, he started laughing loudly and broke down while standing full of liquor. Seeing all this, Balram ji got very angry and he threatened him, but the monkey did not listen to him and started howling loudly, then in anger Balram ji Seeing this, the monkey also picked up a huge rock and threw it towards Balram ji, but these two superior Balram ji broke them into pieces with his pestle and it fell on the earth, then the two monkeys threw it towards him. He hit Balram ji's chest with great speed and then Balram ji also got angry and hit him hard on Duj's head due to which he became bloody and fell lifeless on the earth, vomiting blood. At that time, flowers showered on Ram ji at Devgarh. And after coming there, they started praising him by saying that you did a very good job, this evil monkey was causing a lot of suffering to the world, it is a matter of great good fortune that this evil monkey was killed by your hands. Saying this, Devgarh along with the caves became happy and went to heaven. Shri Parashar ji said that Balram ji has done many such deeds in his remaining incarnations, which cannot be quantified.

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