श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंध अध्याय 32

उषा चरित्र



श्री पाराशर जी बोले रुक्मणी के गर्व से उत्पन्न हुए प्रभु श्री कृष्ण जी ने प्रदुमन आदि पुत्रों का वर्णन हम पहले ही कर चुके हैं सद्भामा के भानु और बारित आदि पुत्र हुए श्री कृष्ण जी के रोहिणी से दीप्ति महान और राम पक्ष आदि तथा जामवंती से बलशाली शाहदरा आदि पुत्र हुए नग्न जीत सत्य से महाबली भद्र बिंदु और सेवा मित्र बिंदु से संगम जीत आदि उत्पन्न हुए माधुरी से वक्र आदि लक्ष्मण से वस्त्रावण आदि तथा कालीन से स्तुति आदि उत्पन्न हुए इस तरह प्रभु श्री कृष्ण जी की अन्य स्त्रियों के भी 88 800 पुत्र हुए इन समस्त पुत्रों से रुक्मणी से उत्पन्न प्रदुमन सबसे बड़े थे और प्रदुमन से अनुरोध और अनुरोध से बाजरो उत्पन्न हुए महाप्रकामी अनुरोध अजय योद्धा थे उन्होंने बलि की पुत्री एवं वनसुर की पुत्री उषा से विवाह किया था उसे विवाह में श्री कृष्ण जी वह प्रभु भोले शंकर का भयानक युद्ध हुआ था और श्री कृष्ण जी ने बाणासुर की सहस्त्र भुजाएं काट दी थी श्री मैथिली जी बोले हे भगवान उषा के लिए श्री कृष्णा हुआ प्रभु शिव शंकर में युद्ध क्यों हुआ और श्री हरि ने वाणासुर की भुजाएं क्यों काट दी थी कृपा करके आप मुझे यह सब सुनाएं सिर्फ पाराशर जी बोले हैं मुनिश्रेष्ठ वाना और की पुत्री उषा ने एक बार पार्वती जी को भगवान शंकर जी के साथ पीड़ा करते देखा स्वयं भी अपने पति के साथ रमण करने की इच्छा की तो पार्वती जी ने उषा से कहा तू अधिक संतृप्त मत हो इस समय आने पर तू भी अपने पति के साथ रमन करेगी पार्वती की बात सुनकर वाना और की पुत्री उषा ने अपने मन में सोचा की पता नहीं ऐसा कब होगा मेरा पति कौन होगा इस विषय में उसे पार्वती से पूछा तो पार्वती जी ने उनसे कहा है राज पुत्री वैशाख शुक्ल दास ने की रात्रि को जो पुरुष स्वप्न में तुझे फर्स्ट संभोग करेगा वही तेरा पति होगा फिर उसी तिथि उषा के सपना अवस्था में किसी पुरुष ने उसे उसी प्रकार संभोग किया जैसे की पार्वती जी ने कहा था फिर स्वप्न से जैन पर जब उसे उसे पुरुष को ना देखा तो वह उसे देखने के लिए उत्सुक होकर अपनी सखी की ओर लक्ष्य करके निर्जलाता पूर्वक बोली है प्राणनाथ आप कहां चले गए कंबाइंड नामक वनसुर का मंत्री था उसकी चित्रलेखा नाम की एक पुत्री थी जो बाणासुर की पुत्री उषा के प्रिय सखी थी उषा का पर लाभ सुनकर चित्रलेखा ने उससे पूछा तुम किसके विषय में यह बातें कर रही हो चित्रलेखा की बात सुनकर उषा चुप हो गई और उसने उसे कुछ नहीं बताया लेकिन जब चित्रलेखा ने उसे समस्त बातें गुप्त रखने का विश्वास दिलाया तो उसने उसे समस्त वृतांत जो कुछ भी पार्वती जी ने कहा था सुना दिया और फिर उषा चित्रलेखा से बोली कि अब तुम कुछ उपाय करो कि उसका उसी से पुणे समागम हो उषा की बात सुनकर चित्रलेखा बोली प्रिया सखी तुमने जिस पुरुष को देखा है उसे मैं तुम जानती या पहचानती भी नहीं लेकिन तुम चिंता मत करो माय आवाज से ही तुम्हारा कुछ ना कुछ उपकार करूंगी तुम सात आठ दिन मेरी प्रतीक्षा करो या कहकर चित्रलेखा अपने घर चली गई और उसे पुरुष को ढूंढने का प्रयत्न करने लगी चित्रलेखा ने सात आठ दिन पश्चात लौटकर उषा को कुछ देवता देते गंधर्व और मनुष्य के चित्र दिखाएं उषा ने सब चित्रों को छोड़कर मनुष्य पर और उसमें भी अदरक और ग्रीन वाशी यदुवंशियों पर की दृष्टि डाली बलराम और श्री कृष्ण जी के चित्र देखकर वह लज्जा से जरूरत हो गई तब प्रद्युमन को देखते ही लाजवाब उसने अपनी दृष्टि हटा ली फिर प्रद्युमन पुत्र अनुरोध देखते ही वह जोर से बोल उठी यही है वह यही है उषा के मुंह से यह सुनकर चित्र लिखने कहा चित्र के लिखा बोली देवी ने प्रसन्न होकर श्री कृष्ण का पुत्र ही तेरा पति निश्चित किया है इस सुंदर वीडियो का नाम अनुरोध है यदि या तुम्हें तो समझो तुमने सब कुछ पा लिया लेकिन कृष्ण जी द्वारा सुरक्षित द्वारिका पुरी में प्रवेश करना कठिन है लेकिन है सखी मायावास यही किसी उपाय से तेरे पति को लाऊंगी तू इस गुप्त रहस्य का किसी के आगे जिगना करना मैं शीघ्र आऊंगी यह कहकर चित्रलेखा द्वारिका पुरी खोज चली गई

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Usha character

Shri Parashar ji said, Lord Shri Krishna ji was born out of Rukmani's pride. We have already described the sons of Praduman etc. Sadbhama's sons Bhanu and Barit etc. were the sons of Shri Krishna ji, Rohini had great brilliance, Ram Paksha etc and Jamwanti were powerful. Shahdara etc. sons were born, from Satya were born Naked Jeet, from Satya were born Mahabali Bhadra Bindu and from Seva Mitra Bindu were born Sangam Jeet etc. from Madhuri were born Vakra etc. from Lakshmana Vastraavan etc. and from Carpet Stuti etc. were born. In this way Lord Shri Krishna's other women also had 88 800 sons. Of all these sons, Praduman, born from Rukmani, was the eldest and from Praduman, by request and request, Bajra was born. Ajay, a great warrior, was a warrior. He married Usha, the daughter of Bali and the daughter of Vansur. In his marriage, Shri Krishna ji, Lord Bhole Shankar There was a terrible war and Shri Krishna ji had cut off the thousand arms of Banasur. Shri Maithili ji said, O Lord Usha, Shri Krishna became Lord Shiv Shankar, why was there a war and why did Shri Hari cut off the arms of Banasur, please please Only Parashar ji has said this to me. Munishrestha Vana's daughter Usha once saw Parvati ji suffering with Lord Shankar ji and she herself wished to have fun with her husband, then Parvati ji said to Usha that she is more satisfied. Don't let this time come, you will also have fun with your husband. After listening to Parvati, Vana and her daughter Usha thought in her mind that I don't know when this will happen. When she asked Parvati about who will be my husband, then Parvati ji told her. It has been said by the royal daughter Vaishakh Shukla Das that the man who has sexual intercourse with you first in the dream at night will be your husband, then on the same date in the dream state of Usha, some man had sexual intercourse with her in the same way as Parvati ji had said, then Jain became Jain through the dream. But when she did not see the man, she, being eager to see him, turned towards her friend and said without any irritation, "Prannath, where have you gone?" He was the minister of Vanasura named Combined. He had a daughter named Chitralekha, who was the wife of Banasura's daughter Usha. Chitralekha was a dear friend of Usha and after hearing about her, Chitralekha asked her about whom are you talking about. Hearing Chitralekha's words, Usha became silent and did not tell her anything, but when Chitralekha assured her to keep everything a secret, she told her. I narrated the whole story, whatever Parvati ji had said and then Usha said to Chitralekha that now you should take some measures so that she can meet him in Pune. After listening to Usha, Chitralekha said, Priya friend, do you know the man whom you have seen? She doesn't even recognize me but don't worry, I will do you some favor with my voice itself. You wait for me for seven-eight days. Chitralekha went to her home and started trying to find the man. Chitralekha returned after seven-eight days and told Usha. Show pictures of some gods, Gandharvas and humans. Usha left all the pictures and looked at humans and also at Ginger and Green Vashi Yaduvanshis. After seeing the pictures of Balram and Shri Krishna, she became helpless and then on seeing Pradyuman, she felt wonderful. She removed her sight and then on seeing the request of Pradyuman's son, she said loudly, 'This is this, this is this'. Hearing this from Usha's mouth, she asked to write the picture and wrote the picture. The goddess was pleased and decided that the son of Shri Krishna is your husband. This is a beautiful video. The name is requested. If or you understand that you have achieved everything but it is difficult to enter Dwarka Puri protected by Lord Krishna, but this is my friend Mayavas, I will bring your husband by some means, do not reveal this secret to anyone, I will soon. Saying that she will come, Chitralekha went in search of Dwarika Puri.

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