श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंध अध्याय 20

कुब्जा पर कृपा धनु बाग कोलवा पिंड और चारों आदि मालूम का नाश तथा कंस का वध



श्री पाराशर जी बोले राज मार्ग में श्री कृष्ण जी ने एक नव तो ना कुब्जा स्त्री को अनुलेपन का पत्र लिए आते देखा तब बिलासपूर्वक श्री कृष्ण जी ने उनसे कहा अरे कमल लोक ने सच-सच बता कि यह अनुलेखन किसी के लिए ले जा रही है प्रभु श्री कृष्ण जी के कामुक पुरुष की तरह इस तरह पूछने पर खूबियों ने उनके दर्शन से हटा आकृति चित हो कहा हे कैन'टी क्या आप मुझे नहीं जानते मैं अनेक वीरता नमक से प्रसिद्ध हूं मैं राजा कंस के यहां अनुलेपन का कार्य करती हूं राजा कंस को मेरे अलावा किसी और का पिसा हुआ अपटांग पसंद नहीं है मैं उनकी अनंत कृपा पात्र हूं श्री कृष्ण जी बोले ही सुमुखी यह अति सुगंध में अनुलेखन तो राजा के ही योग्य है हमारे शरीर के योग्य भी कोई अनुलेखन हो तो दो या सुनकर पूजा बोल लीजिए और फिर बलराम और श्री कृष्ण को उनके शरीर के योग्य चंदन आदि दिए उसे समय के दोनों पुरुष श्रेष्ठ कमल आदि अंगों में पत्र रचना विधि से यथार्थ से यथार्थ अनु लिप्त होकर इंद्रधनुष युक्त श्याम और श्वेत में के समान सुशोभित हुए इसके पश्चात अल्प पान सीधा करने की विधि के जानकार प्रभु श्री कृष्ण जी ने उसकी टोटी में अपने आप की दो अंगुली लगाकर उसे उसका कर हिलाया तथा उसके पर अपने पैरों से दबा दिए इस तरह प्रभु श्री कृष्ण ने उसे ऋतु का आज सीधे शरीर वाले कर दिए सीधी हो जाने पर वह सारी स्त्रियों में सुंदरी हो गई फिर वह श्री कृष्ण जी से विलास वाणी में बोली आप मेरे साथ मेरे घर चलिए उसके ऐसे कहने पर श्री कृष्ण जी ने उसकी पूजा से जो पहले अंग टेढ़े थे लेकिन आप वह सुंदर हो गई थी बलराम जी के मुख की ओर देखकर हंसते हुए कहा हां मैं आवासीय ही तुम्हारे घर आऊंगा फिर पत्र रचना आदि विधि से अनुकूलित तथा चित्र विचित्र मालाओं से सुशोभित बलराम और श्री कृष्णा क्रमशः नीलांबर और पीतांबर धारण किए हुए यज्ञशाला तक आए और वहां से उन्होंने किया वर्षों से उसे यज्ञ के उद्देश्य स्वरूप धनुष के विषय में पूछा और उनके बताने पर श्री कृष्ण ने उसे सहारा उठाकर परित चढ़ा दी उसे पर बलराम बलपूर्वक पर्यटन चढ़ाते समय वह धनुष टूट गया और समय उसने ऐसा घर शब्द किया कि उसे संपूर्ण मथुरा पुरी गई धनुष टूट जाने पर उसके रक्षों में उन पर आक्रमण कर दिया और उसे रक्षक सेवा का संघार कर हुए दोनों बालक धनुषाला से बाहर आए अक्रूर के आने का समाचार प्रकार तथा उसे महान धनुष के टूटने की बात सुनकर कंस ने चारों और मुत्थिका को बुलाकर कहा हुए दोनों गोपालक यहां आ चुके हैं वह दोनों मेरा वध करना चाहते हैं अतः तुम दोनों मल युद्ध में उन्हें मेरे सामने मार दो फिर तुमने उसे मल युद्ध में मार दिया तो मैं तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी करूंगा मेरे इस कथन को मिथ्या झूठ ना समझना यदि तुमने उन दोनों को मार दिया तो मेरा यह राज्य हमारा और तुम दोनों का समान रूप से होगा

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Blessings on Kubja, Dhanu Bagh, destruction of Kolwa Pind and all four Aadi Maalum and killing of Kansa.

Shri Parashar ji said, on the royal road, Shri Krishna ji saw a young woman coming with a letter of transcription, then Shri Krishna ji said to her with great joy, Oh Kamal Lok, tell me the truth that this transcription is being taken for someone. Like a sensual man of Lord Shri Krishna, when asked in this manner, the qualities removed from his sight and said, O Can't, don't you know me, I am famous for many bravery and salt, I work as a disciple in the house of King Kansa, King. Kansa does not like the crushed upper body of anyone other than me. I am the object of his infinite blessings. Shri Krishna ji said, 'Sumukhi, this very fragrant transcription is only worthy of a king. If there is any transcription worthy of our body, then give it or listen to it and say puja.' Take it and then gave sandalwood etc. suitable for their bodies to Balram and Shri Krishna. Both the best men of the time, by following the method of letter writing in the form of lotus and other parts, became as beautiful as black and white with rainbow. After this, Alp Paan went straight. Knowing the method of doing this, Lord Shri Krishna ji put two of his fingers in her vagina and shook her and pressed on her with his feet. In this way, Lord Shri Krishna made her straight after becoming straight. She became the most beautiful among all the women, then she said to Shri Krishna in a luxurious voice, 'Come with me to my house.' On her saying this, Shri Krishna ji had bent his limbs before worshiping her, but you had become beautiful. Balram ji said this. Looking at him, he laughed and said, 'Yes, I will come to your house only for residential purposes. Then, Balram and Shri Krishna, adorned with strange garlands adapted from the method of writing letters etc., and Shri Krishna, wearing Nilambar and Pitambar respectively, came to the yagya hall and from there they performed the yagya for years. Asked about the purpose of the bow and on his telling, Shri Krishna supported it and hoisted it, but while Balram was hoisting the bow with force, the bow broke and at the time he made such a sound that it destroyed the entire Mathura and Puri. I attacked them and after hearing the news of the arrival of Akrura and the breaking of his great bow, both the boys who had done their duty of guarding him came out of the Dhanushala. Kansa called all around Mutthika and said that both the cowherds have come here. Both of them want to kill me, so both of you kill them in front of me in a stool fight. Then if you kill him in a stool fight then I will fulfill all your wishes. Do not consider this statement of mine as a lie. If you kill both of them then my This kingdom will be yours and mine equally

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