श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंध अध्याय 18

भगवान का मथुरा को प्रस्थान गोपियों की वीरह कथा और अक्रूर जी का मोह 



श्री पाराशर जी बोले हैं मैथिली यदुवंशी अक्रूर जी इस तरह विचार करते हुए प्रभु श्री कृष्ण के पास पहुंचे और दोनों हाथ जोड़कर उनके चरणों में सिर झुकाते हुए माया क्रूर हूं का कर प्रणाम किया प्रभु ने अपने कर कमल से उन्हें स्पर्श कर और प्रेम पूर्वक अपनी ओर खींचकर अलैंगिक किया फिर अक्रूर ने उनकी उनसे वह संपूर्ण वृतांत कहना आरंभ कर दिया जैसे की दर बुद्धि कंस ने वासुदेव व देवकी को डाटा था तथा जिस तरह वह दूर आत्म कंस अपने पिता अग्रसेन से दुर्व्यवहार जिस लिए उसने उन्हें यानी अक्रूर जी को वृंदावन भेजा है अक्रूर जी के मुख से यह सब बातें सुनकर प्रभु श्री कृष्ण जी बोले ही दान पत्ते यह समस्त बातें मुझे ज्ञात है अब तुम किसी प्रकार का स्वयं मत करो मैं आप कंस का वध अवश्य ही करूंगा माय और बलराम कल तुम्हारे साथ मथुरा चलेंगे हमारे साथ बड़े बूढ़े को भी अनेकों उपहार लेकर जाएंगे आप आप यह रात्रि सुखपूर्वक बताइए तीन रात्रि के भीतर में कंस और उनके अनुच्छेदों का वध अवश्य कर दूंगा श्री पाराशर जी बोले अक्रूर जी श्री कृष्ण जी बलराम जी सहित संपूर्ण भोग गानों को कंस की आज्ञा सुनना नंद गोप के घर सो गए अगले दिन प्रात काल होते ही बलराम व श्री कृष्ण जी क्रूर के साथ मथुरा चलने को तैयार देखकर समस्त गोपिया नेत्रों आंसू भरकर बोली मथुरा पुरी से जाकर श्री कृष्णा फिर गोकुल वापस क्यों आएंगे क्योंकि वहां तो यह अपने कानों से नगर नारियों के मधुर अल्प रूप मधु का ही पान करेंगे आज निर्दय दूर आत्मा विधाता ने समस्त बज के साथ भूत प्रभु श्री हरि को हराकर हम गोप गोपियों पर आघात किए हैं देखो क्रूर एवं निर्दय आकृद के बहकावे में आकर श्री कृष्ण रथ पर सवार होकर मथुरा जा रहा है यह निराशक क्रूर क्या अनुरोध राजी जनों के मां का भाव तनिक भी नहीं जानता जो इस तरह हमारे श्री कृष्ण को यहां से ले जा रहे हैं देखो यह अत्यंत निष्ठा श्री कृष्णा बलराम के साथ रात पर सवार होकर जा रहे हैं अरे इन्हें शीघ्र रोको इस पर गुरुजनों के समक्ष ऐसा करने में समर्थ प्रकट करने वाले किसी गोपी को आप उसने फिर लक्ष्य करके कहा अरे क्या कह रही है तू हम अपने गुरु जान के समक्ष ऐसा नहीं कर सकते भला आप वीर अग्नि से भाषी भूत हुए हम लोग का गुण क्या करेंगे देखो यह नंद ग्रुप आदि गुप्तगंध भी उनके साथ जाने की तैयार कर रहे हैं इनमें से कोई भी श्री कृष्ण को रोकने का प्रयत्न नहीं कर रहा है देखो हमारे प्रति श्री हरि के अनुराग में शिथिलता आ जाने से हमारे हाथों के कान भी ढीले हो गए हैं हम जैसी दुकनिया अब लो पर किस दया ना आएगी लेकिन देखो यह अक्रूर हृदय अखरोट तो बहुत ही तेजी से रथ को चल रहा है देखो श्री कृष्ण जी के रात की धुली दिखाई दे रही है किंतु है अब तो श्री कृष्णा इतनी दूर चले गए कि वह धुली भी नहीं दिखाई दे रही है शीघ्र आगामी घोड़े वाले रात से चलते-चलते बलराम श्री कृष्णा और अक्रूर मध्यान के समय यमुना जी के तट पर पहुंचे यमुना जी के तट पर पहुंचने पर आकृद ने श्री कृष्ण से कहा अब आप दोनों थोड़ी देर यही विश्राम करें तब आप तक में यमुना जल में मध्यान्ह कालीन उपासना से निर्मित हो जाऊं

TRANSLATE IN ENGLISH

God's departure to Mathura, heroic tale of Gopis and Akrur ji's fascination

Shri Parashar ji has said that Maithili Yaduvanshi Akrur ji, thinking like this, approached Lord Shri Krishna and bowed his head at his feet with folded hands and bowed to him by saying 'Maya is cruel'. The Lord touched him with his lotus and lovingly offered his Then Akrur started narrating to them the entire story like the way Kansa had given Vasudev and Devaki the evil mind and the way he misbehaved with his father Agrasen for which he sent him i.e. Akrur ji to Vrindavan. After hearing all these things from the mouth of Akrur ji, Lord Shri Krishna said, 'Dan leaves, I know all these things, now you do not do anything yourself, I will definitely kill Kansa, mother and Balram will go with you to Mathura tomorrow with us. You will take many gifts to the old man also, tell him happily this night, within three nights I will definitely kill Kansa and his members. Shri Parashar ji said, Akrur ji, Shri Krishna ji Balram ji along with complete enjoyment songs, listen to Kansa's order, Nand Gop. Next morning, as soon as the morning dawned, seeing Balram and Shri Krishna ji ready to go to Mathura with Krur, all the Gopias said with tears in their eyes, why would Shri Krishna go from Mathura Puri and then return to Gokul because there he was listening to the women of the city with his ears. Today we will drink only the sweet, short form of honey; today the cruel distant soul creator has attacked us Gop Gopis by defeating the ghost Lord Shri Hari with all the thunder. Look, Shri Krishna is going to Mathura riding on a chariot, under the influence of cruel and cruel form. This desperate cruel person does not even know the feeling of the mother of the willing people, who is taking our Shri Krishna away from here in this way. Look, this extremely devoted Shri Krishna is riding at night with Balram. Hey, stop them quickly on this. He again targeted any Gopi who showed that he was capable of doing this in front of his gurus and said, "Hey, what are you saying? We can't do this in front of our Guru Jaan. Look, what will you do to the virtue of us by becoming a ghost speaking from brave fire?" This Nand group, etc. Guptgandh are also preparing to go with them, none of them is trying to stop Shri Krishna. Look, due to the laxity in Shri Hari's love for us, our hands and ears have also become loose. Look at the shops like this, but no one will get any pity, but look at this cruel hearted walnut, the chariot is moving very fast. Look, the light of Shri Krishna's night is visible, but now Shri Krishna has gone so far that it is washed. Balram, Shri Krishna and Akrur reached the banks of Yamuna during the afternoon while walking with horses. On reaching the banks of Yamuna, Akrur said to Shri Krishna that now both of you rest here for some time. Then may I become like you through midday worship in Yamuna water.

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