श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंध अध्याय 15

कंस का श्री कृष्ण को बुलाने के लिए अक्रूर को भेजना



श्री पाराशर जी बोले भीष्म रूप धारी अरिष्ट असुर धेनु का और प्रबल आदि का वध श्री कृष्ण जी का गोवर्धन पर्वत धारण करना कालिया नाम का दामन दो विशाल वृक्षों को उखाड़ना पूतना  का वध तथा सर्किट का उलट देना आदि आने को लियाओ हो जाने के पश्चात महाराज जी ने एक दिन कंस को यशोदा और देवकी के गर्भ परिवर्तन से लेकर जैसा हुआ था वह सब वृतांत क्रमशः सुना दिया देवर्षि नारद जी के मुख से इन सब बातों को सुनकर डर बुद्धि कंस ने वासुदेव जी की प्रति बहुत ही ज्यादा क्रोध प्रकट किया दूर बुद्धि कंस ने समस्त यादों की सभा में वासुदेव जी को क्रोध में काफी बुरा भल कहां और समस्त यादों की भी निंदा की और यह सोचने लग यह दोनों बालक बलराम और कृष्णा जब तक पूर्ण रूप से बोल नहीं प्राप्त कर लेते तभी तक मुझे इनका वध करना देना चाहिए क्योंकि युवा होते ही यह दोनों आ जाए हो जाएंगे मेरे या महावीर शैली चारों ओर आई बलशाली मोशिष्ट जैसे महान माल है मैं उन दोनों बलराम श्री कृष्ण का इसके साथ मल युद्ध कर कर उसे मरवा दूंगा उन्होंने महान धनुष यज्ञ के बहाने ब्रश से बुलाकर ऐसे ऐसे उपाय करूंगा जिससे वह दोनों नष्ट हो जाएंगे उन दोनों का यह बुलाने के लिए मैं सब के पुत्र यादव श्रेष्ठ शूरवीर अक्रूर को गोकुल भेजूंगा साथ ही वृंदावन में विचारने वाले घर असुर किसी को भी आजा दूंगा जिससे वह महाबली दतिया उसे वहीं नष्ट कर देगा यदि किसी तरह वासुदेव के पुत्र बचकर यहां मेरे पास आ भी गए तो उन्हें मेरा गूगल स्पीड हाथी मार डालेगी मन ही मन यह सोचकर उसे दूर बुद्धि कंस ने बलराम और कृष्ण क का वध करने के लिए अक्रूर से कहा दूर बुद्धि कंस बोला है दान पेट मेरी प्रशंसा के लिए आप मेरी एक बात मान लीजिए आप नंद के गोकुल जाकर वहां पर वासुदेव के विष्णु आंसुव उत्पन्न दोनों पुत्र जो मेरे विनाश के लिए उत्पन्न हुए हैं हमारे यहां चतुर्दशी को धनुष यज्ञ होने वाला है अतः आप जाकर उन्हें मल युद्ध के लिए ले आए मेरे चरणों और मुस्ताक नाम के माल युग में युद्ध में निपुण हो उसे धनुर यज्ञ के दिन उन दोनों साथ मेरे इन पहलवानों का द्वंद युद्ध यहां भी की समस्त प्रजा अच्छी अथवा महावत से प्रेरित हुआ कोलवा वह पेड़ नाम का गजराज हाथी उन दोनों वासुदेव पुत्रों को नष्ट कर देगा इस तरह उनका बात करने के पक्ष में दुरमुद्री वासुदेव नंदगोश और अपनी मंद माटी पिता अग्रसेन को भी मार दूंगा उनके बाद मेरे वक्त की कामना वाले इन सारे दुष्ट रूपों के सहारे गोवर्धन हुआ धन को भी मैं ही लूंगा ही दान पेट आपक अलावा यह समस्त यादव गण मुझे द्वेष करते हैं मैं इन सभी को नष्ट करने का प्रयास करूंगा फिर मैं आपके साथ मिलकर इस यादवहीन राजाओं को सुख पूर्वक भिगूंगा है वीर्य मेरी प्रशंसा के लिए आप सीख रही गोकुल जाएंगे और वहां पहुंचकर ग्रुप गानों से इस तरह काहे जिससे वह भैंस के गीत भी और दादी आदि उपसंहारों सहित अति शीघ्र ही यहां पर चले जाएंगे फ्रांस की बात सुनकर आकृति जी मैं कल श्री कृष्ण को देखूंगा मन ही मान्य सोच कर बहुत ही प्रसन्न हुए अक्रूर जी राजा कंस से जो आज्ञा का रात पर सवार होकर मथुरा पुरी से बाहर निकल आएंगे

TRANSLATE IN ENGLISH 

Kansa sending Akrura to call Shri Krishna

Shri Parashar ji said, the killing of the evil demon Dhenu in the form of Bhishma and Prabal etc., Shri Krishna ji wearing the Govardhan mountain, the hem of the name Kaliya, uprooting two huge trees, killing Putna and overturning the circuit etc. After getting Liao, Maharaj Maharaj said. One day, Kansa narrated to Kansa the entire story of what had happened starting from the pregnancy change of Yashoda and Devaki. Hearing all these things from the mouth of Devarshi Narad ji, Kansa with fearful mind expressed a lot of anger towards Vasudev ji and with distant mind. In the meeting of all the memories, Kansa spoke very badly to Vasudev ji in anger and also condemned all the memories and started thinking that till the time these two children Balram and Krishna attain full speech, let me kill them. It is necessary because as soon as they become young, both of them will come and become mine or Mahavira's style. They have great wealth like the powerful Mosishtha, I will kill both of them by fighting with Balram and Shri Krishna. In the name of great bow yagya, he called me with a brush like this. I will take such measures by which both of them will be destroyed. To call them both, I will send the son of all Yadavs, the best warrior Akrura, to Gokul and also I will send any Asura to the house of contemplation in Vrindavan, so that the mighty Datia will destroy him there itself. Even if Vasudev's sons somehow escape and come here to me, my Google speed elephant will kill them. Thinking this in his mind, the evil mind Kansa told Akrura to kill Balram and Krishna. The evil mind Kansa has said, 'Daan my stomach' For the sake of praise, please accept one thing from me, you go to Nand's Gokul, there the two sons of Vasudev born out of Vishnu's tears, who were born for my destruction, a Dhanush Yagya is going to be held here on Chaturdashi, so you go and bring them for the Mal War. At my feet and in the age of Maal named Mustaq, he should be adept in war, on the day of Dhanur Yagya, the duel between these two wrestlers of mine and here also all the people were inspired by Achhi or Mahavat, that tree named Gajraj elephant of Kolwa, to those two sons of Vasudev. I will destroy them in favor of talking like this, I will also kill Durmudri Vasudev Nandgosh and my dim-witted father Agrasen. After them, I will also take away the wealth that was acquired by Govardhan with the help of all these evil forms who wish for my time, apart from you. All these Yadavs hate me, I will try to destroy all of them, then together with you, I will drench these Yadavless kings happily. To praise me, you will go to Gokul and after reaching there, sing in group songs in such a way that He will go here very soon along with buffalo songs and grandmother etc. After listening to France, Aakriti ji, I will see Shri Krishna tomorrow, thinking in my mind that Akrur ji was very happy with King Kansa, who rode at night on the orders of Mathura will come out of Puri

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