वृषभासुर वध
श्री पाराशर जी बोले एक दिन श्री कृष्ण जी जब शाम कल के समय रासलीला में सत्य थे उसी समय ब्रिज भरू रूप धारण करके असिस्ट नाम का एक मानव बोधन असुर सबको प्रभावित करता हुआ ब्रज में आया इस एसिस्ट नामक असुर की क्रांति सजल जलधार की तरह कृष्णा वन थी उसी के सिंह बहुत ही तृष्णा थी उसके नेत्र सूर्य की तरह तपस्वी थी और अपने कारों के प्रहार से मानव वह पृथ्वी को पहाड़ डालता था वह दांत पिस्ता हुआ बार-बार अपनी जी हां नाभि से अपने हॉट को चाट रहा था उसे क्रोध में अपनी मन च उठा रखी थी तथा उसके स्कंध बंधन कठोर थे उसके कुमुद को मां और शरीर का प्राण बहुत ही ऊंचा था तथा कृष्णा भाग पीछे का हिस्सा मूत्र एवं गोबर से लिपिड हुआ था वह वह सारे ग्रुपों को बार-बार भयभीत कर रहे थे उसके ग्रुप गार्डन अत्यंत लंबी और मुख वृक्ष के खोखले की तरह अति गंभीर था वह ब्रीफ रूप धारी एसिस्ट असुर गांव के गवन को गिरता हुआ और तपस्या को मारता हुआ सदैव वन में घूमता रहता था उसे आती महा भयंकर नेत्रों वाले असुर को देखकर गोप और गोपियों भयभीत होकर जोर-जोर से श्री कृष्णा श्री कृष्णा पुकारने लगे उसी की आवाज सुनकर श्री कृष्ण ने घर सिहानन किया और ताली बजाते हुए सुनते ही वह श्री कृष्ण जी की घर घूम वह भीष्म धारी अशिष्ट असुर सिंह को आगे करके तथा श्री कृष्ण जी की उचित में दृष्टि लगाकर तेजी से उसकी और दौड़ा लेकिन महाबली श्री कृष्ण जी उसे दुष्ट आत्मा भीष्म सूर्य को अपनी ओर आता हुआ देखकर मुस्कुराते हुए अपने स्थान पर ही खड़े रहे शमीप आने पर श्री कृष्ण ने उसे दूर आत्मा भीष्म सूर्य को इस तरह पकड़ा जैसे ग्रह किसी शुद्ध जीव को पकड़ता है उसके सिंह पकड़ कर श्री कृष्ण जी ने उसे दैत्य की कोख में घुटने से बहुत तेजी से प्रहार किया फिर सिंह पड़े हुए उसे भीष्म सूर्य देवता का दर्पण घमंड पर प्रभु श्री कृष्ण जी ने अशिष्ट असुर की गरीब गार्डन को खींच वेस्टन की तरह मोड़ दिया फिर उसका एक सिंह उखाड़ कर उसी स्थान पर भर से आघात किया तो वह अशिष्ट असुर मुख से रक्त वामन खून की उल्टी करता हुआ मर गया जब के करने के पश्चात जिस तरह देवताओं ने देवराज इंद्र की स्तुति की थी उसी तरह दुष्ट आत्मा अशिष्ट और के मरने पर समस्त गोविंद श्री कृष्ण जी की स्तुति करने लगे
TRANSLATE IN ENGLISH
Vrishabhasura slaughter
Shri Parashar ji said, one day when Shri Krishna ji was present in Raasleela in the evening, at the same time, a human Bodhan demon named Assist came to Braj in the form of Brij Bharu, influencing everyone. The revolution of this demon named Assist, Krishna was like a stream of water. There was a forest, his lions had a lot of thirst, his eyes were ascetic like the sun and with the blows of his cars he used to turn the earth into mountains, he gnashed his teeth again and again, yes, he was licking his hot from the navel in anger. Her mood was raised and her shoulder straps were hard, her Kumud's mother and the life of her body was very high and Krishna's rear part was coated with urine and dung, she was terrorizing all the groups again and again. The group garden was very long and very serious like the hollow of a tree. That brief form of assist demon always roamed in the forest, falling down on the Gawan of the village and killing the ascetics. The Gopas and Gopis were frightened after seeing the demon with terrible eyes. Hearing his voice, Shri Krishna started calling Shri Krishna loudly and as soon as he heard the sound of clapping, he went around Shri Krishna's house, he put the rude demon lion wearing Bhishma in front and went to the right place of Shri Krishna ji. Seeing the evil spirit Bhishma Surya, he quickly ran towards him, but the mighty Shri Krishna ji stood at his place smiling after seeing the evil spirit Bhishma Surya coming towards him. When he came closer, Shri Krishna caught the distant spirit Bhishma Surya in such a way that the planet caught hold of the pure Bhishma Surya. Catches the creature by holding its lion, Shri Krishna ji hits it very fast with his knee in the womb of the demon, then while lying on the lion, Bhishma is the mirror of the Sun God. On pride, Lord Shri Krishna ji pulls the poor garden of the rude demon to Weston. Then he uprooted one of his lions and hit it hard at the same place, and the impure demon died vomiting blood from his mouth. Just as the gods had praised Lord Indra after doing so, the evil spirit had died. On the death of Rude and all Govind started praising Shri Krishna ji.
0 टिप्पणियाँ