श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 4

वसुदेव देवकी का कारागार से मोक्ष



श्री पाराशर जी बोले फिर निराशा कंस ने प्रबल और किसी आदि समस्त असुरों को अपने पास महल में बुलवाया और कहा कंस बोला है प्रबल एक केसिंग के धेनु का यह भूत ने तथा है वरिष्ठ आदि समस्त असुर गानों ध्यान पूर्वक मेरी बात सुनो मैंने सुना है कि दूर आत्म देव गणों ने मुझे करने के लिए कोई यात्रा किया है लेकिन मैं वीर पुरुष अपने वीर रस कर सकता आए हुए इनको कुछ भी नहीं मानता अल्प विरुद्ध इंद्र अकेले घूमने वाले महादेव तथा चित्र कर देता हूं को मारने वाले विष्णु से उनका कार्य सिद्ध हो सकता है मेरे बाहुबल को दलित मुदित वीर्य अग्नि का अथवा अन्य सारे देवों से भी मेरा क्या अनिष्ट हो सकता है क्या आप लोगों ने देखा नहीं था कि देवराज इंद्र भूमि युद्ध भूमि में मेरे साथ युद्ध करते हुए पीठ दिखाकर भाग गए था तब देवराज इंद्र ने मेरे राज्य में वर्षा का होना बंद कर दिया था क्या उसे समय मेरे बानो से विदर्भ और मेथियों ने जल नहीं पसार क्या हमारे गुरु असुर जरासंध के अलावा पृथ्वी के समस्त राजा मेरे बाहुबल से भयभीत होकर मेरे सामने अपना सर नहीं झुकते हैं देते वीर गान उन्हें अपने मेरे वक्त का याद न करते हुए देखकर मुझे बहुत ही हंसी आती है यह देती क्यों इंद्र अंदुष्ट एवं दुष्ट आत्माओं के पाप कर के लिए मुझे और भी अधिक से अधिक प्रयत्न करना चाहिए इस पृथ्वी पर जो कोई भी या स्वरूप एवं विकास करता हो उनका देवताओं के उपकार के लिए अवश्य ही वध कर देना चाहिए देवकी के गर्व से उत्पन्न उसे बालिका ने मुझसे कहा है कि मेरा पहले जन्म का कल उत्पन्न हो चुका है और पृथ्वी पर उत्पन्न हुए जी बालक में विशेष बल का अटरिया हो उसे तत्काल ही मार दो असुर गानों को यह आज्ञा दे कंस ने कारगर बंदीगिरी में जाकर तुरंत ही वासुदेव और देवकी को मुक्त कर दिया कंस बोला मैंने व्यर्थ ही आपकी संतानों का वध किया मेरा नाश करने के लिए कोई दूसरा बालक उत्पन्न हो गया है लेकिन आप व्यर्थ परेशान ना हो क्योंकि हनी तो हो के रहती है आप लोगों के परवल दोष से ही उसे मासूम को अपने जान से हाथ धोना पड़ा है

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Vasudev Devaki's release from prison

Shri Parashar ji said, then in despair, Kansa called Prabal and all the other demons to him in the palace and said, Kansa has said that Prabal is the ghost of Dhenu of one casing and is the senior, all the other demons listen to me carefully, I have heard that The distant soul gods have made a journey to kill me, but I, a brave man who can express his heroic feelings, do not accept them as anything. May their work be accomplished by Vishnu who kills Mahadev and Indra who wanders alone against me. What harm can happen to me due to the semen of Agni or all the other gods? Didn't you people see that Devraj Indra turned his back and ran away while fighting with me in the battlefield? Rain had stopped in my kingdom, did not Vidarbha and Methi spread water from my branches? Do not all the kings of the earth, except our guru Asur Jarasandha, fear my might, bow their heads before me and give them heroic songs. I laugh a lot when I see you not remembering my time, why does Indra give this, I should try even more to save the sins of evil and evil souls, whoever or whatever on this earth creates and develops them. For the benefit of the Gods, the child born out of Devaki's pride must be killed. The girl has told me that my first born has already been born and the child born on earth has the atria of special strength. Kill him immediately. Gave this order to the Asura Ganas. Kansa went to Kargar Bandigiri and immediately freed Vasudev and Devaki. Kansa said, I killed your children in vain. Another child has been born to destroy me, but you should not be worried in vain because Honey, she is still alive, it is because of your Parwal fault that this innocent child has to lose his life.

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