श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 3

भगवान का अभी भाव तथा योग माया द्वारा कंस की योजना



श्री पाराशर जी बोले है मैथिली डी उतार से इस तरह स्तुति की जाती हुई देवकी जी ने जगत के कल्याण के लिए प्रभु पूरी कक्षा को गर्भ में धारण किया इसके पश्चात संसार रूप कमल हो विकसित करने के लिए देवकी रूप पूर्व संध्या में महात्मा छूट रूप से सूर्य देव का अभी भाव हुआ चंद्रमा चांदनी की तरह प्रभु का जन्म दीप समस्त जग को आहत करने वाला हुआ और उसे दिन समस्त दिशाएं अत्यंत निर्मल हो गए श्री जानदार के जन्म लेने पर संत जनों को परम संतोष हुआ प्रवचन वायु शांत हो गए तथा नदियां इस स्रावित हो गए समुद्र अपनी घोष से मनोहर बजे जाने लगे दान करने लगे और अप्सराय नृत्य करने लगी श्री जनार्दन के प्रकट होने पर आकाश गामी देवगढ़ पृथ्वी पर पुष्प वर्षा करने लगे और शांत हुई या रागनी या फिर से प्रज्वलित हो गई आधार रात्रि के समय सर्व धारा प्रभु जनार्दन की अभिवृत्ति होने पर पुष्प वर्षा करते हुए में गरमंद मंद गर्जना करने लगे उन्हें खिले हुए कमल दल की सी अभाव वाले चतुभुजाएं और वाक्य स्थल में श्रीनिवासाचार्य सहित उत्पन्न हुए देखा वासुदेव जी स्तुति करने लगे हे थिस महामति वासुदेव जी ने प्रसाद युक्त वचनों से प्रभु की स्तुति कर कौन से भयभीत रहने के कारण इस तरह निवेदन किया वासुदेव जी बोले हे देव देव वर्षित यद्यपि आप साक्षात परमेश्वर प्रकट हुए हैं तथा अपी है देव मुझ पर कृपा करके अब आपने इस सॉन्ग चक्र गदाधारी दिव्य रूप का उपसंहार किया यह दिव्या पता चलते ही कि आप मेरे इस ग्रह में आवर्त हुए हैं कंस इसी क्षण मेरे स्वरों और नाच कर देगा देवकी जी बोले जो अत्यंत रूप और खेल विश्व स्वरूप है जो गर्भ में स्थित होकर अपने शरीर से समस्त लोगों को धारण करते हैं तथा जिन्होंने अपने माया से ही बाल रूप धारण किया है वह देवाधि देव हम पर प्रसन्न हो यह सर्वदा आप अपने विश्व चतुर्भुज स्वरूप का उपसंहार कीजिए हे प्रभु इस रक्षा के भवन से उत्पन्न खान से आपकी इस अवतार का वृतांत गोपनीय रहे श्री प्रभु बोले हे देवी पूर्व जन्म में तूने जो पुत्र की कामना से मुझे पुत्र रूप में उत्पन्न होने के लिए विनती की थी आज मैं तेरे घरों से जन्म लेकर तेरी वह मनोकामना पूर्ण कर दी श्री पाराशर जी बोल है मनी श्रेष्ठ यह कहकर प्रभु जी चुप हो गए तथा वासुदेव जी भी उन्हें इस रात्रि में ही लेकर बाहर निकले वासुदेव जी के बाहर जाते समय कारागार बेदिका रक्षक मथुरा के द्वारपाल योग निद्रा के प्रभाव से अच्छे बेहोश हो गए उसे रात्रि के समय वर्षा करते हुए महिलाओं की जल राशि को अपने फलों से रोक कर श्री शेष जी आंक दुबी के पीछे-पीछे चल दिए प्रभु विष्णु जी को ले जाते हुए वासुदेव की आने के तारा के सैकड़ो भवरा से भरी हुई यमुना जी के घुटनों तक रखकर ही पार हो गए उन्होंने यमुना जी के तट पर कंस को कर देने के लिए आए हुए नंद और वृद्ध गोपन को भी देखा इसी समय योग निद्रा के प्रभाव से समस्त मनुष्यों के मोहित हो जाने पर मोहित हुई यशोदा ने भी इस कन्या को जन्म दिया तब वासुदेव जी उसे बालक को सलकर और कन्या को लेकर यशोदा के श्याम ग्रह में चले आए तबीयत सुधारने जैन पर देखा कि उसमें एक नीलकमल दल के समान श्याम वन पुत्र उत्पन्न हुआ तो वह बहुत ही प्रसन्न हुए इधर वासुदेव जी ने कन्या को ले जाकर देवकी के स्वयं गृह में सुला दिया और पूर्वक स्थित हो गए तदांतर बालक के रोने की आवाज सुनकर कारागार बंदी ग्रह के रक्षक जाग उठे और देवकी के संतान उत्पन्न होने की बात जाकर कंस को बता दी यह सुनते ही कंस ने तुरंत देवकी के पास जाकर उसके हाथ से कन्या को छीन लिया और उसका न्याय को शीला पर पटक दिया केस के पाठक ते ही वह आकाश में स्थित हो गई और उन्होंने सशस्त्र युक्त एक महान अष्टभुजा रूप धारण कर मुझे स्वर में काम से कोड पूर्वक कार्य कांच तू मुझे क्या मारेगा तूने करने वाला तो पहले ही जन्म ले चुका है देवताओं के सर्वत्र हुए प्रभु श्री हरि विष्णु जी तुम्हारे कल में भी रूप पूर्व जन्म में भी कल थे आप तो अपने बचने का कुछ उपाय सच यह कहकर हुआ दिव्या मलधारी और चंद्र अनाड़ी से विभूति तथा सीधी गण द्वारा स्तुति की जाती हुई देखी भोजराज कंस के देते देखते देखत आकाश मार्ग से चले गए

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God's current feeling and Kansa's plan through Yoga Maya

Shri Parashar ji has said that Devaki ji is being praised in this way from Maithili D-Uttar, for the welfare of the world, the Lord conceived the entire class, after this the Mahatma in the form of Devaki, in the eve of development, in order to develop the world in the form of a lotus. The Sun God was born just like the moon, the light of the Lord was born which hurt the entire world and on that day, all the directions became very pure. On the birth of Shri Jandar, the saints felt extremely satisfied, the air became calm and the rivers became calm due to this. The oceans became secret, their sounds started ringing, they started donating and the nymphs started dancing. On the appearance of Shri Janardan, the sky-going Devgarhs started showering flowers on the earth and either Ragni or Aadhaar became silent and ignited again during the night. When stream Lord Janardan had the attitude of showering flowers, he started roaring softly, he was born with quadrupeds like a blossoming lotus and Srinivasacharya was born in the place of sentence. Vasudev ji started praising this Mahamati Vasudev ji with words containing Prasad. After praising the Lord, what was the reason for being afraid and requested in this way, Vasudev ji said, O God, God, although you have appeared as God in person and you are God, please bless me, now you have concluded this Song Chakra mace-wielding divine form, this divine As soon as I come to know that you have come to this planet of mine, Kansa will make me dance in this very moment, said Devaki ji, who is the supreme form and play of the world form, who is situated in the womb and holds all the people with his body and who has created all the people through his Maya. O Lord, you have taken the form of a child since then, may that Devadhi Dev be pleased with us, always end your world-four-armed form. O Lord, the story of your incarnation from the mine that arose from this house of protection, should remain a secret. Shri Prabhu said, O Goddess, in your previous birth, you With the wish of having a son, you had requested me to be born as a son, today I have fulfilled that wish of yours by taking birth in your house, Shri Parashar ji says, Mani Shrestha, saying this, Lord ji became silent and Vasudev ji also told him this night. While going out with Vasudev ji, the gatekeeper of prison Bedika, the guard of Mathura, fell unconscious due to the effect of yoga nidra, he stopped the women's water with his fruits while raining at night and went behind Shri Shesh ji Ank Dubi. -They walked back carrying Lord Vishnu ji and crossed Yamuna ji which was filled with hundreds of bhavaras of Tara of arrival of Vasudev. They crossed the Yamuna ji till their knees. Nand and old Gopan who had come to give tribute to Kansa on the banks of Yamuna ji At the same time, Yashoda, who was fascinated by all the human beings due to the influence of Yoga Nidra, also gave birth to this girl, then Vasudev ji took the child and went to the dark planet of Yashoda with the girl. To improve her health, she saw Jain. He was very happy when he saw that a son, Shyamvan, like a lotus flower, was born to him. Meanwhile, Vasudev ji took the girl and put her to sleep in Devaki's own house, and after hearing the cry of the child, he became the protector of the imprisoned planet. He woke up and informed Kansa about the birth of a child from Devaki. On hearing this, Kansa immediately went to Devaki and snatched the girl from her hand and threw his judgment on Sheela. She went and took the form of a great eight-armed man armed to the teeth and said to me, "Why will you kill me? The one who will kill me has already taken birth. Shri Hari Vishnu Ji, the omnipresent Lord of Gods, was born in your previous form in yesterday also. Yesterday too, you were there, there are some ways to save yourself, after saying the truth, Divya Maldhari and Chandra were seen being praised by the clumsy Vibhuti and Sidhi Gana. Seeing Bhojraj Kansa giving them, he left through the sky.

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