श्री पाराशर जी बोले हे मैथिली पृथ्वी की कही हुई इस कथा को जो भी मनुष्य सुनेगा उसकी ममता इसी तरह छेद हो जाएगी जैसे सूर्य की तापसी से बर्फ पिघल जाता है इस तरह मैंने तुम्हें मनु के वंश स्कूल का वर्णन कर दिया जिस वंश के राजा स्थिति कारक प्रभु श्री हरि विष्णु के अंश के अंश थे जो मनुष्य इस मनु वंश स्कूल का क्रमशः श्रवण करता है उन शुद्ध आत्मा के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं जो मनुष्य जितेंद्र होकर सूर्य और चंद्रमा के इन प्रशंसनिक वंशों का समस्त वर्णन सुनता सुनता सुनता है वह असंतुलित धन-धान्य और संपत्ति प्राप्त करता है आती बोल अंतर ध्यान सजाए करने वाले तथा परम निष्ठावान स्राव ऊर्जा मान्यता सागर अविक्षित रघुवंशियों रजागन तथा नऊ और यदि के चित्रों को सुनकर जिन्होंने के कल ने आज कथा मात्र ही शेष रहता है प्रज्ञवन मनुष्य पुत्र स्त्री ग्रह क्षेत्र और धन आदि से ममता ना करेगा दादा अंतर जिस मनुष्य श्रेष्ठ ने उर्वर बहू होकर अनेक वर्ष पर्यंत कठोर तप किया था तथा विधि प्रकार के यज्ञों का अनुष्ठान किया था आज यह महा बलवान और वीर्यशाली राजाओं की काल में केवल कथा मात्र ही छोड़ दी है जो प्रीत अपने शत्रु समूह को जीत कर स्वच्छ गति से सारे लोगों में विचरण करता था आज वही कल वायु की प्रेरणा से अग्नि में फेंका हुआ से की रूढ़ि के देर के समस्त भरण हो गया है जो मृत वीर्य अपने शत्रु मंडल का संघार कर के सारे दीपों को वशीभूत कर उन्होंने भोक्ता था वही आज कथा प्रसंग से वर्णन करते समय उल्टा संकल्प विलाप का हेतु होता है अर्थात उसका वर्णन करते समय या संदेह होता है कि वास्तव में वह हुआ था या नहीं सारे दिशाओं को देय करने वाले रावण अपेक्षित और रामचंद्र आदि के क्षण में गुंडेश्वरी को अधिकार है अन्यथा कल के क्षणिक कठपात के कारण आज उसका ब्रह्मा मंत्र भी क्यों नहीं बस सका जो मानवता सारे भूमंडल का चक्रवर्ती सम्राट था आज केवल उनका पता कथा में ही चलता है ऐसा कौन मंदबुद्धि होगा जो यह सुनकर अपने शरीर में भी ममता रखेगा फिर पृथ्वी आदि में तो ममता करने की बात ही क्या है भागीरथी सागर कुकुस्था रावण रामचंद्र लक्ष्मण और युधिष्ठिर आदि पहले हो जाए है यह बात सदैव सत्य है भी प्रकार से मिथ्या नहीं है किंतु अब हुए कहां है इनका पता तक नहीं चलता यह मैथिली वर्तमान और भविष्य कालीन जिन-जिन महावीर शैली राजाओं का मैं वर्णन किया है वह अथवा अन्य लोग भी पूर्वज राजाओं की तरह कथा मात्रा के हेतु शेष रहेंगे यह जानकर पुत्र पुत्री और से आदि तथा अन्य प्राणी तो लग रहे ज्ञानी मनुष्य को तो अपने शरीर की ममता नहीं करनी चाहिए
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Shri Parashar ji said, O Maithili, whoever listens to this story told by the earth, his love will melt away just as the ice melts due to the penance of the sun. In this way, I have described to you the school of Manu's dynasty in whose dynasty the king was situated. Karaka Prabhu Shri Hari was the part of the part of Vishnu. The person who listens to this Manu Vansh school step by step, all the sins of that pure soul are destroyed. The person who listens to the entire description of these praiseworthy descendants of the Sun and the Moon, being Jitendra, he Receives unbalanced wealth, grain and property, comes, speaks, decorates inner meditation and is extremely loyal, secretion of energy, recognition, ocean, listens to the pictures of undeveloped Raghuvanshis, Rajagan, Nau and Adhi, those who made yesterday, today only a story remains, intelligent human being, son, woman, planet. Dada Antar will not be fond of territory and wealth etc. The great man who, being a fertile daughter-in-law, had performed rigorous penance for many years and had performed rituals of various types of yagyas, today in the era of very strong and virile kings, only a story has been left behind. The love that used to roam among all the people with a clean pace after conquering its enemy group, today has been thrown into the fire by the inspiration of the wind and has filled all the desires of the dead; the same dead semen that has destroyed the enemy group and destroyed all the people. He used to subdue the lamps and enjoy them. Today, while narrating the story from the context, the reverse resolution is a reason for lamentation, i.e. while describing it, there is a doubt whether it actually happened or not. Ravana, who is responsible for all the directions, and Ramchandra etc. Gundeshwari has the right in this moment, otherwise, due to yesterday's momentary mischief, why even her Brahma mantra could not be established today? The humanity, who was the Chakravarti emperor of the entire earth, is today known only in the story. Who would be so retarded that on hearing this, he would feel in his body? Will also have affection for the earth etc. then what is the point of having affection for the earth etc. Bhagirathi Sagar Kukustha Ravana Ramchandra Laxman and Yudhishthir etc. have already existed, this is always true and is not false in any way but now we do not even know where they are. Maithili present and future Mahavir style kings whom I have described or others will also remain for the sake of story volume like the ancient kings. Knowing this, sons, daughters, etc. and other creatures, it seems to the knowledgeable person that his body is should not be affectionate
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