श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंध अध्याय 24 का भाग 4


सनातन प्रभु श्री हरि विष्णु जी के हंस अवतार श्री कृष्ण जी के स्वर्ग लोक पधारने पर भाइयों सहित धर्म पुत्र राजा युधिष्ठिर ने अपना राज त्याग दिया श्री कृष्ण के अंतर ध्यान हो जाने पर विपरीत लक्षणों को देखकर पांडवों ने परीक्षित को राजपथ सौंप दिया जिस समय यह सप्त ऋषिगण पूर्वाषा गंड नक्षत्र पर जाएंगे इस समय राजा नंदन के समय से कलयुग का प्रारंभ प्रभाव बढ़ेगा जिस दिन प्रभु श्री कृष्ण जी परमधाम को गए थे उसी दिन काली युग उपस्थित हो गया था अब मैं तुम्हें कलियुग की वर्ष संख्या सुनाता हूं ध्यान पूर्वक सुनो हे मुनिश्रेष्ठ मानवी वर्ष गणना के अनुसार काली युग 3 लाख 60000 वर्ष रहेगा इसके पश्चात 1200 दिव्य वर्ष प्रियंक कृत युग रहेगा प्रत्येक युग में हजारों ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र महात्मा गांधी हो जाएंगे उसके अधिक संख्या में होने से तथा सामान्य होने के कारण स्कूलों में पुनरुतित हो जाने के भाई से मैं उन सबके नाम नहीं बताएं है पूरी वाशी राजा देवापि तथा इसराइल कल उत्पन्न राजा पुरोहित ए दोनों अत्यंत ही योग बल से संपन्न है और कल आप ग्राम में वास करते हैं सतयुग का आरंभ होने पर यह पुनः मृत्यु लोक में आकर क्षत्रिय कुल के प्रवर्तक होंगे वह आगामी मनु वंश के बीच रूप है सतयुग त्रेता और द्वापर इन तीनों युग में इसी क्रम में मनु पुत्र पृथ्वी का भोग करते हैं फिर कलयुग में उन्हें में से कोई कोई आगामी मनु संतान के बीच रूप में स्थित रहते हैं जिस तरह की आजकल देव वापी और पूर्व है इस तरह मैंने तुम्हें समस्त राजवंशियों का संक्षिप्त वर्णन सुना दिया इस पूर्णता वर्णन तो 100 वर्ष में भी नहीं किया जा सकता है इस है शरीर के मुंह से अंधे हुए ए तथा और भी ऐसे भूपतिगढ़ हो जाएंगे जिन्होंने इस पृथ्वी मंडल को अपना-अपना माना है यह पृथ्वी किस प्रकार अचल भाव से मेरी मेरी पुत्रों की अथवा मेरे वंश स्कूल की होगी इस चिंतन में में व्याकुल हुए इन समस्त राजाओं का अध्ययन हो गया इसी जीत में डूबे रहकर इन समस्त राजाओं के पूर्व पूर्ववर्ती राजा लोग चले गए और इसी में मग्न रहा कारगामी राजा भी मृत्यु के मुख में चले जाएंगे इस तरह अपने को जीतने के लिए राजाओं का अथक उद्योग करते देखकर वसुंधरा शरद कालीन पुष्पों के रूप में मानो हंस रही हो हेडी श्रेष्ठ तुम आप पृथ्वी के द्वारा कही गई तक कथा को ध्यान पूर्वक सुनो पूर्व काल में इन्हें आश्रित मनी में धर्म ध्वनि राजा जनक को सुनाया था पृथ्वी रहती है आहा ज्ञानी होने के बाद भी इन राजाओं को किस प्रकार का मोह हो रहा है जिसके कारण यह बुलबुल के समान स्थाई होते हुए भी अपने स्थिरता में इतना विश्वास रखते हैं पृथ्वी प्रथम यह लोग अपने को जितने हैं फिर अपने मंत्रियों को तथा इसके बाद एक क्रमशः अपने प्रीत उर्वशियों और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं इसी क्रम में हम समुद्र पर यंत्र इस समस्त पृथ्वी को जीत लेंगे ऐसी बुद्धि से मोहित हुए यह लोग अपनी निकटतम मृत्यु को भी नहीं देखे यदि समुद्र से घिरा हुआ यह समस्त भूमंडल अपनी वर्ष में हो जाए तो मनोज की अपेक्षा इसका मूल्य ही क्या है क्योंकि मोक्ष तो मनोज से ही प्राप्त होता है इसके पूर्व छोड़कर चले गए तथा जिसने अपने साथ लेकर इन पिता भी नहीं गए इस मुझको अत्यंत मूर्खता के कारण ने राजा गण जितना चाहते हैं जिनका चरित्र मां ममता में है उन पिता पुत्र और भाइयों में अत्यंत मोह के कारण ही मेरे लिए परस्पर आपस में कल झगड़ होती है जो जो राजा घर यहां आ चुके हैं उन सभी की को बुद्धि ऐसी रही की समस्त पृथ्वी मेरी ही है और मेरे पास चाहत यह सदैव मेरी संतान की ही रहेगी इस तरह मेरे में मुंह करने वाले एक राजा को मुझे छोड़कर मृत्यु के मुख में जाते हुए देखकर भी न जाने कैसे उसका उत्तराधिकारी अपने हृदय में मेरे लिए मुंह को स्थान देता है जो राजा गांडू तो के द्वारा अपने शत्रुओं से इस तरह कहलाए जाते हैं कि यह पृथ्वी मेरी है तुम लोग तुरंत ही इसे छोड़ कर चले जाओ मुझे उन पर बहुत ही हंसी आती है और फिर मुझे उन मुद्दों पर अत्यंत दया भी आती है

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When the swan incarnation of Sanatan Prabhu Shri Hari Vishnu ji Shri Krishna ji reached heaven, his religious son King Yudhishthir along with his brothers abdicated his kingdom. After Shri Krishna meditated internally, seeing the adverse symptoms, the Pandavas handed over the kingdom to Parikshit, at which time this Seven Rishis will go to Purvasha Gand Nakshatra. At this time, the effect of the beginning of Kaliyuga will increase from the time of King Nandan. On the day Lord Shri Krishna went to Paramdham, Kali Yuga had started on that very day. Now I will tell you the year number of Kaliyuga. Listen carefully. According to Munishreshtha human year calculation, Kali Yuga will last for 3 lakh 60000 years, after this there will be 1200 divine years of Priyanka Krit Yuga. In each Yuga, thousands of Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas and Shudras will become Mahatma Gandhi. Due to its large number and being common, it will be repeated in schools. Brother, I am not going to tell you the names of all of them. Puri Vashi, King Devapi and Israel, the king and priest born yesterday, both of them are extremely blessed with the power of yoga and tomorrow you reside in the village. When the Satyayug begins, they will again come to the world of death and become Kshatriyas. He will be the originator of the clan. He is the form among the upcoming Manu dynasty. In Satya Yuga, Treta and Dwapara, in these three yugas, the sons of Manu enjoy the earth in the same order. Then in Kalyuga, some of them remain in the form among the upcoming Manu descendants, just like That nowadays Dev is Vapi and East, in this way I have told you a brief description of all the dynasties, this cannot be described completely even in 100 years, this is A who became blind from the mouth of the body and there are many more such people who will become Bhupatigarhs on this earth. I have considered the Mandal as my own, how will this earth remain forever for me, my sons or my descendants, I became distraught in this thought, I studied all these kings, being engrossed in this victory, the previous kings of all these kings. He is gone and the king who was engrossed in his work will also go to the face of death. Seeing the tireless efforts of the kings to conquer themselves, Vasundhara is laughing as if she is the autumn flower, Hedi Shrestha, you are the one told by the earth. Listen to the story carefully. In earlier times, it was narrated to King Janak in Ashrita Mani in Dharma Dhvani. Oh, the earth exists. Despite being knowledgeable, what kind of attachment are these kings having due to which, despite being permanent like a nightingale, they are not able to maintain their stability. They have so much faith in the Earth that first they conquer themselves, then their ministers and then they want to conquer their beloved Urvasis and their enemies respectively. In this sequence, we will conquer the entire Earth, I am fascinated by such wisdom. These people did not even see their nearest death, if this entire globe surrounded by oceans were to be destroyed in their lifetime, then what would be its value in comparison to Manoj, because salvation is attained only from Manoj, who had left it before that and who had taken it with him. Even this father did not take me with him because of his extreme stupidity, as much as the kings love me, whose character is in motherly love, it is because of the extreme attachment between father, son and brothers that there is a fight among themselves for me, which happens whenever the king comes here. The wisdom of all of them has been such that the entire earth is mine and I will always have this desire for my children. In this way, seeing a king who was devoted to me leaving me and going towards death, I don't know how he felt. The successor gives a place for me in his heart, which is said by King Gandu to his enemies in this way, this earth is mine, you all leave it immediately, I laugh at them a lot and then I There is great compassion for those issues as well.

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