श्री विष्णु पुराण कथा चौथा स्कंध अध्याय 24 का भाग 3



तब दिन दिन धर्म और अर्थ का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा तथा अच्छा नाश होने के कारण जगह छह हो जाएगा उसे समय अर्थ ही कॉलोनी दिया का हेतु होगा पल ही समस्त धर्म का हेतु होगा पारस्परिक रुचि ही दंपति संबंध की हेतु होगी स्त्री तू ही भोग का हेतु होगा अर्थात स्त्री की जाती कल आदि का विचार ना होगा मिथ्या भाषण ही व्यवहार में सफलता प्राप्त करने का हेतु होगा जल ही सुलभता और सुगमता ही पृथ्वी की स्वीकृत का हेतु होगा अर्थात पूर्ण क्षेत्र आदि का कोई विचार ना होगा जिस स्थान की जलवायु उत्तम होगी इस स्थान की भूमि उत्तम मानी जाएगी योग्य प्रवेश ब्राह्मण तत्वों का हेतु होगा भारत में आदि धारण करना ही प्रशंसा का हेतु होगा बाय सचिन ही आश्रमों के हेतु होगा अन्य अन्य ही अन्य ही आजीविका का हेतु होगा दुर्बलता ही बेकरी का हेतु होगा निर्भक्त पूर्वक दृष्टि के साथ बोलना ही पांडविक का हेतु होगा निर्धनता ही साधुवत्त्व हेतु होगा स्नान ही साधना का हेतु होगा दान ही धर्म का हेतु होगा स्वीकार कर लेना ही विवाह का हेतु होगा अर्थात संस्कार आदि की अपेक्षा न कर परस्पर रक इसने बंधन से ही दांपत्य संबंध स्थापित हो जाएगा भली प्रकार वह बंद उत्थान कर रहने वाले ही सुपात्र समझ जाएग दूर देश का जल ही तृतीय कल तत्व का होगा तथा चाय मेष धारण ही गर्व का कारण होगा इस तरह भूमंडल में अनेक देशों के फैल जाने से समस्त वनों में ही शक्तिशाली होगा वहीं राजा बनेगा इस तरह अत्यंत लोपो और राजाओं के कारभार को सहन कर कर सकते के कारण प्रजा पर्वत कांड राजाओं का आश्रय लगी तथा मधु शहर सह मूल फल पत्र और पुष्पा दिखाकर जीवन व्यतीत करेंगे वर्षों के कपड़े होंगे अत्यधिक संस्थान होगी समस्त जान सेट वायु धाम वर्षा आदि के कष्ट सहेंगे कोई भी 23 वर्ष तक जीवित न रह सकेगा इस तरह यह समस्त जन सामुदायिक कालिंग युग में निरंतर छेद होता रहेगा इस तरह बहुत और इस्पात धर्म का अत्यंत हस हो जाने पर काली युग के प्रयाग व्यतीत हो जाने पर संभल गांव वासी ब्राह्मण श्रेष्ठ विष्णु यज्ञ के घर समस्त यज्ञ के रचयिता चराचर गुरु आदि मध्यस्थ शून्य ब्राह्मण आत्म स्वरूप प्रभु वासुदेव अपने अंश में आज टेस्ट युक्त कालिक रूप से जगत में अवतार लेकर असीम शक्ति और महादान से संपन्न हो सकल मूचित डाइट दुराचारी तथा दुष्ट चिंतन का छाए करेगा तथा सारी प्रजा को अपने अपने धर्म में युक्त करेगा इसके पश्चात संपूर्ण काली युग के समाप्त हो जाने पर रात्रि के अंत में आगे होने के समान तात्कालिक लोगों की बुद्धि स्वच्छ इस फटक मणि की तरह निर्मल हो जाएगी अधिक अवस्था होने पर भी उसे समय संतान उत्पन्न हो सकेगी इसकी वह संताने सतयुग के ही धर्म का अनुसरण करने वाली होगी इस विषय में यह कहा जाता है कि जिस समय चंद्रमा सूर्य और बृहस्पति पूर्ण नक्षत्र में स्थित होकर एक ही राशि पर एक स्थान आएंगे इस समय सतयुग आरंभ हो जाएगा है मुनिश्रेष्ठ या मैं तुमसे संपूर्ण वंशों के भूत भविष्य और वर्तमान समस्त राजाओं का वर्णन कर दिया है परीक्षित के जन्म से आनंद के अभिषेक तक 1050 वर्ष समय जाना चाहिए सात ऋषियों में से जो दो पुलेटवा एवं मृत दो नक्षत्र आकाश में पहले दिखाई देते हैं उनके मध्य में रात्रि के समय दो दक्षिण उत्तरायण रेखा पर संदेश में स्थित अश्वनी आदि नक्षत्र हैं उसमें से प्रत्येक नक्षत्र पर सैट ऋषि गण एक एक 100 वर्ष तक रहते हैं परीक्षित के समय में हुए सात ऋषि गढ़ मार्ग नक्षत्र पर थे उसी समय 1200 वर्ष प्रणाम प्रमाण वाला कलयुग आरंभ हुआ था उसी समय प्रभु श्री हरि विष्णु जी के अंश अवतार प्रभु वासुदेव निज धाम को पधारे थे उसी समय पृथ्वी पर कलयुग का आगमन हुआ जब तक प्रभु अपने चरण का माल से पृथ्वी का स्पर्श करते रहे तब तक पृथ्वी से स्वर्ग करने की कलियुग की समर्थ नहीं हुई

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Then, day by day, due to the destruction of a little bit of Dharma and Artha and good, the place will be reduced to six, time and meaning will be the purpose of the colony, the moment will be the purpose of all religion, mutual interest will be the purpose of couple relationship, the woman will be the purpose of enjoyment, you only. There will be no thought of woman's future etc. False speech will be the reason for achieving success in behavior Water will be the only reason for acceptance and easiness of the earth i.e. there will be no thought of complete area etc. the place will have the best climate. The land of this place will be considered good. Worthy entry will be the purpose of Brahmin elements in India. Wearing etc. will be the purpose of praise. Only Sachin will be the purpose of ashrams and many others will be the purpose of livelihood. Weakness will be the purpose of bakery only for selfless vision. Speaking together would be the purpose of Pandavik, poverty would be for saintliness, bathing would be the purpose of meditation, charity would be the purpose of religion, acceptance would be the purpose of marriage i.e. marital relationship would be established only by mutual love rather than expectations of rituals etc. Well, only those who live in closed upliftment will be considered worthy, only the water of a distant country will be of the third tomorrow element and wearing tea and Aries will be a reason for pride. In this way, due to the spread of many countries in the globe, one will be powerful in all the forests only there will become the king. In this way, the people will be able to bear the responsibility of the kings and the people will take refuge in the mountains and the mountains and they will spend their life showing the fruits, leaves and flowers along with the city of Madhu, there will be clothes of many years, there will be a lot of institutions, the whole life will be set in the abode of air, rain etc. Will suffer hardships, no one will be able to survive for 23 years, in this way the entire community of people will continue to have holes in the Kali Yuga, in this way, when the religion of steel and steel will be completely destroyed, after the Prayag of Kali Yuga will be over, the Sambhal village resident Brahmin will be the best Vishnu. In the house of Yagya, the Creator of all Yagya, Charachar Guru, etc. Mediator, Zero Brahmin Self, Lord Vasudev, in his part, by incarnating in the world today in a test-filled form and endowed with immense power and great donation, will cast a shadow over all evil and wicked thoughts and all the subjects. After this, after the end of the entire Kali Yuga, the intellect of the immediate people will become as pure as this instant gem, just like moving forward at the end of the night. Even after being in a higher state, she will be able to give birth to a child in time. That child will follow the religion of Satyayuga only. In this regard, it is said that the time the Moon will be situated in the Sun and Jupiter in the full constellation and will come to the same place in the same zodiac sign, at that time Satyayuga will begin. Am I Munishrestha or I am the entire lineage from you. The past, future and present of all the kings have been described. From the birth of Parikshit to the consecration of Anand, a period of 1050 years should pass. Among the seven sages, the two constellations Puletava and the dead two are visible first in the sky, in the middle of them there are two Dakshinas at night. Ashwani etc. constellations are situated in Sandesh on the Uttarayan Rekha. The Rishis set on each Nakshatra live for 100 years. At the time of Parikshit, the seven Rishis were on the Garh Marg Nakshatra. At the same time, Kaliyuga with 1200 years of Pranam Pramana had started at the same time. Lord Vasudev, the part incarnation of Lord Shri Hari Vishnu, had arrived at his abode, at the same time Kaliyuga arrived on the earth. As long as the Lord kept touching the earth with the soles of his feet, Kaliyuga was not able to take the earth to heaven.

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