श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 2

भगवान का गर्भ प्रवेश तथा देवगढ़ द्वारा देवकी की स्तुति



श्री पाराशर जी बोले ही मैथिली देवाधि देव प्रभु श्री हरि विष्णु जी के कहे अनुसार जागृत योग माया ने चाय गरबो को देवकी के उधर में स्थित किया और साथ में को उसमें से निकाल लिया इस तरह साथ में गर्व के रोहिणी के उत्तर में पहुंचे जाने पर प्रभु श्री हरि विष्णु ने तीनों लोगों का उद्धार करने के लिए देवकी के गर्भ में प्रवेश किया प्रभु की आज्ञा अनुसार योग माया भी इस दिन यशोदा के गर्भ में स्थित हुए प्रभु श्री हरि विष्णु जी के अंश के पृथ्वी में पधारने पर आकाश में गृह गार्ड सहित गति से चलने वाले तथा ऋतुकरण भी मंगलमय होकर शोभा पानी लगे उस समय अत्यंत तेज से देवियां देवकी जी को कोई भी नहीं देख सकत था उन्हें देखकर दर्शकों को जीत चकित हो जाते थे तब देवगढ़ अन्य पुरुष और स्त्रियों को दिखाई ना देते हुए अपने शरीर में गर्भ रूप से प्रभु श्री हरि विष्णु जी को धारण करने वाली देवकी जी की अहिरणीयता स्तुति करने लगे देवगन बोल ही सो बहन तू पहले ब्रह्मा प्रतिबिंब धारण मूल प्रकृति हुई थी और फिर जग देता के वेद गर्व वाणी हुई है संताने तू ही सदृश पदार्थों को उत्पन्न करने वाले और तू ही सृष्टि रूप है तू ही सबकी 20 स्वरूप यज्ञ में देव वेदमाती हुई तू ही फलदाई यज्ञ क्रिया और अग्नि में हारुनी है तथा तू ही देव माता देती और दैत्य है तू ही दिन करी प्रभाव और ज्ञान गरबा गुरु श्रॉफ है तथा तू ही न्याय में परम नीति और विनय संपन्न लज्जा है तू ही काम में इच्छा संतोष मैं दृष्टि बोधगव प्रज्ञा और प्रिया धरणीकृत है गृह ने छात्र और तारागढ़ को धारण करने वाला तथा वृद्धि आदि के द्वारा इस अभिलेख विषय का कारण स्वरूप आकाश तू ही है यह जग अत्री के देवी यह समस्त तथा और भी सहस्त्र और आसन की विभूति इस समय तेरे उधर में स्थित है यह सुबह समुद्र सागर पर्वत पहाड़ नदी सरिता दिव्या वहां जंगल और नगरों से सुशोभित तथा ग्राम घटक और घातक आदि से संपन्न संपूर्ण पृथ्वी समस्त अग्नि और जल तथा संपूर्ण वायु ग्रह नक्षत्र एवं तारागानों से चित्त तथा सैकड़ो विमान से पूर्ण सबको आकाश देने वाला आकाश फूलों भू लोक स्वर्ग लोक तथा माय जान तब और ब्रह्म लोक पर्वत समस्त ब्रह्मांड तथा उसमें आवर्ती देवासुर गंधर्व चरण नाग यश रश्मि प्रीति गेहूं मनुष्य पशु और अन्य जीव है यह अश्वनी हुए सभी अपने अंतर्गत हो जाने के कारण जो श्री अत्यंत सर्वगामी और शाहरुख मां तथा इसके रूप में स्वभाव तथा बाल्य महत्व आदि समस्त परिणाम परिच्छेद विचार के विषय नहीं हो सकते हुए श्री प्रभु श्री हरि विष्णु जी तेरे घर में स्थित है तू ही स्वरूप विद्या सुधा और आकाश से स्थित ज्योतिष संपूर्ण लोगों की रक्षा के लिए तू ही पृथ्वी का अवतार लिया है है देवी तू प्रसन्न हो है सुबह तू समस्त संसार का कल्याण कर जिसने इस समस्त जगत को धारण किया है उसे प्रभु को तू प्रति पूरक अपने गर्भ में धारण कर 

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God's entry into the womb and praise of Devaki by Devgarh

As soon as Shri Parashar ji said, as per the words of Maithili Devadhi Dev Prabhu Shri Hari Vishnu ji, awakened Yoga Maya placed Chai Garbo on the other side of Devaki and took out the as well from it. In this way, when Garv reached the north of Rohini, Lord Shri Hari Vishnu entered the womb of Devaki to save the three people. As per the order of the Lord, Yoga Maya also resided in the womb of Yashoda on this day. When the part of Lord Shri Hari Vishnu ji reached the earth, it was in the sky along with the home guard. At that time, no one could see the goddess Devaki ji who was extremely bright and the spectators were astonished to see her. Then Devgarh became invisible to other men and women. Devgan started praising the indestructibility of Devaki ji who was carrying Lord Shri Hari Vishnu ji in the form of womb. Just say, sister, first you were the original nature bearing the image of Brahma and then giving birth to the world, the Vedas are proud. It has been said that children, you are the one who gives birth to similar things. You are the doer and you are the form of creation, you are the 20 form of all, you are the God Vedmata in the Yagya, you are the fruitful Yagya and the Haruni in the fire, and you are the God-mother and the demon, you are the influence of the day and knowledge, Garba is Guru Shroff and you are You are the one who is supreme in justice, full of modesty and modesty, you are the one who is full of shame, desire and satisfaction in work, you are the one who is the embodiment of vision, the enlightened one, wisdom and love, you are the one who holds the student and Taragarh and through growth etc., you are the sky, the cause of the subject of this inscription, you are this world. Goddess Atri, all this and more, the presence of thousands of seats and seats is present beside you this morning, the sea, the ocean, the mountain, the river, the stream, the goddess there, adorned with forests and cities, the entire earth endowed with village constituents and deadly etc., all the fire and water and The entire air, planets, constellations and constellations, the mind and the sky that gives sky to all, full of hundreds of planes, flowers, earth, heaven, my life, then and Brahma world, mountains, the entire universe and the gods recurring in it, Gandharva feet, snakes, fame, rays, love, wheat, humans, animals and other living beings. Due to all these Ashwani being within oneself, the Shri who is extremely omnipresent and Shahrukh Maa and in its form, nature and childish importance etc. all the results cannot be the subject of thoughts, Shri Prabhu Shri Hari Vishnu ji, you are situated in your house, you are the form. Vidya Sudha and Astrology situated from the sky, you are the one who has incarnated on the earth to protect the entire people. Goddess, you are pleased. In the morning, you do good to the entire world. You give blessings to the Lord who has held this entire world in your womb. hold on

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