श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 1

वसुदेव देवकी का विवाह भर पीड़िता पृथ्वी का देवताओं के सहित क्या समुद्र पर जाना और भगवान का प्रगट होकर उसे धैर्य बांधना कृष्ण अवतार का उपक्रम



मैथिली जी बोले भगवान आपने मुझ राजाओं के संपूर्ण वंशों का वर्णन सुना दिया अब ही ब्रह्मा यदि कल में जो प्रभु श्री हरि विष्णु जी का अंश अवतार हुआ था उसका सविस्तार वर्णन सुनना चाहत है मुनि भगवान पुरुषोत्तम ने अपने अंश वहां से पृथ्वी पर अवतरित होकर जो जो कर्म किए थे आप मुझे या सुनाइए श्री पाराशर जी बोले ही मैथिली अब मैं तुम्हें जगत के परम कल्याणकारी प्रभु श्री हरि विष्णु जी के अंश अवतार का चरित्र वर्णन सुनाता हूं है महामुनि पूर्व काल में देव की महा भाग्यशाली पुत्री देव स्वरूप देवकी के साथ वासुदेव जी का विवाह हुआ था वासुदेव और देवकी के वैवाहिक संबंध होने के अंतरण विदा होते समय भोज अंदर सारथी बनकर उन दोनों का मांगलिक हरत हने लगा इस समय आकाशवाणी हुई है कंस पति के स्थान रथ पर बैठे हुए जी देवकी को तू ले जा रहा है उसकी आठवीं संतान 13 वत करेगा आकाशवाणी सुनते ही महाबली कंस ने रात रोक कर देवकी को करने के लिए बयान से तलवार निकाल उसकी तरफ बढ़ा तो वासुदेव जी कौन से बोले हे मा भाग आप देवकी का वध ना करें मैं देवकी के गर्भ से उत्पन्न समस्त संतान आपको अशोक दूंगा श्री पाराशर जी बोले है धीरज उपाध्याय वासुदेव की बात सुनकर कंस ने तुरंत ही अपनी तलवार बयान में वापस रख ली देवकी के प्राण बख्श दिए इस समय अत्यंत भर से पीड़ित होकर पृथ्वी गए स्वरूप धारण कर सुमेरु पर्वत पर देवताओं के पास गई तथा ब्रह्मा जी सहित सारे देवों को हाथ जोड़कर प्रणाम कर करुण स्वर में अपना सारा वृत्तांत कहा पृथ्वी बोली जिस तरह अग्नि शुक्रवार का और सूर्य गांव किरण समूह का परम गुरु है इस तरह समस्त जगत के गुरु श्री नारायण जी मेरे गुरु हैं वह प्रजापति के पति और पूर्वजों के पूर्वज श्री ब्रह्मा जी हैं तथा वह ही कल काष्ठ निवेश स्वरूप अव्यक्त मूर्ति वहां कल है है देव श्रेष्ठ गाना आप समस्त लोगों का समूह भी उन्हें का आंसर रूप है आदित्य मारुति गांड संध्या गाना रूद्र वासु अग्नि प्रीत गाना और रात्रि आदि प्रजापति गणेश समस्त प्रेम महात्मा विष्णु जी के ही रूप है यश द्वितीय रक्षा पिशाच्छर सर्प दानव गंधर्व और अप्सरा आदि भी विष्णु जी के ही रूप हैं ग्रह नक्षत्र तथा तारागढ़ से विचित्र आकाश रागिनी जल वायु और मैं इंद्रियो के समस्त विषय या संपूर्ण विष्णु माही है तड़पी उन अनेक रूप धारी विष्णु जी के रूप समुद्र की तरंगों के समान दिन-रात एक दूसरे के बाद दिया बाधक होते रहते हैं इस समय कल नेवी आदि डिटेक्ट मृत्यु लोक पर अधिकार जमा कर जनता को पीड़ित कर रहे हैं जी कल ने भी को प्रभु श्री हरि विष्णु जी ने मारा था वह इस समय अग्रेशन के यहां उनके पुत्र कंस के रूप में उत्पन्न हुआ है अरेस्ट धेनुका के प्रबल नरकासुर बाली का पुत्र अत्यधिक भयंकर बाणासुर तथा और जो भी बलशाली दूर आत्मा ब्रह्म राजाओं के घर में उत्पन्न हो गए हैं माय उनकी गिनती नहीं कर सकता है दिव्य मूर्ति धारी देवगढ़ इस समय मेरे ऊपर अति बलशाली और गंभीर राजाओं की अनेक अक्षौनी सी है मैं आप सबको बता देता हूं कि मैं अब उसके अत्यंत भर से पीड़ित होकर अपने को धारण में करने में सर्वदा असमर्थ हूं अतः आप आप लोग मेरे बाहर उतरने का ऐसा उपाय कीजिए जिससे मैं अत्यंत व्याकुल होकर राष्ट्र में ना चली जाऊं पृथ्वी की बात सुनकर उसके बाहर उतरने के विषय में सारे देवों की प्रेरणा से प्रभु ब्रह्मा जी ने कहा

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Vasudev Devaki's suffering throughout her marriage, the earth's going to the sea along with the gods and God's appearance to give her patience, the undertaking of Krishna's incarnation.

Maithili ji said, Lord, you have told me the description of the entire dynasty of kings. Brahma, if you want to hear the detailed description of the part of Lord Shri Hari Vishnu ji who was incarnated yesterday, the sage Lord Purushottam incarnated his part on the earth from there. What deeds did you do? Tell me or Shri Parashar ji said Maithili. Now I will tell you the character description of the part incarnation of Lord Shri Hari Vishnu ji, the supreme benefactor of the world, Mahamuni Vasudev with the very fortunate daughter of Dev in earlier times, Dev Swaroop Devaki. Ji was married, after Vasudev and Devaki were in marital relationship, at the time of departure, Bhoj became the charioteer inside and started chanting auspicious beat for both of them. At this time, the sky voice said, Kansa was sitting on the chariot in place of her husband, Ji, you are taking Devaki to her. The eighth child will recite the 13th verse. On hearing the voice of the sky, the mighty Kansa stopped for the night and took out his sword to kill Devaki. He moved towards her. What did Vasudev ji say? O Maa, don't kill Devaki. I will give all the children born from Devaki's womb to you. Ashoka will give Shri Parashar ji has said Dheeraj Upadhyay On hearing the words of Vasudev, Kansa immediately put his sword back in the bayan, spared the life of Devaki, at this time suffering from extreme pain, he went to earth and took the form of Sumeru mountain and went to the gods and Brahma After saluting all the gods including Ji with folded hands, she told her entire story in a pitiful voice. Prithvi said that just as fire is the supreme guru of Friday and the sun is the supreme guru of the village Kiran group, in the same way Shri Narayan ji, the guru of the entire world, is my guru. He is the husband and ancestors of Prajapati. The ancestor of is Shri Brahma ji and he is the latent idol in the form of wooden investment tomorrow is there tomorrow is Dev Shrestha song, the group of you all people is also the answer form of him Aditya Maruti Gand Sandhya song Rudra Vasu Agni Preet song and night Adi Prajapati Ganesh all love Yash II Raksha, vampire, demon, Gandharva and Apsara etc. are also the forms of Vishnu ji, the planets, constellations and stars, the strange sky, the melody, water, air and I, all the subjects of the senses or the whole of Vishnu, Mahi is the one who is suffering in those many forms. Like the waves of the sea, the forms of Vishnu ji keep on creating obstacles day and night, one after the other. At this time, Navy etc. are detaining people by taking over the mortal world and causing suffering to the people. Yesterday also Prabhu Shri Hari Vishnu ji At this time he has been born in the house of Aggreshan in the form of his son Kansa, the mighty Narakasura of Arrest Dhenuka, the extremely fierce Banasur, the son of Bali and all the other powerful distant souls who have been born in the house of Brahma kings, I cannot count them. Devgarh is the one with the divine idol. At this time, I am under the influence of many powerful and serious kings. I tell you all that now I am suffering from its extreme weight and am forever incapable of holding myself together, hence you people should come out of me. Please find such a solution so that I do not become extremely distressed and go to the nation. After listening to the earth, Lord Brahma ji said with the inspiration of all the gods about coming out of it.

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