श्री विष्णु पुराण कथा पांचवा स्कंद अध्याय 1 का भाग 3


 


श्री ब्रह्मा जी बोले ही सहस्त्रबाहु के अनंत मुख एवं चरण वाले आपको बारंबार प्रणाम है यह जगत की उत्पत्ति स्थिति और विनाश करने वाले हैं प्रेम आपको बारंबार प्रणाम है हे प्रभु आप सुषमा से भी सुषमा गुरु से भी गुरु और अतिवृत्त प्रमाण है तथा प्रधान प्राकृतिक महत्व एवं अहंकार आदि में प्रधान भूत मूल पुरुष से भी परे हैं हे प्रभु आप हम सब पर प्रसन्न हो ही देव इस पृथ्वी के पर्वत रूप मूल बंध इस पर उत्पन्न हुए महान ना असुरों के अज्ञात से स्थिर हो गए हैं आता है परीक्षित वीर्य यह जगत का बाहर उतरने के लिए आपकी शरण में आए हैं है सरनाथ हम और यह इंदिरा सनी कुमार तथा वरुण के रूद्र गण वसुगन सूर्य वायु और रागिनी आदि अन्य सारे देवता यहां उपस्थित हैं इन्होंने अथवा मुझे जो कुछ करना उचित हो उन समस्त बातों के लिए आजा करें हे ईश आपकी आज्ञा का पालन करते हुए हम समस्त 200 से मुक्त हो जाएंगे श्री पाराशर जी बोले ही महामुनि इस तरह स्तुति किए जाने पर प्रभु परमेश्वर ने अपने श्याम कला और श्वेत सफेद दोनों कैसे बाल उखड़े और देवताओं से बोले मेरे यह दोनों कैसे बाल पृथ्वी पर अवतार लेकर पृथ्वी के बाहर रूप कष्ट को दूर करेगा समस्त देवगन अपने-अपने अंशु से पृथ्वी पर अवतार लेकर अपने से पहले उत्पन्न हुए मठ दैत्यों के साथ युद्ध करें तब निसंदेह पृथ्वी तल पर समस्त डिटेक्ट मेरे दृष्टिपात से दलित होकर दक्षिण हो जाएंगे वासुदेव जी की जो देवी की तरह देवकी नाम की पत्नी है उसके आठवी गर्व से मेरा यह कैसे श्याम अवतार लगा और इस प्रकार वह अवतार लेकर यह कल ने भी के अवतार कंस का वध करेगा यह कहकर प्रभु श्री हरि विष्णु जी अंतर ध्यान हो गए प्रभु श्री हरि विष्णु जी के अदृश्य हो जाने पर उन्हें प्रणाम करके समस्त देवगढ़ सुमेरु पर्वत पर चले गए और फिर पृथ्वी पर अवनी हुए इस समय देवर्षि नारद जी के कंस के पास जाकर उससे कहा कि देवकी के आठवें गर्भ से प्रभु धरण जन्म लेंगे देव देवासी नारद जी की बात सुनकर कंस ने तुरंत ही वासुदेव और देवकी को कारग्र मंदिर में बंद कर दिया है देश वासुदेव जी भी अपने कह अनुसार अपने प्रत्येक संतान उत्पन्न होते ही कंस को सोते रहे कहा जाता है कि पहले छह गर्भ हिरण कश्यप के पुत्र थे प्रभु श्री हरि विष्णु जी की प्रेरणा से योग निद्रा उन्हें क्रमशः गर्भ में स्थित करती रही जी अभिधा रुपाणी से सारा संसार मोहित हो रहा है वह योग निद्रा प्रभु श्री हरि विष्णु की माया है उसने प्रभु श्री हरि विष्णु ने कहा श्री प्रभु जी बोले ही निदरे मेरी आज्ञा से तू जाकर पाताल में स्थित चायगरों को एक-एक करके देवकी के उचित में स्थापित कर दी कंस द्वारा उन सब का वध किया जाने पर शेष नमक मेरा अंश अपने अंश से देवकी के साथ में गर्भ में स्थित होता है देवी गोकुल में जो रोहिणी नाम की वासुदेव जी की दूसरी पत्नी रहती है उसके उधर में तू उसे साथ में गर्व को ले जाकर इस तरह स्थापित कर देना कि उसने वह उसी के जातर से उत्पन्न हुए के समान ज्ञान पड़े उसके विषय में यह जगत यही कहेगा कि कारागार बंदी गिरी में बंद होने के कारण कंस के भाई से देवकी का सातवां गर्भ गिर गया वह श्वेत सेल शिखर के समान वीर्य पुरस्कारों से आकर्षक किए जाने के कारण जगत में संकरण नाम से व्यक्त होता है सुबह देवकी के आठवें गर्भ में स्थित होऊंगा उसे महत्व भी तुरंत ही यशोदा के गर्भ में चले जाना वर्षा ऋतु में भाद्रपद के अष्टमी को रात्रि के समय में जन्म लूंगा और तू नवि को उत्पन्न होगी है अनीता उसे समय मेरी शक्ति से अपने माटी फिर जाने कारण वासुदेव जी मुझे तो यशोदा के यहां और तुम्हारी देवकी के सायन कक्षा में ले जाएगी तब ही देवी कंस तूने पकड़ कर पत्थर की शिला पर पटक देगा उसके पटकते ही तू आकाश में स्थित हो जाएगी उसे समय मेरे गौरव से सहस्त्रनयन इंद्र सर झुका कर प्रणाम करने के बाद तुझे भगिनी रूप से स्वीकार करेगा तू भी शुभ निशु आदि शास्त्रों व्यक्तियों को मार कर अपने आने के स्थान से संपूर्ण पृथ्वी को सुशोभित करेगा तू ही भुतही शांति शांति और क्रांति है तू ही आकाश पृथ्वी ग्रीन लज्जा पुष्टि और पास है इसके अतिरिक्त जगत में और जो भी कोई शक्ति है वह सब तू ही है जो मनुष्य प्रातः काल और शयन कल में अत्यंत नम्रता पूर्वक तुझे आर्य दुर्गा वेद गर्भ अंबिका भद्र भद्रकाली चंदा और भागवत आदि कहकर तेरी स्तुति करेगा उनकी समस्त कामनाएं मेरी कृपा से अदृश्य पूर्ण हो जाएगी मदिरा और मांस की भेंट चढ़ाने से तथा वृक्ष और भोज्य पदार्थ द्वारा पूजा करने से प्रसन्न होकर तुम मनुष्यों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण कर देगी तेरी द्वारा दी गई हुए समस्त कामनाएं मेरी कृपा से निस्संदे पूरी होगी है देवी आप तू मेरे बताए हुए स्थान को जाओ

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As soon as Shri Brahma Ji said, I bow down to you again and again, having infinite mouth and feet of thousands of arms, this love is the one who creates and destroys the world, I bow down to you again and again, O Lord, you are more powerful than Sushma, Sushma is more powerful than Guru and is the ultimate proof and has prime natural importance. And the main ghost in ego etc. is beyond even the original man. O Lord, you are pleased with all of us, God, the mountain form of this earth, the original bonds have become stable due to the unknown of the great demons born on it. The tested semen of this world comes. To come out, we have come to your refuge, Sarnath, we and this Indira, Sunny Kumar and Varun's Rudra Gan, Vasugan, Surya Vayu and Ragini etc. all the other gods are present here. Whatever it is appropriate for them or me to do, come for all those things. God, by obeying your orders, we will be free from all 200. Shri Parashar ji said, on being praised in this way, the Lord God plucked out both his black and white hair and said to the gods, how are these two hairs of mine on earth. By incarnating outside the earth, all the Devgans will take away the suffering from their form. By incarnating on the earth with their respective particles, they will fight with the monstrous demons who were born before them, then without a doubt, all the deities on the earth will be humbled under my influence and will go to the right of Vasudev ji. How did this Shyam incarnation of mine come from the eighth pride of the one who has a wife named Devaki like a goddess and in this way, by taking that incarnation, this incarnation of tomorrow will also kill Kansa, saying this Lord Shri Hari Vishnu ji meditated Lord Shri Hari Vishnu After Ji became invisible, all Devgarh went to Sumeru mountain after paying their respects to him and then descended on the earth. At this time Devarshi Narad ji went to Kansa and told him that Prabhu Dharan will be born from the eighth womb of Devaki. Talk of Dev Devasi Narad ji. Hearing this, Kansa immediately locked Vasudev and Devaki in the Kargar temple. Vasudev ji also kept sleeping as per his words as soon as each of his children was born. It is said that the first six wombs were the sons of deer Kashyap, Lord Shri Hari Vishnu ji. With the inspiration of Yog Nidra, she kept them situated in the womb gradually. The whole world is getting fascinated by Abhidha Rupani, that Yog Nidra is the illusion of Lord Shri Hari Vishnu. He said to Lord Shri Hari Vishnu, Shri Prabhu Ji said, Nidra, by my order, you go and go. One by one, the Chaigars located in the underworld were installed in Devaki's house. After Kansa killed all of them, the remaining salt, along with my part, resides in the womb of Devi Gokul in the womb of Goddess Rohini named Vasudev Ji. His second wife lives there, you take her pride along with you and establish him in such a way that he has the same knowledge as someone born from his own family. This world will only say about him that due to being confined in a prison, he is a prisoner. Devaki's seventh womb fell from Kansa's brother. Due to being attracted by the semen rewards like white cell peak, he is expressed in the world by the name Sankaran. In the morning, I will be situated in the eighth womb of Devaki. He also immediately got into the womb of Yashoda. Go, during the rainy season, I will be born at night on the Ashtami of Bhadrapada and you will be born as Navi, Anita, at that time, go back to your soil with my power, because only then will Vasudev ji take me to Yashoda's place and to the Sayan class of your Devaki. Goddess Kansa, you will catch hold of him and throw him on the stone rock. As soon as he throws him, you will be situated in the sky. At that time, with my pride, Sahastranayan Indra will bow his head and accept you as his sister. You will also kill people like auspicious Nishu etc. From the place of your coming you will beautify the whole earth, you are the ghostly peace, peace and revolution, you are the sky, the earth, the green shame, confirmation and are near, apart from this, whatever power there is in the world, it is you who makes man wake up in the morning and at night. I will most humbly praise you by saying Arya Durga, Veda, Garbha, Ambika, Bhadra, Bhadrakali, Chanda and Bhagwat etc. All their wishes will be fulfilled by my grace. By my grace, you humans will become happy by making offerings of wine and meat and by worshiping with trees and food items. All the wishes given by you will be fulfilled without any doubt by my grace. O Goddess, you go to the place told by me.

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