महाराज रजि और उनके पुत्रों का वण॔न
श्री पाराशर जी बोले राजा जी के अतुलित बल पराक्रमशाली 5 शॉप पुत्र थे एक बार देवासुर युद्ध के आरंभ में एक दूसरे को मारने की इच्छा वाले देवताओं और आदित्य ने श्री ब्रह्मा जी के पास जाकर पूछा है प्रभु हम दोनों के वे मान्य कला में कौन सा पक्ष जीतेगा देव या असुर श्री ब्रह्मा जी बोले जिसकी ओर से राजा राजेश शस्त्र धारण कर संग्राम में जाएगा इस तरफ से गांड जीत जाएगा तब देती होने जाकर राजीव से अपने सहायता के लिए प्रार्थना की तो राजी बोले एक साथ पर मैं तुम्हें पक्ष में युद्ध कर सकता हूं अगर देवताओं पर विजय प्राप्त कर लो तो तुम अपने आप ना इंद्र मनोज राजी की बात सुनकर थे तूने कहा हमारे इंद्र तो पहलाद जी हैं तथा उन्हें के लिए हमारा यह संपूर्ण कार्य हो रहा है ऐसा कह कर देते घर चले गए इसके पश्चात देवगन विराजी के पास आकर इस प्रकार प्रार्थना करने लगे राजीव ने उनसे भी वही बात दोहराई देवताओं ने राजी की यह बात मानती और कहा हमारी विजय होने के पश्चात आप ही हमारे इंद्र होंगे तब मंत्र का राजी ने देवताओं की सहायता करते हुए व्यक्तियों की संपूर्ण सेवा नष्ट कर दी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के पश्चात देव राजेंद्र ने राजीव के दोनों चरणों को अपने मस्तक पर आराम कर कहा भाई से रक्षा करने तथा अनुदान देने के कारण आप हमारे पिता है आप संपूर्ण लोगों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि मैं फिर लोक केंद्र आपका पुत्र हूं इस पर राजी हंसकर बोला अच्छा ऐसा ही सही या का कर हुए वापस अपने राजधानी को लौट गए
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Description of Maharaj Raji and his sons
Shri Parashar ji said that the king had 5 sons with incomparable strength and bravery. Once at the beginning of the war between Devasura and Aditya, the gods who wanted to kill each other went to Shri Brahma ji and asked, Lord, which of the two of us is the most acceptable art? The side that will win will be God or Demon, Shri Brahma Ji said, whose side will King Rajesh wear the weapon and go into battle, this side will win, then when he went to Deti and requested Rajiv for his help, he agreed and said, but I will fight on your side. After listening to Manoj Raji, you said that our Indra is Pahlad ji and this entire work of ours is being done for him. Saying this, Devgan went home. Rajiv came to Viraji and started praying like this. Rajiv repeated the same thing to him. The gods agreed to Raji's words and said that after our victory, you will be our Indra. Then Raji chanted the mantra, while helping the gods, the entire service of the people would be destroyed. After getting victory over the enemies, Dev Rajendra rested both the feet of Rajiv on his forehead and said to the brother, because of your protection and grant, you are our father, you are the best among all the people because I, the people's center, am your son. Raji laughed at this and said, "Okay, that's right, after doing that, we returned back to our capital."
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